राजेश खन्ना ने एक बार यश चोपड़ा के बुरे वक्त में उनकी मदद की थी. इसके बदला पैसों से चुकाने की बजाय उन्होंने अपनी प्रोडक्शन कंपनी का नाम यश चोपड़ा के नाम से यश लेकर और राजेश खन्ना के नाम से राज लेकर यश राज फिल्म्स कर दिया.
मुंबई. आपसे अगर ये सवाल पूछा जाए कि यश चोपड़ा कैंप का अब तक का सबसे फेवरेट कलाकार कौन रहा है, अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, आमिर खान या नई पीढ़ी के कुछ लोग रणवीर सिंह का भी नाम ले सकते हैं. लेकिन सच इन सब चेहरों से भी इतर है. यश चोपड़ा ने तमाम नए एक्टर्स को स्टार और और फिर सुपरस्टार बनने में मदद की, लेकिन एक ऐसा सुपरस्टार भी था, जिसकी वजह से यश चोपड़ा खुद की कंपनी खड़ी कर पाए और वो थे राजेश खन्ना. कहते हैं कि यश राज फिल्म्स का ‘राज’ दरअसल राजेश खन्ना ही हैं, चूंकि यश चोपड़ा के नाम में कहीं राज नहीं आता है. अपनी प्रोडक्शन कंपनी का नाम यश राज फिल्म्स रखकर काका का ऐसा शुक्रिया अदा किया, कि वो नाम हमेशा उनके नाम से जुड़ गया है. लेकिन काका ने यश चोपड़ा की वो मदद कैसे की, ये भी कहानी कम दिलचस्प नहीं है.
यश चोपड़ा ने अपने कैरियर की शुरूआत आईएस जौहर या अपने भाई बीआर चोपड़ा की फिल्मों से बतौर असिस्टेंट डायरेक्टर की. उसके बाद फिल्में भी बनाईं तो बीआर चोपड़ा के ही बैनर तले, इन फिल्मों में 1959 में आई ‘धूल का फूल’, 1961 में आई धर्मपुत्र से लेकर 1965 में आई मल्टीस्टारर और चर्चित फिल्म ‘वक्त’ भी शामिल हैं. 1971 में यश चोपड़ा ने भाई से अलग होकर अपनी प्रोडक्शन कंपनी खोलने का मन बनाया. इसके लिए वो अपनी जिस पहली ही फिल्म के प्रोडयूसर बने, उसका नाम था ‘दाग’. इस फिल्म के लिए उन्होंने राखी, शर्मिला टैगोर और राजेश खन्ना को साइन किया. राजेश खन्ना इससे पहले उनके साथ ‘इत्तेफाक’ में काम कर चुके थे.
दरअसल फिल्म की कहानी में राजेश खन्ना अपनी बीवी शर्मिला टैगोर का रेप करने की कोशिश कर रहे अपनी कंपनी के मालिक के बेटे को मार देते हैं, बाद में जेल की वैन का एक्सीडेंट होने पर उसमें बैठे सारे लोग मर जाते हैं. काका का बेटा पाल रहीं शर्मिला टैगोर को जब एक रोज पता चलता है कि उसका पति ना सिर्फ जिंदा है बल्कि दूसरी शादी एक अमीऱ औरत से कर चुका है, तो हैरान रह जाती है. दरअसल एक्सीडेंट से बचने के बाद काका राखी से मिलते हैं, जिसको उसके बॉयफ्रेंड ने प्रेग्नेंट करने के बाद अपनाने से इनकार कर दिया था. काका उसको अपना नाम देकर शादी कर लेते हैं. क्लाइमेंक्स में काका कत्ल और दो बीवियों के इलजाम से कैसे निपटते हैं, इसके लिए फिल्म देखनी होगी.
लेकिन इस दो हीरोइनों वाली फिल्म को कोई डिस्ट्रीब्यूटर खरीदने को तैयार नहीं था. तब राजेश खन्ना ने यश चोपड़ा से कहा कि मैं इस फिल्म के लिए फ्री में काम करूंगा, तब तक कोई पैसा नहीं लूंगा, जब तक कि आपकी लागत नहीं निकल आएगी, बाद में ऐसा ही राखी और साहिर लुधियानवी ने भी किया. पहली फिल्म के प्रोडयूसर यश चोपड़ा के लिए उस वक्त ये बड़ी राहत थी. ऐसे में उनके फाइनांसर गुलशन राय ने कहा भी फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर ठंडा रेस्पोंस मिलेगा और वो चाहते थे कि फिल्म का ज्यादा प्रमोशन ना किया जाए. ‘दाग’ 1973 में रिलीज हुई. फिल्म पहले दिन बमुश्किल 9 थिएटर्स में रिलीज हुई, शाम होते होते 9 धिएटर और जुड़ गए. कुछ ही दिनों में फिल्म हिट हो चुकी थी. 6 दिन के अंदर फिल्म के प्रिंट तिगुने किए जा चुके थे. सो अरसे तक यश चोपड़ा मुश्किल वक्त में काका की ये मदद भूले नहीं.
उस दौर के सुपरस्टार राजेश खन्ना की मदद यश चोपड़ा पैसे से तो कर नहीं सकते थे, उन्होंने इसका नायाब तरीका ढूंढा और अपनी प्रोडक्शन कंपनी का नाम यश चोपड़ा के नाम से यश लेकर और राजेश खन्ना के नाम से राज लेकर यश राज फिल्म्स कर दिया. हालांकि उनके पिता के नाम में भी राज जुड़ा था, लेकिन यश चोपड़ा ने कभी इसे नहीं अपनाया. सो हर कोई क्रेडिट राजेश खन्ना को ही देता है. यूं तो अपने बैनर तले यश चोपड़ा ने ज्यादातर फिल्में या तो अमिताभ बच्चन के साथ बनाईं या फिर शाहरुख खान के साथ, राजेश खन्ना के साथ उनकी अगली और आखिरी फिल्म ‘विजय’ आई, जो 1988 में रिलीज हुई.
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