Subhash Ghai On Ram-Lakhan नई दिल्ली, Subhash Ghai On Ram-Lakhan फिल्म राम लखन हिंदी सिनेमा की उन् चुनिंदा फिल्मों में से एक है जिसने ब्लॉक बस्टर कमाई की थी और जिसे याद रखा जाता रहेगा. आज इस फिल्म ने अपने 33 साल पूरे कर लिए हैं. जिस मुके पर फिल्म के निर्देशक सुभाष है ने […]
नई दिल्ली, Subhash Ghai On Ram-Lakhan फिल्म राम लखन हिंदी सिनेमा की उन् चुनिंदा फिल्मों में से एक है जिसने ब्लॉक बस्टर कमाई की थी और जिसे याद रखा जाता रहेगा. आज इस फिल्म ने अपने 33 साल पूरे कर लिए हैं. जिस मुके पर फिल्म के निर्देशक सुभाष है ने क्या खुलासा किया है आइये आपको बताते हैं.
किसी भी फिल्म के लिए उनकी स्क्रिप्ट का होना ज़रूरी माना जाता है. ऐसा इसलिए भी ज़रूरी है ताकि फिल्म की कहानी को समझा जा सके और उसे दिशा मिल सके. पर राम लखन फिल्म पर बात करते हुए सुभाष घई बताते हैं की उन्होंने फिल्म के लिए किसी भी स्क्रिप्ट का इस्तेमाल नहीं किया.
सुभाष ने बताया, ‘दरअसल, मैंने जल्दबाजी में राम लखन बनाना शुरू कर दिया था. फिल्म देवा बनाने के बाद मुझे यह फिल्म एक महीने के अंदर शुरू करनी थी. मेरे पास राम लखन के लिए आईडिया था लेकिन मेरे पास कहानी नहीं थी. इसलिए, मुझे एक कहानी और एक पटकथा लिखनी थी और एक महीने में शूटिंग शुरू करनी थी। मैंने अनिल कपूर और जैकी श्रॉफ के साथ पहले, मेरी जंग और हीरो में काम किया था. मैंने उनसे कहा कि मैं अगले महीने एक फिल्म शुरू करना चाहता हूं और वे मान गए. मैंने माधुरी को तीन फिल्मों के लिए साइन किया था. पहला था उत्तर दक्षिण और दूसरा था राम लखन तो, माधुरी पहले से ही वहां थी. वह मुक्ता आर्टिस्ट थीं इसलिए मैं उन्हें धक्का दे रहा था.’
कहानी उनके दिमाग में थी वह कहते हैं, ‘मुझे खुशी है कि राम लखन अपनी रिलीज के 33 साल पूरे कर रही हैं. इसने एक स्वर्ण जयंती मनाई और उस समय के सबसे अधिक कमाई करने वालों में से एक था. मुझे खुशी है कि छोटे पर्दे पर भी लोगों ने इसे कई बार देखा है. मेरे हिसाब से राम लखन एक कालातीत कहानी है, यह हमेशा ताजा रहेगा.
ये फिल्म की कहानी अपने समय में अलग थी. इसमें राखी द्वारा निभाई गई मां, राम जैसे भाई और लखन जैसे भ्रष्ट व्यक्ति की ताकत थी. ये ऐसे चरित्र वाले लोग हैं जो आने वाले वर्षों तक समाज में हमेशा रहेंगे. दर्शक इस कहानी में दोनों पक्ष देख पते हैं. एक मजबूत, नेक माँ कभी असफल नहीं होगी जिसने अपने दोनों बच्चो की ऐसी परवरिश दी हो की अपने अपने विचार और प्रयासों से दोनों ही अन्याय के विरूद्ध खड़े हैं. फिल्म बताई है की समाज में अच्छे लोग हैं तो बुरे भी मौजूद हैं. ये फिल्म एक संतुलन है.
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