40 दिन की थी विक्रम बत्रा की प्रेम कहानी, अंगूठा काट कर किया था शादी के लिए प्रोपोज़

नई दिल्ली, कारगिल युद्ध को 23 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी कारगिल के वीरों को बड़े ही गर्व से याद किया जाता है। आज ही के दिन कारगिल शेरशाह कैप्टन विक्रम बत्रा शहीद हुए थे। एक ऐसा फौजी जिसने अपना तन-मन-धन तीनों ही देश के नाम कर दिया। इसमें कोई शक नहीं है […]

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40 दिन की थी विक्रम बत्रा की प्रेम कहानी, अंगूठा काट कर किया था शादी के लिए प्रोपोज़

Ayushi Dhyani

  • July 7, 2022 11:03 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली, कारगिल युद्ध को 23 साल हो चुके हैं, लेकिन आज भी कारगिल के वीरों को बड़े ही गर्व से याद किया जाता है। आज ही के दिन कारगिल शेरशाह कैप्टन विक्रम बत्रा शहीद हुए थे। एक ऐसा फौजी जिसने अपना तन-मन-धन तीनों ही देश के नाम कर दिया। इसमें कोई शक नहीं है कि, विक्रम बत्रा इस देश के एक वफादार और साहसी फौजी थे, जिन्होंने अपनी असीम देशभक्ति से एक नया इतिहास रचा था, लेकिन इसके पीछे उनकी गर्लफ्रेंड से मंगेतर बनी डिंपल चीमा का भी बड़ा हाथ है। डिंपल वही थीं, जो हमेशा विक्रम को पत्र लिखकर देशभक्ति के लिए उनका समर्थन करती थी। भले ही डिंपल चीमा अपने प्यार के साथ ज्यादा वक़्त नहीं बीता पाई पर आज भी उनकी लव स्टोरी सभी के लिए प्रेरणादायक है।

40 दिन की थी लव स्टोरी

डिंपल चीमा और विक्रम बत्रा के प्यार के किस्से किसी फिल्म की कहानी से कम नहीं हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक मिस चीमा और कैप्टेन बत्रा एक दूसरे को करीब 4 सालों से जानते थे, लेकिन 4 सालों में उन दोनों ने सिर्फ 40 दिन ही साथ बिताए थे। वैसे तो बत्रा फौजी काफी बुलंद थे लेकिन अपनी प्रेमिका के सामने वो काफी फिल्मी हो जाते थे।

खून से भरी थी मांग

विक्रम बत्रा इतने फिल्मी थे की वॉर में जाने से पहले उन्होंने अपने खून से डिंपल की मांग भरी थी। जी हाँ! विक्रम बत्रा ने अपना अंगूठा काट कर डिंपल चीमा की मांग भर दी थी। दोनों अक्सर मंसा देवी और गुरुद्वारा श्री नाडा साहेब जाते रहते थे। तो एक बार कैप्टेन बत्रा, मिस चीमा के साथ परिक्रमा करने लगे। इस बात की जानकारी मिस बत्रा को नहीं थी लेकिन अचानक से कैप्टेन कहते हैं ‘बधाई हो मिसिस बत्रा।’ वो जैसे ही पीछे मुड़कर देखती हैं तो विक्रम बत्रा ने उनका दुपट्टा पकड़ा होता है और मंद ही मंद मुस्काने लगती है। कैप्टेन बत्रा का प्यार ही मिस चीमा के लिए इस कदर था कि उन्होंने आज तक शादी नहीं की।

क्यों मिला शेरशाह नाम

बत्रा की 13 JAK रायफल्स में 6 दिसंबर 1997 को लेफ्टिनेंट के पोस्ट पर जॉइनिंग हुई थी, उनकी सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि वह दो साल के अंदर कैप्टन बन गए। उसी दौरान कारगिल में भारत-पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हो गया, जबतक कैप्टन बत्रा की साँसे चली तब तक उन्होंने साथियों को बचाया। पाकिस्तानी सेना ने कोड नेम में विक्रम बत्रा को शेरशाह नाम दिया था, पाकिस्तानियों ने कैप्टन बत्रा को बंकरों पर कब्जा करते हुई पहाड़ी की चढ़ाई न करने की चेतावनी दी, इस पर बत्रा गुस्से में आ गए कि उन्हें कैसे कोई चुनौती दे सकता है। इसके बाद ये दिल मांगे मोर शंखनाद करते हुए कैप्टन बत्रा ने पाकिस्तानियों की चुनौती का जवाब दिया, इसी ऑप्रेशन में पाकिस्तानी सेना ने कैप्टन बत्रा को शेरशाह नाम दिया।

चाहे तिरंगा लहरा के आऊं या उसमें लिपट कर आऊं.. आऊंगा ज़रूर

कारगिल युद्ध के दौरान अपनी शहादत से पहले, होली के त्योहार पर सेना से छुट्टी लेकर जब कैप्टन बत्रा अपने घर आए, तब यहां अपने सबसे अच्छे दोस्त और मंगेतर डिंपल चीमा से मिले, इस दौरान कारगिल युद्ध पर भी चर्चा हुई, जिस पर कैप्टेन ने कहा कि मैं “या तो तिरंगे को लहरा कर आऊंगा या फिर तिरंगे में लिपटकर, पर मैं आऊंगा ज़रूर।”

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