नई दिल्ली : लंबे समय बाद कटरीना कैफ की बॉक्स ऑफिस पर वापसी हो गई. जहां इस बार वह अकेले नहीं आई हैं बल्कि सिद्धांत चतुर्वेदी और ईशान खट्टर की मस्ती को साथ लेकर आई हैं. जी हां! हम बात कर रहे हैं फिल्म फ़ोन भूत की जो आज सिनेमा घरों में रिलीज़ हो गई है. तो आइए जानते हैं कैसी है फिल्म और आपको इसे क्यों देखना चाहिए.
बॉलीवुड भूतिया कहानियों को लेकर हमेशा से ड्रामैटिक रहा है. लेकिन फ़ोन भूत को देखने के बाद आपको भी ऐसा लगेगा की फिल्म ने कुछ तो जेनर बदला है. फिल्म को देखने पर आपको ज़रा सा भी डर नहीं लगेगा बल्कि काफी हंसी आएगी. कहानी की बात करें तो फिल्म भूत प्रेत से काफी प्रेरित है जहां मेजर (सिद्धांत चतुर्वेदी) और गुल्लू (ईशान खट्टर) को एक पार्टी के दौरान कुछ ऐसा हो जाता है जिसके बाद से उन्हें भूत और आत्माएं दिखाई देने लगती हैं.
इन्हीं में से एक होती है पास रागिनी (कटरीना कैफ) की आत्मा जो उन्हें अपना बिज़नेस सुनाती है. इसके बाद तीनों आत्माओं को मुक्ति दिलाने का बिज़नेस करने लगते हैं. वहीं कहानी में आगे विलेन आत्माराम के किरदार में जैकी श्रॉफ दिखाई देते हैं जिन्होंने तो अपनी एक्टिंग से पूरी महफ़िल हो लूट ली है. रागिनी की मौत कैसी हुई? और क्या है उसकी कहानी ये जानने के बाद फ़िल्म कई सवालों से घिर जाती है जिसे जवाब जानने के लिए आपको खुद ये फिल्म देखनी चाहिए.
फिल्म के शुरुआती 2-5 मिनट ही माहौल बांध देते हैं और आप हंसी के ठहाके लगाना शुरू कर देंगे. डायलॉग्स काफी फनी हैं, जो आपको हंसाते हैं. जबरन फिल्म को खींचा नहीं गया है, जो अच्छी बात है और अधिकांश फिल्म ट्रैक पर ही है. ‘गुल्लू स्पेशल’की रेसिपी काफी बुरी लगती है लेकिन फिल्म में देखने में सारी चीज़ें मज़ेदार हैं.
हालांकि कुछ ऐसे एलिमेंट्स भी दिखाए गए हैं जिसमें आप रियल लाइफ से कनेक्ट कर पाएंगे. जैसे पिता की बच्चों के फ्यूचर के लिए चिंता और सख्त होना जैसे पारिवारिक मूल. फिल्म का वॉयसओवर काफी शानदार है, खास तौर पर इंटरवेल के समय जिसे सुनकर आप अपनी हंसी नहीं रोक पाएंगे. फिल्म में कुछ सरप्राइज़ भी हैं जो आपको फिल्म देखने पर ही पता चलते हैं.
फिल्म की कई चीज़ें और भी बेहतर हो सकती थीं. जैसे फिल्म में कई जगह वाट्सएप जोक्स हैं जो काफी बार सुने सुनाए हैं. कुछ सीन्स पुरानी फिल्मों से लिए गए हैं. रागिनी और दुश्यंत की लव स्टोरी में डेप्थ महसूस नहीं होता है. पहला पार्ट स्ट्रॉन्ग है, लेकिन फिल्म का दूसरा पार्ट कमतर साबित होता है. वीएफएक्स कार्टून नेटवर्क जैसे हैं, और आखिरी में तो काफी खराब हैं. इसके अलावा कुछ तकनीकी मुद्दों पर फिल्म अच्छी हो सकती थी. फिल्म का जेनर हॉरर कॉमेडी है लेकिन फिल्म में कॉमेडी ही दिखती है डर नहीं लगता है.
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