Saheb Biwi Aur Gangster 3 Review: संजू का ‘लक’ ही बचा सकता है साहिब, बीवी और गैंगस्टर 3 को

Saheb Biwi Aur Gangster 3 Review: संजय दत्त की फिल्म साहेब बीवा और गैंगस्टर 3 आज रिलीज हो गई है. फिल्म समीक्षक ने साहेब बीवी और गैंगस्टर को तीन स्टार दिये हैं. फिल्म साहेब बीवी और गैगंगस्टर की कहानी पुरानी 2 फिल्मों से जुड़ी हुई है. फिल्म में संजय दत्त गैगंस्टर की भूमिका में नजर आ रहे हैं.

Advertisement
Saheb Biwi Aur Gangster 3 Review: संजू का ‘लक’ ही बचा सकता है साहिब, बीवी और गैंगस्टर 3 को

Aanchal Pandey

  • July 27, 2018 10:37 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

बॉलीवुड डेस्क, मुंबई. जब आप ये मान लेते हैं कि दर्शक काफी समझदार है, तो आप गच्चा खा जाते हैं. खासतौर पर तब जब आपके सीक्वल के किरदार और उनकी कैमिस्ट्री पहली फिल्मों से भी जुड़ी रहती है. साहिब, बीवी और गैंगस्टर के तीसरे पार्ट के साथ भी वही हुआ है. इस मूवी को केवल संजू का ‘लक’ उठा सकता है, चूंकि संजू हाल ही में रिलीज हुई है, संजय दत्त के फैंस का प्यार इन दिनों उनके लिए हलक तक है, तो वही इस फिल्म की नैया पार कर सकते हैं. यूं ये फिल्म अपनी उसी रिदम पर है, साजिशें, नफरतें, साहिब का शाहाना रवैया और बीवी की मक्कारियां, हां गैंगस्टर के तौर पर संजू ही नहीं उनके लक का भी सहारा है.

लक की बात इसलिए क्योंकि इसमें संजय दत्त की एक पुरानी फिल्म ‘लक’ का फॉरमूला आजमाया गया है. जिस तरह इमरान और संजू स्टारर ‘लक’ में शर्त हारने वाले को जान देनी पड़ती है, इसमें भी उसी तरीके से संजय दत्त पैसा कमाते हैं. पूरे चैम्बर में एक गोली और फिर गब्बर सिंह की तरह चैम्बर घुमा दो, संजय दत्त एक उजड़ी रियासत के प्रिंस उदय प्रताप की भूमिका में हैं, जो इस खेल के मास्टर हैं, और इस खेल के जरिए लंदन में एक बड़ा क्लब खड़ा कर लेते हैं.

फिल्म की कहानी वहीं से बढ़ती है, जहां पहले खत्म होती है. यानी साहिब प्रिंस आदित्य प्रताप सिंह (जिमी शेरगिल) जेल में हैं, और बड़ी रानी माधवी (माही गिल) जो एक नेता बन चुकी है, नहीं चाहती कि साहिब जेल से बाहर आएं. साहिब अपने करीबी बाप बेटी की मदद से जमानत पर बाहर आते हैं और बाद में बरी भी. अब वो राजनीति में पत्नी की जगह लेना चाहते हैं, प्रेग्नेंट पत्नी माधवी को घर बैठाकर. उसके जेल में होने के दौरान माधवी साहिब की दूसरी पत्नी रंजना (सोहा) को गोली मार देती है और इस बात से अनजान रंजना के पिता (जाकिर) से मिलकर साहिब की हत्या की योजना बनाती है.

तब तक एक झगड़े के बाद लंदन की सरकार उदय प्रताप (संजय दत्त) को डिपोर्ट कर देती है, जो बूंदीगढ़ में अपने पिता कबीर बेदी और सौतेले भाई विजय (दीपक तिजोरी) से होटल और जमीन में हिस्सा मांगता है तो वो उसे कत्ल करने की कोशिश करते हैं और फिर एक कत्ल में फंसाने की. संजय दत्त के प्रेमिका के तौर पर हैं, उसी की रियासत की नर्तकी चित्रांगदा सिंह. रंजना के पिता और रानी माधवी की चाल में फंसकर साहिब आदित्य (जिमी) उदय प्रताप (संजय दत्त) के साथ मौत का लक वाला खेल खेलने को तैयार हो जाते हैं. उसके बाद क्या होता है, उसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी.

