मुंबई: 20 साल से भी पहले की बात है, पिछले दिनों के ट्रेंडसेटर निर्माता और निर्देशक राम गोपाल वर्मा का अंधेरी पश्चिम में वर्सोवा टेलीफोन एक्सचेंज के पास ‘फैक्ट्री’ नाम से दफ्तर हुआ करता था. हालांकि सुबह से लेकर शाम और देर रात तक दुनिया भर से आने वाले युवाओं का वहां मेला लगा रहता […]
मुंबई: 20 साल से भी पहले की बात है, पिछले दिनों के ट्रेंडसेटर निर्माता और निर्देशक राम गोपाल वर्मा का अंधेरी पश्चिम में वर्सोवा टेलीफोन एक्सचेंज के पास ‘फैक्ट्री’ नाम से दफ्तर हुआ करता था. हालांकि सुबह से लेकर शाम और देर रात तक दुनिया भर से आने वाले युवाओं का वहां मेला लगा रहता था. उसी मेले से निकले एक लड़के रोहित जुगराज से मुझे फैक्ट्री के अंदर रामगोपाल वर्मा ने मिलवाया और रोहित ने रामू की शागिर्दी में काम किया था. बता दें कि पहली फिल्म भी फैक्ट्री के लिए ही बनाई, लेकिन, ना ‘जेम्स’ चली और ना ही ‘सुपरस्टार’. रोहित ने पंजाबी सिनेमा की राह पकड़ी और वहां गिप्पी ग्रेवाल और दिलजीत दोसांझ के साथ मिलकर ‘जट्टा जेम्स बॉन्ड’ और ‘सरदारजी’ जैसी सुपरहिट फिल्में बनाईं.
50 मिनट के 6 एपिसोड वाले चमक के पहले सीज़न को रोहित जुगराज ने बड़ी मुश्किल से तैयार किया है. हिंदी सिनेमा में उनकी फिल्मों की गति बहुत तेज थी और शायद उनकी असफलता का एक कारण ये भी था. हालांकि शुरुआत में सीरीज़ धीमी लगती है, लेकिन जैसे ही इसके मुख्य किरदार काला का सफ़ेद अतीत सामने आता है, सीरीज़ गति पकड़ लेती है. बता दें कि ये वेब सीरीज रोहित जुगराज को एक अलग मुकाम पर ले जाने वाली है. ठीक उसी तरह जैसे आनंद तिवारी ने वेब सीरीज ‘बंदिश बैंडिट्स’ में एक ब्रांड बनाया था. हिंदी सिनेमा और ओटीटी क्षेत्र में संगीत की राजनीति के बारे में ज्यादा कहानियां नहीं हैं. दरअसल सिनेमा से लेकर लोक संगीत तक देशभर में दर्जनों ऐसी ही कहानियां हैं. जिन पर चमक जैसी और भी वेब सीरीज बननी चाहिए।
बता दें कि वो वेब सीरीज ‘चमक’ का नाम ओटीटी के ‘एनिमल’ के संदर्भ के तौर पर लिखा गया है. हालांकि ‘बंदिश बैंडिट्स’ के बाद ये दूसरी भारतीय वेब सीरीज है, जिसमें संगीत कहानी के मुख्य भूमिका के तौर पर आगे बढ़ता है, और रोहित जुगराज को सीरीज के निर्देशन के अलावा इसका संगीत रचने के लिए भी पूरे नंबर मिले हैं.
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