Payal Kapadia: कान फिल्म फेस्टिवल में पायल कपाड़िया का जलवा, पहले भी रच चुकीं हैं इतिहास

मुंबई: कान फिल्म फेस्टिवल 2024 में पायल कपाड़िया (Payal Kapadia)की फिल्म ‘ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट’ ने ग्रां प्री अवॉर्ड जीता है. पाल्मे डी’ओर के बाद यह अवार्ड फिल्म फेस्टिवल का दूसरा सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड है. यह पहली भारतीय फिल्म है जो किसी भारतीय महिला निर्देशक द्वारा मुख्य प्रतियोगिता में प्रदर्शित की गई है. इस […]

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Payal Kapadia: कान फिल्म फेस्टिवल में पायल कपाड़िया का जलवा, पहले भी रच चुकीं हैं इतिहास

Mohd Waseeque

  • May 26, 2024 4:01 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 months ago

मुंबई: कान फिल्म फेस्टिवल 2024 में पायल कपाड़िया (Payal Kapadia)की फिल्म ‘ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट’ ने ग्रां प्री अवॉर्ड जीता है. पाल्मे डी’ओर के बाद यह अवार्ड फिल्म फेस्टिवल का दूसरा सबसे प्रतिष्ठित अवार्ड है. यह पहली भारतीय फिल्म है जो किसी भारतीय महिला निर्देशक द्वारा मुख्य प्रतियोगिता में प्रदर्शित की गई है. इस फिल्मम की कहानी को भी पायल कपाड़िया ने ही लिखी है जो मलयालम और हिंदी में है. फिल्म में ऑल वी इमेजिन ऐज लाइट नर्स प्रभा की कहानी है, जिसको लंबे समय से अलग रह रहे अपने पति से एक अप्रत्याशित तोहफा मिलता है,जो उसके जीवन अस्त-व्यस्त कर देता है. इस फिल्म में उसकी साथी नर्स अनु की भी कहानी भी है.

पहले भी चुनी गई हैं फिल्में

प्रतिस्पर्धा करने वाली प्रतिष्ठित पाल्मे डि’ओर पुरस्कार के लिए आखिरी भारतीय फिल्म 1983 में प्रसिद्ध फिल्म निर्माता मृणाल सेन के द्वारा रिजेक्ट की गई थी. . इस फिल्म से पहले, एम.एस. सथ्यू की गर्म हवा (1974), सत्यजीत रे की परश पत्थर (1958), राज कपूर की आवारा (1953), वी शांताराम की अमर भूपाली (1952) और चेतन आनंद की नीचा नगर (1946) जैसी फिल्में कान्स प्रतियोगिता खंड के लिए चुनी गयी थीं.कान्स में शीर्ष सम्मान जीतने वाली ‘नीचा नगर’ 1946 एकमात्र भारतीय फिल्म है. जिस समय, इस पुरस्कार को ग्रां प्री डू फेस्टिवल इंटरनेशनल डू फिल्म के नाम से जाना जाता था.

पायल कपाड़िया के बारे में

यह अवार्ड जीतने वाली पायल कपाड़िया की उम्र 38 वर्ष है. पायल कपाड़िया (Payal Kapadia) की मां नलिनी मालिनी भी एक आर्टिस्ट रही हैं. मुंबई के सेंट जेविर्यस कॉलेज से पायल कपाड़िया ने इकोनॉमिक्स में बैचलर डिग्री हासिल की है. कपाड़िया ने फिल्म ऐंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से कोर्स किया हुआ है. सिर्फ इतना ही नहीं, कान फिल्म फेस्टिवल में 2021 में ए नाइट ऑफ नोइंग नथिंग को बेस्ट डॉक्युमेंट्री का गोल्डन आई अवॉर्ड भी उनको मिला था. साल 2017 में उनकी फिल्म आफ्टरनून क्लाउड्स भारत की तरफ से कान में पहुंचने वाली एकमात्र फिल्म थी.कान फिल्म फेस्टिवल में लगातार अपनी मौजूदगी दर्ज कराने वाली पायल कपाड़िया (Payal Kapadia) ने अबकी बार इतिहास रच दिया है.

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