खेतों से मंच तक, ‘ट्रैक्टर’ ना मिलने पर थिएटर आने वाले Pankaj Tripathi की कहानी

नई दिल्ली : बिहार के गोपालगंज जिले से मुंबई तक का सफर तय करने वाले अव्वल कलाकार पंकज त्रिपाठी आज पूरे 46 वर्ष के हो गए हैं. बहुत बार वह अपने इस सफर का ज़िक्र कर चुके हैं. उनके इस सफर से काफी युवा प्रभावित भी होते हैं और उनसे प्रेरणा भी लेते हैं. बिना […]

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खेतों से मंच तक, ‘ट्रैक्टर’ ना मिलने पर थिएटर आने वाले Pankaj Tripathi की कहानी

Riya Kumari

  • September 5, 2022 4:19 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : बिहार के गोपालगंज जिले से मुंबई तक का सफर तय करने वाले अव्वल कलाकार पंकज त्रिपाठी आज पूरे 46 वर्ष के हो गए हैं. बहुत बार वह अपने इस सफर का ज़िक्र कर चुके हैं. उनके इस सफर से काफी युवा प्रभावित भी होते हैं और उनसे प्रेरणा भी लेते हैं. बिना इंडस्ट्री में किसी गॉड फादर के अपनी एक्टिंग के दम पर युवाओं के बीच अपनी पकड़ बनाने वाले पंकज त्रिपाठी का जीवन इतना भी सरल नहीं था. आज हम आपको उनकी कहानी के बारे में बताने जा रहे हैं.

होटल में किया काम

5 सितंबर 1976 के दिन बिहार के गोपालगंज जिले में बेलसंड गांव में जन्मे पंकज त्रिपाठी बचपन से ही कलाकार बनना चाहते थे. मानों उन्हें रंगमंच उपहार में मिला हो. वह थिएटर में काम करते थे और गांव में होने वाले नाटकों में लड़की का किरदार निभाते थे. पंकज का नाटकीय किरदार इतना अव्वल हुआ करता था कि लोग उन्हें बॉलीवुड अभिनेत्रियों के लिए खतरा बताते थे. लेकिन थिएटर में अपनी कला को निखारने के लिए उनके पास पैसे नहीं थे इसलिए उन्होंने होटल में काम किया. हालांकि उनकी किस्मत भी यही चाहती थी.

ट्रैक्टर ना होने की कहानी

एक बार पंकज त्रिपाठी ने अपने एक इंटरव्यू में इस बात का ज़िक्र किया था कि कैसे उनके साथ हर एक चीज़ अच्छी ही हुई. एक समय में उनके परिवार के पास पैसा नहीं हुआ करता था. उनके पिताजी किसान थे और एक ट्रैक्टर लेना चाहते थे लेकिन पैसा ना होने की वजह से वह ऐसा नहीं कर पाए. हालांकि इसी एक वजह से पंकज अपना एक्टिंग करियर विकसित कर पाए.

एक हफ्ते तक गए जेल

पंकज त्रिपाठी की कहानी में रजनीति का भी बहुत बड़ा किरदार है. अपने कॉलेज के दिनों से ही वह राजनीति में काफी सक्रीय रहे. अभिनेता भाजपा के छात्र संगठन एबीवीपी का हिस्सा थे. एक बार उन्होंने किसी छात्र आंदोलन में ही हिस्सा लिया था जिस वजह से उन्होंने जेल में क़रीब एक हफ्ता बिताया था. साल 2004 में अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी) में अपना सफर शुरू किया और मुंबई आ गए. यहां से उनके सपनों को नई उड़ान मिली.

किस फिल्म से मिली सफलता?

एक समय था जब उनके घर का खर्चा केवल उनकी पत्नी को ही उठाना पड़ता था. लेकिन उस मुश्किल दौर में भी उन्होंने हार नहीं मानी और अपनी तैयारी जारी रखी. साल 2004 में आई ‘रन’ में छोटा सा किरदार मिला जिसके बाद से वह छोटे-छोटे किरदारों में नज़र आने लगे. इसके बाद से उनके 2012 में ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’ ने उनकी किस्मत चमकाई. उन्हें अपने किरदार से काफी प्रसिद्धि मिली और आज वह युवाओं में सबसे ज़्यादा पसंद किये जाते हैं.

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