पद्मावत की अपार सफलता के बाद भी जारी है करणी सेना का विरोध, कहा- भारत में तो सनी लियोनी को भी समर्थन मिल जाता है

संजय लीला भंसाली कि फिल्म पद्मावत बहुत महीनों से विवाद में रहने के बाद आखिरकार 25 दिसंबर को रिलीज हो गई. रिलीज होने के बाद इस फिल्म को देश में क्या विदेशों में भी बहुत पसंद किया जा रहा है. साथ ही लोगों का अच्छा समर्थन भी मिल रहा है. लेकिन करणी सेना कि नाराजगी अभी भी खत्म होने का नाम नही ले रही है. करणी सेना तो पद्मावत को रिलीज होने और मिल रहे समर्थन के बाद भी बैन करवाना चाहती है.

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पद्मावत की अपार सफलता के बाद भी जारी है करणी सेना का विरोध, कहा- भारत में तो सनी लियोनी को भी समर्थन मिल जाता है

Aanchal Pandey

  • January 31, 2018 12:06 pm Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

मुंबई. संजय लीला भंसाली की विवादित फिल्म पद्मावत को लेकर करणी सेना की नाराज़गी खत्म नहीं हो रही है. फिल्म के रिलीज होने और अपार सफलता मिलने के बाद भी करणी सेना से जब पद्मावत की सफलता को लेकर सवाल पूछे गए तो उन्होंने कहा कि यह भारत है और यहां सनी लियोनी को भी समर्थन किया जाता है. बता दें कि इतिहासकारों और आम दर्शकों के द्वारा मिल रही शानदार प्रतिक्रियाओं के बाद भी करणी सेना यह मानने को तैयार नहीं है कि फिल्म में तथ्यों से कोई छेड़छाड़ नहीं की गई है.

करणी सेना के अनुसार, पद्मावत की वजह से राजपूत समाज की भावनाएं आहत हुई हैं. इस मामले को सुलझाने के लिए पंडित श्री श्री रविशंकर ने सुलह करने की कोशिश की और जयपुर के अग्रवाल पीजी कॉलेज के प्रिसिंपल आर एस खंगारोत और रिटायर्ड इतिहास प्रोफेसर बी एल गुप्ता को बेंगलुरु में इस फिल्म को देखने के लिए बुलाया था. खंगारोत ने इस फिल्म को देखने के बाद दावा किया कि इस फिल्म का इतिहास से कुछ लेना देना नहीं है और इस फिल्म से किसी भी समुदाय की भावनाएं आहत नहीं होती है.

बी एल गुप्ता ने भी खंगारोत की बात का समर्थन किया और फिल्म को किसी भी समुदाय के विरुद्ध नहीं बताया. लेकिन करणी सेना के प्रवक्ता विजेंद्र सिंह ने कहा कि वो इस बात से सहमत नहीं है. उन्होंने कहा, “हमें यह जानने की ज़रुरत है कि उन्होंने ये बात किस संदर्भ में कही है. अगर इन दोनों ही लोगों ने फिल्म पर आपत्ति जता दी होती तो क्या भंसाली फिल्म की रिलीज़ रोक लेते?”. साथ ही उन्होंने फिल्म में इतिहास से छेड़छाड़ का आरोप लगाते हुए कहा कि “गर्भवती महिलाएं कभी भी जौहर नहीं करतीं. लेकिन फिल्म में ऐसा दिखाया गया है. इसके अलावा जब अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ पर आक्रमण किया, तब वो 55 साल का था. लेकिन फिल्म में उसे युवा और ताकतवर दिखाया गया है. इसके साथ ही खिलजी के सैनिक चित्तौड़गढ़ के दरवाज़े तोड़ नहीं पाए थे, लेकिन फिल्म में इसके उलट दिखाया गया है.”

विजेंद्र सिंह ने आगे कहा, “खिलजी इस किले के दरवाजे को अपने साथ लेकर दिल्ली आ गया था और फिर भरतपुर के राजा सूरजमल 400 सालों बाद उस दरवाजे को वापस लेकर आए थे. लेकिन फिल्म में दिखाया गया है कि खिलजी ने उस दरवाजे को तोड़ दिया था. फिल्म के अंदर खिलजी को महा रावल रतन सिंह को उनके ही दुर्ग में आकर चुनौती देते दिखाया गया है, लेकिन क्या यह संभव है?”. जब उनसे यह कहा गया कि पद्मावत को बॉक्स ऑफ़िस पर कमाई भी मिल रही है और बाहर अच्छा समर्थन मिल रहा है तो विजेंद्र सिंह ने पलट कर जवाब देते हुए कहा कि, “ये भारत है, यहां तो सनी लियोनी को भी समर्थन मिल जाता है.”

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