नई दिल्लीः शोभिता धुलिपाला हालिया रिलीज वेब सीरीज ‘मेड इन हेवन 2’ में नजर आईं थी , जिसमें उन्होंने अपने अभियन से काफी सुर्खियां बटोरीं। अभिनेत्री फिल्मों के अलावा अपने बयानों को लेकर भी चर्चाओं में काफी बनी रहती हैं। शोभिता धुलिपाला ने हाल ही में मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में अपने बॉलीवुड सफर […]
नई दिल्लीः शोभिता धुलिपाला हालिया रिलीज वेब सीरीज ‘मेड इन हेवन 2’ में नजर आईं थी , जिसमें उन्होंने अपने अभियन से काफी सुर्खियां बटोरीं। अभिनेत्री फिल्मों के अलावा अपने बयानों को लेकर भी चर्चाओं में काफी बनी रहती हैं। शोभिता धुलिपाला ने हाल ही में मीडिया को दिए एक इंटरव्यू में अपने बॉलीवुड सफर के शुरुआती दिनों के बारे में बात करि। इस दौरान अभिनेत्री ने मुंबई आने के बाद बॉलीवुड में अपना कदम जमाने के दौरान आई कठिनाइयों पर खुलकर चर्चा की।
शोभिता धुलिपाला ने क्या कहा ?
मीडिया से बातचीत में आंध्र प्रदेश की रहने वाली शोभिता धुलिपाला ने कहा, ‘जब मैंने इंडस्ट्री में कदम रखा तो मुझे हिंदी बोलना बिलकुल नहीं आती थी, यहां आने के बाद ही मैंने हिंदी सीखी।’ वहीं, अभिनेत्री ने अपने फिल्मी करियर को लेकर बताया, ‘जब मैं कॉलेज में थी तभी मुझे एक्टिंग के लिए विचार आया और बिना किसी योजना के इंडस्ट्री में आ गई। उस समय मेरे पास कोई योजना और भी नहीं थी कि मुझे करना क्या है। उस दौरान मैंने एक सौंदर्य प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। इसके बाद मैं आगे बढ़ती चली गई। आज जब मैं पीछे मुड़कर देखती हूं तो लगता है कि यह एक पागलपन भरा साहसिक कार्य था जो मने अपनी ज़िन्दगी में किया।’
शोभिता धुलिपाला ने अपने स्कूल और कॉलेज की भी बात साझा किया
शोभिता धुलिपाला ने बातचीत को बढ़ाते हुए कहा, ‘मैंने बड़े होने के बिच में बॉलीवुड संगीत का आनंद लिया है। अगर फिल्मों की बात आती है तो मैं रंग दे बसंती और मंगल पांडे: द राइजिंग देखते हुई बड़ी हुई हूं। जब मैं छोटी थी तभी से मेरे अंदर एक मजबूत रचनात्मक ऊर्जा थी और उसी ने मुझे वहां तक पहुंचने में सहायता की है जहां मैं आज हूं।’ अभिनेत्री ने स्कूल और कॉलेज के दिनों को याद करते हुए कहा, ‘मुझे स्कूल समय से ही पढ़ने-लिखने की आदत थी। मैं कुचिपुड़ी, भरतनाट्यम जैसे शास्त्रीय नृत्य भी सीख रही थी, लेकिन मुझे ऐसा कभी नहीं लगा कि मैं इसे अपना करियर बना सकती हूं।’ शोभिता ने आगे बात भड़ाते हुई कहा की , ‘जब से मैंने अपना कॉलेज खत्म किया, मैंने खुद को तीन साल का वक्त दिया था। अगर इसके अंदर मैं अपना रास्ता नहीं ढूंढ पाती तो मैं फिर से पढ़ाई शुरू कर देती। मैं बस अपने आप को एक पहचान देना चाहती थी। इससे मुझे एक उद्देश्य और ध्यान केंद्रित करने में मदद मिली।’