मुंबई. Nushrratt Bharuccha हॉरर जॉनर और सामाजिक सन्देश को ध्यान में रखते हुए OTT प्लेटफार्म पर रिलीज़ हुई फिल्म्स का उच्चारण उतना शानदार नहीं रहा है। 26 नवंबर को प्राइम वीडियो पर एक बार फिर से हॉरर फिल्म के जरिये सामाजिक सन्देश देते हुए नुसरत भरुचा कि फिल्म ‘छोरी’ रिलीज़ कि गई है। डर और […]
मुंबई. Nushrratt Bharuccha हॉरर जॉनर और सामाजिक सन्देश को ध्यान में रखते हुए OTT प्लेटफार्म पर रिलीज़ हुई फिल्म्स का उच्चारण उतना शानदार नहीं रहा है। 26 नवंबर को प्राइम वीडियो पर एक बार फिर से हॉरर फिल्म के जरिये सामाजिक सन्देश देते हुए नुसरत भरुचा कि फिल्म ‘छोरी’ रिलीज़ कि गई है।
‘छोरी’ फिल्म सामाजिक बुराई कन्या भ्रूण हत्या को ध्यान में रखते हुए बनाई गई है। हालाँकि फिल्म के निर्देशक ने किसी भी जगह का नाम नहीं लिया है लेकिन फिल्म के किरदारों की बोली से यह साफ़ तौर पर समझा जा सकता है की फिल्म में बात हरयाणा की हो रही है। ‘छोरी’ एक ऐसी फिल्म जो डर और रोमांच से भरपूर है। फिल्म के प्लाट में एक गांव दिखाया गया है जहाँ जंगल के बीचो-बीच एक घर है, छोटे बच्चे हैं और बहुत ही कम लोग रहते हैं। फिल्म ‘छोरी’ सस्पेंस और डरावने सीन्स से भरपूर है और बतौर दर्शक आपको नज़रें टिकाये रखने पर मजबूर रखती है।
नुसरत भरुचा का किरदार साक्षी एक 8 महीने की गर्भवती महिला का है जिसमे वह अपने पति हेमंत के साथ अपनी ज़िन्दगी में बहुत खुश है लेकिन कुछ कारण से इस कपल को खुद को अपने बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए एक अनजान जगह पर शिफ्ट होते हैं। इस गांव का एक इतिहास है जहां कई भयानक किस्से दफ़न हैं। ‘छोरी’ एक डरावनी फिल्म है लेकिन साथ ही एक बहुत ज़रुरी सन्देश भी देती है।
‘छोरी’ फिल्म के निर्देशक विशाल फुरिया की यह फिल्म उनकी ही मराठी फिल्म ‘लपाछपी’ का रीमेक है। फिल्म ‘लपाछपी’ की कहानी का सार यह है की एक गर्भवती महिला एक ऐसे परिवार के बीच फंस जाती है जिनका अतीत बहुत ही भयानक और दिल दहला देने वाला है। नुसरत भरुचा ने फिल्म छोरी में साक्षी के किरदार में बेहतरीन काम किया है। एक अनजान गांव में अपने अजन्मे बच्चे को सुरक्षित रखने के लिए एक माँ के संघर्ष के किरदार को बखूबी निभाया है। फिल्म छोरी नुसरत के करियर में एक ऐसी फिल्म है जो बतौर एक्ट्रेस उनकी सबसे मुश्किल भूमिकाओं में से एक है।