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Delhi Crime 2 : पहले सीजन से जुदा है इस बार की कहानी, फिर भी सामने आ गईं ये गलतियां

नई दिल्ली : शेफाली शाह हाल ही में आलिया भट्ट के साथ डार्लिंग में नज़र आई थीं. लेकिन उनके फैंस को तो उनकी ‘दिल्ली क्राइम 2’ का बेसब्री से इंतज़ार था. ये सीरीज हिंदी की बेस्ट सस्पेंस सीरीज में से एक मानी जाती है. इसके पहले सीजन ने तो धमाल मचा दिया था और दूसरे […]

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Delhi Crime 2 : पहले सीजन से जुदा है इस बार की कहानी, फिर भी सामने आ गईं ये गलतियां
  • August 31, 2022 5:05 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

नई दिल्ली : शेफाली शाह हाल ही में आलिया भट्ट के साथ डार्लिंग में नज़र आई थीं. लेकिन उनके फैंस को तो उनकी ‘दिल्ली क्राइम 2’ का बेसब्री से इंतज़ार था. ये सीरीज हिंदी की बेस्ट सस्पेंस सीरीज में से एक मानी जाती है. इसके पहले सीजन ने तो धमाल मचा दिया था और दूसरे सीजन के भी रिव्यु अच्छे ही आ रहे हैं. लेकिन कई लोगों ने पहले सीजन को ही बेस्ट बताया है. आइए एक नज़र डालते हैं उन बिंदुओं पर जो दूसरे सीजन को पहले के मुकाबले फीका बनाती है.

ये है कहानी

दूसरे सीजन की कहानी को समझते हैं. दिल्ली क्राइम 2 की कहानी ‘कच्छा-बनियान’ पर आधारित है. दिल्ली का ये गिरोह बुजुर्गों को निशाना बना रहा है बता दें, ये वो गिरोह है जो 90 के दशक में डकैती और हत्याओं को अंजाम देता था. सीरीज में कई साल बाद एक बार फिर ये गैंग एक्टिव हो गया है. अब इस गंभीर मामले को सुलझाने का जिम्मा डीसीपी वर्तिका चतुर्वेदी (शेफाली शाह) को दिया गया है. वर्तिका इस गुत्थी को इंस्पेक्टर भूपिंदर (राजेश तैलंग), आइपीएस नीति सिंह (रसिका दुग्गल), और सब इंस्पेक्टर जयराज (अनुराग अरोरा) के साथ सुलझाने के प्रयास करती दिखाई दे रही हैं. अब एक नज़र इस सीरीज की गलतियों पर भी दाल लेते हैं.

– नहीं कर पाते रिलेट

पहला सीजन 16 दिसंबर 2012 में हुए निर्भया कांड से जुड़ा हुआ था. निर्भया कांड एक सेंसिटव मुद्दा था, जो हर भारतीय के जहन में बसा हुआ है. लेकिन कच्चा-बनियान गिरोह की कहानी से आप दूसरे सीजन में इमोशनली कनेक्ट नहीं कर पाते. किसी भी एपिसोड का एक भी सीन नहीं है जिसे देख कर आप इमोशनल हो जायें.

-नहीं लगता डर

‘कच्छा-बनियान’ गैंग पर बेस्ड सीरीज का दूसरा भाग आपको डराने में भी असफल होता है जो पहले सीजन में नहीं था. है. दिल्ली क्राइम्स होने के बाद भी विलेन्स को इस तरह दिखाया गया है कि उन्हें देख कर मन में खौफ पैदा नहीं हो पाटा है.

 

-विलेन्स का कम स्क्रीन टाइम

नियम और कानून की बात करें, तो फिर दिल्ली क्राइम 2 में ‘कच्छा-बनियान’ गैंग के विलेन को अधिक स्क्रीन टाइम देने की जरूरत थी. जहां इस बार कहानी शेफाली शाह पर केंद्रित दिखाई दे रही है. ये निराश कर देने वाला है की साढ़े तीन घंटे की सीरीज में करीब 30 मिनट तक ‘कच्छा-बनियान’ गैंग को दिखाया गया है.

-लास्ट एपिसोड निराशाजनक

सीरीज का आखिरी एपिसोड एक अच्छे मोड पर शुरू होता है. एपिसोड की शुरुआत में ऐसा लगता है की आगे कुछ रोमांच है और मजा आने वाला है. लेकिन ये कहानी काफी बोरिंग कर देता है. क्योंकि स्क्रीन प्ले भी काफी कमजोर था और पहले से ही कहानी का बैकग्राउंड नहीं बनाया गया था.

 

-एक ही टोन पर घूमती है कहानी

इन सारे मुद्दों के अलावा दिल्ली क्राइम 2 में ज्यादा ट्विस्ट एंड टर्न फीका रहा. थ्रिलिंग मूमेंट कम होने के साथ-साथ पूरी सीरीज लगभग एक ही टोन पर दौड़ती दिखाई देती है. वहीं अगर बात की जाए शेफाली शाह की तो उनकी एक्टिंग कमाल की है लेकिन वह भी सीरीज में अधिकांश एक जैसा ही फेस बनाती नज़र आ रही हैं.

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