Pihu Trailer Review : विनोद कापड़ी की मूवी ‘पीहू’ के क्लाइमेक्स का तो पता नहीं, लेकिन दूसरे मोर्चे पर उन्होंने कमाल कर दिया है. उन्हें पता था कि उनकी मूवी में कोई ऐसा चेहरा नहीं है, बल्कि शायद 2 साल की एक बच्ची के अलावा कोई चेहरा ही नहीं है, तो उन्होंने अपनी फिल्म को तब तक रिलीज करने का मूड नहीं बनाया, जब तक कि उनका टाईअप रॉनी स्क्रूवाला और सिद्धार्थ रॉय कपूर के साथ नहीं होगा.
बॉलीवुड डेस्क, दिल्ली. Pihu Trailer Review : मूवी बनने के बाद दो बड़ी मुश्किल होती हैं फिल्मकारों के साथ, एक ये कि क्लाइमेक्स ऐसा हो, कि ऑडियंस सैटिस्फाइड हो, जिस पर रईस जैसी फिल्में फेल हो गईं, दूसरे फिल्म का ट्रेलर और प्रमोशन ऑडियंस के सिनेमा हॉल्स में लाने को मजबूर करे. विनोद कापड़ी की मूवी ‘पीहू’ के क्लाइमेक्स का तो पता नहीं, लेकिन दूसरे मोर्चे पर उन्होंने कमाल कर दिया है. उन्हें पता था कि उनकी मूवी में कोई ऐसा चेहरा नहीं है, बल्कि शायद 2 साल की एक बच्ची के अलावा कोई चेहरा ही नहीं है, तो उन्होंने अपनी फिल्म को तब तक रिलीज करने का मूड नहीं बनाया, जब तक कि उनका टाईअप रॉनी स्क्रूवाला और सिद्धार्थ रॉय कपूर के साथ नहीं होगा. रहा सहा काम उनके ट्रेलर ने कर दिया है.
कभी सुनील दत्त ने सिंगल एक्टर फिल्म की थी ‘यादें’, जिसको एक ही एक्टर होने के चलते उस वक्त गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड में जगह भी मिली थी. कहानी ये थी सुनील दत्त अपने घर आते हैं और अपनी पत्नी नरगिस को घर पर नहीं पाते और उनके बारे में सोचना शुरू कर देते हैं, पुरानी यादों के सहारे और पुरानी आवाजों के सहारे ही फिल्म कट जाती है और फायनल सीन में नरगिस की एंट्री होती है. लेकिन पीहू का ट्रेलर बताता है कि इसमें यादें नहीं डर है, डर इसको देखने वालों का। हर उस मां बाप का जो अपने बच्चों को कभी कार या फ्लैट में अकेले छोड़ जाते हैं और अक्सर कुछ एक्सीडेंट हो जाया करते हैं.
पीहू दो साल की बच्ची है, जिसकी मां की लाश घर के बैड पर पडी है और उस बच्ची के सिवा फ्लैट में कोई नहीं है. वो मां को सोया जानकर जगाने की कोशिश करती है, थक हार कर उसके ऊपर उलटा लेट जाती है. शुरूआती सीन ही डराने वाला है, जब वो फ्रिज में बंद हो जाती है, फिर चिल्लाना शुरू करती है, फ्रिज को हिलाती है, एक एक करके फ्रिज पर रखा सामान नीचे गिरकर टूटने लगता है, फायनली फ्रिज खुल जाता है. भूख लगने पर वो गैस भी जला लेती है, ओवन को भी चलाती है, लेकिन शॉर्ट स्रर्किट हो जाता है. हालांकि सीक्वेंस तो फिल्म देखकर ही पता चलेगा कि क्या किया. ऑडियंस ये सोचे कि किसी को कुछ पता क्यों नहीं चला इतनी देर तक वो भी दिखाया है कि कैसे बाहर से शायद उसके पापा का फोन आता है और पीहू उसे उठाने की कोशिश करती है, और वो गिर कर बैड के नीचे चला जाता है.
आखिरी सीन तो सांसें रोक देने वाला है, जब बालकनी से कई फ्लौर नीचे जमीन पर उसकी गुड़िया गिर जाती है और वो बालकनी की रैलिंग पर चढना शुरू करती है और उसका पैर फिसलता है, वो चिल्लाती है और ट्रेलर खत्म हो जाता है. ऐसे में क्यूरोसिटी सेंस को विनोद कापड़ी ने अच्छे से बरकरार रखा है, इतने दिनों तक मीडिया में स्टोरीज और शोज के प्रोमो बनाने का एक्सपीरियंस वाकई में दिखता है. ये अलग बात है कि 2 साल की बच्ची का गैस जलाना थोड़ा अखरता है, लेकिन शायद मूवी में उसके लिए भी कोई लॉजिक दिया गया हो.
ऐसे में चूंकि विनोद कापड़ी ने पिछली बार की तरह ही एक अनोखे सब्जेक्ट का चयन किया है, उनकी पहली मूवी भैंस के रेप को लेकर थी, जो अच्छा बिजनेस नहीं कर पाई थी, खाली ओमपुरी के बूते कोई फिल्म बेचना आसान काम नहीं था. इसलिए इस बार कापड़ी ने वक्त लिया, एक 2 साल की बच्ची पर फिल्म बनाना आसान भी नहीं है, लेकिन कम रिस्की था, बजट कम था, लेकिन ये मूवी अवॉर्ड्स के लिए तो शर्तियां थी, रॉनी-सिद्धार्थ से टाईअप के चलते कॉमर्शियल उम्मीदें भी बढ़ गई हैं, ऐसे में ट्रेलर भी ऐसा है कि आम पेरेंट्स इसे देखना पसंद करेंगे.
Pihu Trailer : पीहू का ट्रेलर रिलीज, 2 साल की बच्ची के घर में अकेले रहने की है इमोशनल कहानी
10 साल की उम्र में दर्जनों अवॉर्ड अपने नाम कर चुकी हैं ये है मोहब्बतें की रूही
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