कहानी भले ही लक से फॉरमूला चुराकर साहिब, बीवी और गैंगस्टर में डाली गई हो, लेकिन दिलचस्प है. लेकिन फिल्म पहले हाफ में काफी सुस्त चलती है और दूसरे हाफ में काफी तेज. जबकि पहले हाफ में संजय दत्त की पत्नी, बेटी जैसे किरदारों और कुछ बेमतलब की घटनाओं को निकालकर कम किया जा सकता था. एक दिक्कत ये भी है कि पिछली फिल्म के कुछ किरदारों को भी इसमें रखना जरूरी था, सो उन पर भी कुछ सींस रखने से फिल्म शुरूआत में थोड़ी सुस्त है. यूं फिल्म की एंट्री और एंड दोनों संजय दत्त की वजह से जोरदार हैं, तिग्मांशु ने उनका अच्छे से इस्तेमाल किया है, यहां तक कि संजय दत्त के सींस में आप बैकग्राउंड में ‘बाबा.. बाबा’ भी सुनेंगे. इससे फिल्म अपना बजट निकाल सकती है और काफी कुछ संजू के फेवर में बना माहौल भी कर सकता है. म्यूजिक के नाम पर जुगुनी वाला इकलौता गाना ही आपको याद रहता है, ये अलग बात है कि तिग्मांशु मूवी को इस बार रियासतों से निकालकर लंदन भी ले गए हैं.

दिक्कत तब आती है, जब आपने इस सीरीज की दोनों फिल्में नहीं देखी हैं, तिग्मांशु मानकर चलते हैं कि देख ली होंगी, सो कुछ बातें नई ऑडियंस के समझ नहीं आएंगी. ऐसे ही संजय दत्त का अपने पिता से ऐसा क्या झगड़ा था, जो वो उनका कत्ल करना चाहते हैं, नहीं समझ आएगा. संजय दत्त के कत्ल का इंतजार किए बिना दीपक तिजोरी का चित्रांगदा का कत्ल, वो भी तब जबकि वो पुलिस में पहले ही उनका नाम दे चुके हैं, कुछ बातें सर के ऊपर से जाती हैं. कुछ बातें ऐसा लगता है जबरन डाली गई हैं, ताकि कहानी आगे बढ़ सके. संजय दत्त का डिपोर्टेशन, माधवी का प्रेग्नेंट होना, चित्रांगदा का कत्ल ऐसी ही घटनाएं हैं.

हालांकि फिल्म संजू के फैंस के लिए बनी है, संजय दत्त संजू के तरह के ही रोल में हैं, जो बुरा आदमी नहीं है, लेकिन उसके हाथों बुरा होता चला जाता है. सोहा अली खान गेस्ट रोल में ही हैं, दीपक तिजोरी अरसे बाद डायरेक्शन से पीछा छुड़ाकर किसी कायदे के रोल में आए हैं. नफीसा और कबीर भी गेस्ट रोल जैसे ही रोल्स में हैं. पूरी फिल्म बीवी माही गिल और गैंगस्टर संजय दत्त के इर्द गिर्द ही घूमती है, साहिब कन्फ्यूजन स्टेट में रहते हैं, हर फिल्म की तरह. एक दो डायलॉग्स और सिचुएशंस काफी अच्छी हैं, लेकिन उनको और अच्छा किया जाना था, थोड़े और जबरदस्त डायलॉग्स की जरुरत थी, जहां तिग्मांशु अनुराग कश्यप से पिछड़ते लगते हैं.

रेटिंग: ***

Saheb Biwi Aur Gangster 3 Review LIVE Updates: प्यार और बदले की कहानी है संजय दत्त की साहेब बीवी और गैंगस्टर 3

Saheb Biwi Aur Gangster 3 day 1 box office Prediction: संजय दत्त की साहेब बीवी और गैंगस्टर 3 पहले दिन 12 करोड़ की कर सकती है कमाई

Tags

Advertisement