नई दिल्ली: शबाना आजमी बॉलीवुड की जानी-मानी अभिनेत्री है। आज भी शबाना अपने अभिनय से फैंस का दिल जीत लेती है। 18 सितंबर 1950 को जन्मीं अभिनेत्री शबाना आजमी 72वां जन्मदिन मना रही हैं। शबाना के पिता मशहूर शायर कैफी आजमी है और उनके भाई बाबा आजमी एक सिनेमेटोग्राफर हैं।
शबाना आजमी का बचपन कलात्मक माहौल में बीता है। पिता मशहूर शायर कैफी आजमी और मां रंगमंच अदाकारा शौकत आजमी के लालन-पालन में शबाना का बचपन मजेदार रहा है।
मां से विरासत में मिली अभिनय-प्रतिभा को सकारात्मक मोड़ देकर शबाना ने हिन्दी फिल्मों में कदम रखा। शबाना आजमी की जिंदगी के कई ऐसे किस्से हैं, जिनके बारे में ज्यादातर लोग नहीं जानते हैं। उनकी मां शौकत आजमी की ऑटोबायोग्राफी ‘कैफी एंड आई मेमॉयर’ में कई बातों का पता चला था। शबाना के जन्मदिन पर आइए जानते हैं उनसे जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें।
शौकत की ऑटोबायोग्राफी में लिखा है, “शबाना को लगता था कि मैं बाबा यानी उनके छोटे भाई को उससे ज्यादा प्यार करती हूं। एक सुबह मैं शबाना और बाबा को नाश्ता करा रही थी। मैंने शबाना की प्लेट से एक टोस्ट उठाया और कहा- बेटी, बाबा की बस जल्दी आ जाएगी, इसलिए मैं तुम्हारा टोस्ट उसे दे देती हूँ। तुम्हारे पास अभी काफी समय है। मैंने एलिस जो हमारी नौकर थी उसको कुछ ब्रेड लेने को भेजा और शबाना ने चुपचाप नाश्ते की टेबल छोड़ दी। जब एलिस लौटा तो मैंने शबाना को आवाज दी कि बेटी आ जाओ, तुम्हारा टोस्ट रेडी है। मैंने बाथरूम से उसके रोने की आवाज सुनी और जल्दी से वहां भागी। उसने मुझे देखा और जल्दी-जल्दी आंसू पोंछकर स्कूल जानें लगी।
शौकत ने आगे लिखा, “शबाना स्कूल की लेबोरेटरी में गई थी और वहां जाकर उसने कॉपर सल्फेट खा लिया। फिर उसक दोस्त परना ने बताया कि शबाना ने उससे कहा है कि मेरी माँ उससे ज्यादा बाबा को प्यार करती हूं तो मैंने निराशा से अपना सिर पकड़ लिया।”
शबाना ने दूसरा सुसाइड अटेंप्ट भी बचपन में किया था जिस बात का खुलासा शौकत ने बुक के जरिए किया। उन्होंने लिखा “मुझे एक इंसिडेंट याद है, जब मैंने उसके रूड व्यवहार की वजह से उसे घर से निकल जाने के लिए कहा था। तब मुझे पता चला ग्रांट रोड रेलवे स्टेशन पर उसने ट्रेन के आगे आने की कोशिश की थी। किस्मत से उसके स्कूल का चौकीदार वहां मौजूद था। उसने ‘बेबी…बेबी क्या कर रहे हो’ कहते हुए उसे वहां से बचा लिया। जिसके बाद शबाना दूसरी बार भी बच गई, लेकिन मैं परेशान हो गई थी। तब मैंने तय किया कि उसे घर से जाने के लिए कहने से पहले बार-बार सोचना पड़ेगा।”
शौकत ने अपनी बुक में लिखा है कि शबाना बचपन से ही उसूल वाली लड़की थी। बकौल शौकत, “मैं शबाना को जुहू से सांताक्रूज स्टेशन तक लिए 30 पैसे रोज देती थी। अगर उसे कोई स्नैक्स चाहिए होते थे तो वह पांच पैसे बचाने के लिए जुहू चौपाटी पर ही उतर जाया करती थी। लेकिन कभी उसने पेरेंट्स से ज्यादा पैसे नहीं मांगे। इसके बारे में भी मुझे शबाना की बेस्ट फ्रेंड परना ने बताया था।
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