नई दिल्ली। ‘ये डिजिटल युग है, लगता है सब कनेक्टेड हैं। लेकिन शायद हम इतने अकेले पहले कभी नहीं थे’ ये लाइन फिल्म ‘खो गए हम कहां’ को संक्षिप्त में बयां करती है। जो बताती है कि हम सब काफी हद तक खो गए हैं। इस फिल्म की कहानी तीन दोस्तों के इर्द-गिर्द घूमती है। […]
नई दिल्ली। ‘ये डिजिटल युग है, लगता है सब कनेक्टेड हैं। लेकिन शायद हम इतने अकेले पहले कभी नहीं थे’ ये लाइन फिल्म ‘खो गए हम कहां’ को संक्षिप्त में बयां करती है। जो बताती है कि हम सब काफी हद तक खो गए हैं। इस फिल्म की कहानी तीन दोस्तों के इर्द-गिर्द घूमती है। जिनका किरदार अनन्या पांडे, सिद्धांत चतुर्वेदी और आदर्श गौरव निभा रहे हैं। फिल्म की कहानी जोया अख्तर और रीमा कागती ने लिखी है। वहीं फिल्म को अर्जुन वरैन सिंह द्वारा डायरेक्ट किया गया है।
फिल्म में सिद्धांत चतुर्वेदी ने इमाद नाम के एक लड़के की भूमिका निभाई है जो बाहर से बहुत शांत है लेकिन उसके अंदर कई गहरे राज छुपे हुए हैं। फिल्म में आदर्श गौरव, नील नाम के लड़के के रोल में लोगों को प्रभावित करते दिखाई देंगे। जो युवा पीढ़ी की भावनाओं को खूबसूरती के साथ सामने लाता है। वहीं अनन्या पांडे ने अहाना का रोल निभाया है जो इस फिल्म में कॉर्पोर्ट बिजनेस लेडी के रुप में दिखाई दी है। वो अपने ब्रेकअप से उबरने की कोशिश कर रही है। इसके अलावा फिल्म में कल्कि कोचलिन भी का भी छोटा सा रोल है लेकिन वो अपने कम स्क्रीन टाइमिंग को बाद भी बड़ा प्रभाव छोड़ने में कामयाब रही हैं।
फिल्म ‘खो गए हम कहां’ में अहाना, इमाद और नील तीन दोस्त हैं। ये तीनों ही अपनी लाइफ के हर बड़े पल को एक साथ सेलिब्रेट करते हैं। इन तीनों को लगता है कि वो अपनी बेस्ट लाइफ जी रहे हैं, जब तक कि सच्चाई सामने नहीं आती। फिल्म में ऑनलाइन डेटिंग से लेकर प्रभावशाली लोगों की जिंदगी उनके सोशल मीडिया पर लाइक और कमेंट का जुनून, स्टॉकिंग, हैकिंग और ट्रोलिंग जैस ऑनलाइन दुनिया के कई पहलुओं से जोड़ा गया है। अब फिल्म में ये देखना दिलचस्प होगा कि क्या ये तीनों दोस्त सच में वही हैं जो होने का दिखावा करते हैं? क्या सोशल मीडिया पर उनके द्वारा शेयर की गई हर पोस्ट उनकी हकीकत है? फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे ये तीनों अपनी वास्तविकता और अपनी सोशल मीडिया लाइफ में तालमेल बिठाते हैं। साथ ही खुद की कमजोरियों को भी उजागर करते हैं।
सोशल मीडिया पर इन्फ्लुएंसर कम्युनिटी युवी पीढ़ी को प्रभावित करती है। इस पहलू पर बहुत कम ध्यान दिया गया है। अनन्या सिंह ने एक इन्फ्लुएंसर का रोल निभाया है जो कि एक कैरिकेचर बनकर रह गया है। वहीं म्यूजिक की बात करें तो फिल्म का संगीत कुछ खास प्रभावित नहीं करता है। ‘खो गए हम कहां’ ना तो बहुत ज्यादा उपदेश देती है और ना ही आपको बोर करती है। फिल्म को 3.5 की रेटिंग मिली है।
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