मुंबई: हिंदी सिनेमा की चर्चित अभिनेत्री नुसरत भरूचा के इस्राइल के शहर हाइफा में गोलीबारी के बीच फंस जाने की रिपोर्ट से फिल्मों में दिलचस्पी रखने वाले रविवार सुबह से परेशान रहे है. बता दें कि नुसरत के बारे में लगातार आ रहे अपडेट्स पर उनकी नजर रही और आखिरकार जब वो दोपहर के बाद […]
मुंबई: हिंदी सिनेमा की चर्चित अभिनेत्री नुसरत भरूचा के इस्राइल के शहर हाइफा में गोलीबारी के बीच फंस जाने की रिपोर्ट से फिल्मों में दिलचस्पी रखने वाले रविवार सुबह से परेशान रहे है. बता दें कि नुसरत के बारे में लगातार आ रहे अपडेट्स पर उनकी नजर रही और आखिरकार जब वो दोपहर के बाद मुंबई लौट आईं तो लोगों ने राहत की सांस भरी. हालांकि नुसरत वहां हाइफा फिल्म फेस्टिवल में हिस्सा लेने गयी थी. बता दें कि हाइफा का हिंदुस्तान से काफी पुराना रिश्ता रहा है. बता दें कि 99 साल पहले भारतीय सैनिकों ने इस शहर को तुर्काें से आजाद कराया और वो सिर्फ तलवार और भाले लेकर तुर्की सेना पर टूट पड़े थे. जब दुश्मन सेना के पास बंदूकें और मशीनगन्स थीं, जिसके दौरान भारतीय सैनिकों ने हिम्मत नहीं हारी और जंग जीत ली.
बता दें कि पहले वर्ल्ड वॉर के बाद 99 साल पहले सितंबर 1918 में भारतीय सैनिकों ने हाइफा को तुर्की के ओटोमन एम्पायर की आजाद कराया था. अब 402 साल से इस इलाके पर तुर्की का कब्जा था. बता दें कि इस जंग में भारतीय सैनिकों ने बहाई कम्युनिटी के स्पिरिचुअल लीडर अब्दुल-बाहा को भी बचाया. हालांकि भारत में उस समयअंग्रेजों की हूकुमत थी और उन्होंने भारत की तीन रियासतों जोधुपर, मैसूर और हैदराबाद के घुड़सवार सैनिकों को जनरल एडमंड एलेन्बी की अगुआई में वहां लड़ने के लिए भेजा था. बता दें कि भारतीय सैनिकों में पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह के पिता ठाकुर सरदार सिंह राठौर भी मौजूद थे.
हालांकि इस लड़ाई पर भारत और इजरायल ने मिलकर बीते साल एक मेगा बजट फिल्म बनाने का भी घोषणा किया था. बता दें कि इस फिल्म के निर्माण में शामिल गोल्डन रेशियो फिल्म्स के अध्य़क्ष अश्विनी चौधरी जी कहते हैं कि ‘फिल्म ‘हीरोज ऑफ हाइफा’ हमारी अंतर्राष्ट्रीय उड़ान का एक नया आसमान है. ये फिल्म इतिहास में गुम हुई कहानी के उन रंगों को फिर से आज की पीढ़ी के सामने पेश कर रही है. जिन्हें देखकर आज की युवा पीढ़ी उत्साह, उल्लास और उमंग से भरी हुई देखने को मिल रही है. बता दें कि ये एक प्रेरणादायक कहानी है और इन फौजियों की बहादुरी के किस्से आज के समय में बताना बहुत ही जरूरी हैं.