Romeo Akbar Walter Movie Review: देशभक्ति और जॉन अब्राहम के एक्शन से भरपूर है फिल्म रोमियो अकबर वॉल्टर, पढ़ें रिव्यू

Romeo Akbar Walter Movie Review: जॉन अब्राहम और मौनी रॉय की फिल्म रोमियो अकबर वॉल्टर ने सिनेमाघरों में दस्तक दे दी है. जासूसी और देशभक्ति से भरपूर है जॉन अब्राहम की ये फिल्म, जिसका निर्देशन रॉबी ग्रेवाल ने किया है.

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Romeo Akbar Walter Movie Review: देशभक्ति और जॉन अब्राहम के एक्शन से भरपूर है फिल्म रोमियो अकबर वॉल्टर, पढ़ें रिव्यू

Aanchal Pandey

  • April 5, 2019 11:36 am Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

फिल्म: रॉ (रोमियो अकबर वॉल्टर) 

स्टारकास्ट: जॉन अब्राहम, मौनी रॉय, जैकी श्रॉफ, सिकंदर खेर

निर्देशक: रॉबी ग्रेवाल

बॉलीवुड डेस्क, मुंबई. इन दिनों बॉलीवुड में देशभक्ति पर आधारित फिल्में खूब बन रही हैं और दर्शकों को ये फिल्म पसंद भी आ रही हैं. जॉन अब्राहम की फिल्म रोमियो अकबर वॉल्टर( रॉ ) भी कुछ उसी तर्ज पर है. सिल्वर स्क्रीन पर पहली बार मौनी रॉय के साथ उनकी जोड़ी बनी है जो कि फिल्म के अच्छा पार्ट है. रोमियो अकबर वॉल्टर 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध और बांग्लादेश के  जन्म होने पर फिल्माई गई है. 

फिल्म की कहानी:

अकबर (जॉन अब्राहम) को पाकिस्तानी इंटिलिजेंस ऑफिस खुदाबख्श ( सिकंदर खेर) के हाथों खूब प्रताड़ना दी जाती है. जासूसी के लिए अकबर पर थर्ड डिग्री का इस्तेमाल कर उसके नाखुन तक उखाड़ दिए जाते हैं. यहां से फिल्म की कहानी फ्लैशबैक में जाती है. बैंक में काम करने वाला अकबर ईमानदार होने के साथ साथ बेहद बहादुर है. अकबर अपने मां के साथ रहता है. देश के लिए अकबर के पिता ने अपनी जान गवां दी थी. अकबर की मां ने देशभक्ति के जुनून से दूर अपने बेटे की परवरिश की लेकिन बैंक में हुई डकैती ने उनकी जिंदगी बदल कर रख दी. बैंक में हुई डकैती का अकबर जांबाजी से मुकाबला करता है. अकबर की बहादुरी रॉ चीफ श्रीकांत रॉय ( जैकी श्रॉफ) को इंप्रेस कर जाती है और वो अकबर को एक जासूस के रूप में चुन लेते हैं और उसे अकबर मलिक बनाकर पाकिस्तान से खुफिया जानकारी जुटाने के मिशन के लिए भेजा जाता है. अकबर को इस काम के लिए कड़ी ट्रेनिंग दी जाती है. पाकिस्तान के इजहाक अफरीदी ( अनिल जॉर्ज) का अकबर काफी विश्वास पात्र बन जाता है. अकबर भारत को बदलीपुर में होने वाले आतंकी हमले की खुफिया जानकारी देता है. इस मिशन में अकबर का साथ देता है रघुवीर यादव. कहानी में सब कुछ ठीक चलता है लेकिन इसी बीच श्रद्धा ( मौनी रॉय) जिनसे अकबर प्यार करते हैं उनके पाकिस्तान में डिप्लोमैट के रूप में आने पर खुदाबख्श को कुछ ऐसा सुराग मिलता है, जिससे उसे अकबर पर शक हो जाता है. खुदाबख्श, अकबर से सच उगलवाने के लिए उसे प्रताढित करता है. फिल्म का क्लाइमेक्स आते आते अकबर वॉल्टर बनता है.

जॉन अब्राहम का किरदार फिल्म में देशभक्ति से भरपूर है. मौनी रॉय का फिल्म को कोई बड़ा रोल नहीं है. फिल्म पूरी तरह से जॉन अब्राहम पर केंद्रित है. अगर आप भी जासूसी और देशभक्ति जैसी फिल्मों के शौकीन हैं तो रोमियो अकबर वॉल्टर देखने जा सकते हैं. 

रेटिंग – 3

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