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जानिए वहीदा रहमान और गुरुदत्त के दो सुपरहिट गीतों की दिलचस्प कहानी

आज मशहूर आदाकारा वहीदा रहमान का जन्मदिन है. बॉलीवुड में परदे के पीछे की कहानियां अक्सर बड़ी ही दिलचस्प होती हैं. उसी तरह गुरु दत्त के साथ फिल्माए गए वहीदा रहमान के दो सुपरहिट और एवरग्रीन गीतों के पीछे की कहानियां जानकर कोई भी हैरान रह जाएगा.

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वहीदा रहमान
  • February 3, 2018 5:21 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

मुंबई. हर दौर में कुछ ऐसे गाने फिल्माए गए हैं, जो पीढ़ियों ने गुनगुनाए हैं. कई तो रीमिक्स होकर एलबम या नई फिल्मों में भी आए हैं. ऐसे में लोगों को सामने उन मशहूर गानों को फिल्माने के दौरान परदे के पीछे की दिलचस्प कहानियां सामने नहीं आ पातीं और ये कहानियां भी कम मजेदार नहीं होती. वहीदा रहमान के जन्मदिन पर जानिए उनके दो सुपरहिट और एवरग्रीन गीतों की परदे के पीछे की कहानियां. एक गाना ‘प्यासा’ का है.. जाने क्या तूने कही और दूसरा है ‘चौदहवीं का चांद’ का चौदहवीं का चांद हो या….

जाने क्या तूने कही… 1957 में रिलीज हुई गुरुदत्त की क्लासिक फिल्म ‘प्यासा’ का ये गाना वहीदा रहमान और गुरुदत्त पर फिल्माया गया था और रोमांटिक पलों में आज भी लोग इसे सुनना, गुनगुनाना पसंद करते हैं. जब ये गाना कम्पोज होकर आया तो गुरुदत्त ने यूनिट को बताया कि इसे आधी रात को फिल्माया जाएगा. अब चूंकि गुरुदत्त ने ये बात उसी दिन बताई थी, सो कोई पहले से तैयार नहीं था. खुद वहीदा रहमान उस दिन थकी हुई थीं और जल्दी सोने के मूड में थीं,उन्हें काफी तेज नींद आ रही थी. उन्होंने ऐतराज किया कि आखिर क्या जिद है कि रात तक का इंतजार किया जाए, जब सब कुछ तैयार हो तो अभी दिन में ही शूट कर लो.

तब गुरुदत्त ने उन्हें समझाया कि चूंकि उनका किरदार मूवी में ऐसा है कि जो रात में ही लोगों को लुभाने के लिए सड़कों पर निकलता है तो गाना रात में ही शूट होगा. वहीदा को समझ आ गया था. वहीदा बार बार मुंह धो धोकर जगती रहीं और गाना आधी रात को ही शूट हुआ और नतीजा आपके सामने है. वैसे ये गाना एसडी वर्मन ने कम्पोज किया था, गीता दत्त ने गाया था. एक और दिलचस्प अफसाना प्यासा के साथ ये जुड़ा है, कि ये आखिरी फिल्म थी जो सचिन देव वर्मन और साहिर लुधियानवी ने एक साथ की. साहिर साहब को लगता था कि उनके बोलों की वजह से गाने इतने हिट हुए थे और सचिन दा को लगता था कि उनका म्यूजिक शानदार था, दोनों के बीच कुछ ऐसी बात बढ़ी कि ये जोड़ी यहीं टूट गई.

वहीदा के जिस दूसरे गाने की परदे के पीछे की कहानी आप जानेंगे वो था चौदहवीं का चांद हो, इसी टाइटल की ये फिल्म 1960 में रिलीज हुई थी. गुरुद्त और वहीदा रहमान पर फिल्माए गए इस गीत से जुड़ी एक घटना भी कम दिलचस्प नहीं. शकील बदांयूवी के लिखे इस गाने को जब कलर में कनवर्ट किया गया तो इसके रंगीन संस्करण पर सेंसर बोर्ड ने आपत्ति जता दी. दरअसल सेंसर बोर्ड का कहना था कि रंगीन गाने में वहीदा रहमान की जो आंखें हैं वो इतनी लाल हो गईं हैं कि सिडक्टिव लग रही हैं, गाना रोमांटिक था, लेकिन सेंसर बोर्ड को वहीदा की आंखों के रंग से अश्लील लगा. फिर से गाने में करेक्शन हुआ, तब मूवी का कलर्ड वर्जन रिलीज हो पाया था.

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