'फिरंगी' रिव्यू: कपिल शर्मा की फिल्म 'फिरंगी' आज रिलीज हो गई है. अगर आप कपिल शर्मा फैन हैं, और उनको ब़ड़े परदे पर देखने के लिए पैसे खर्च करने को तैयार भी हैं, तो आप बहुत ज्यादा निराश नहीं होंगे, लेकिन अगर आप नहीं है तो भी निराश होने की जरूरत नहीं है. फिरंगी 1921 की कहानी है यानी असहयोग आंदोलन के वक्त की.
मुंबई: अगर आप कपिल शर्मा फैन हैं, और उनको ब़ड़े परदे पर देखने के लिए पैसे खर्च करने को तैयार भी हैं, तो आप बहुत ज्यादा निराश नहीं होंगे, लेकिन अगर आप नहीं है तो भी निराश होने की जरूरत नहीं है. इसी फिल्म को थोड़ा छोटा कर दिया गया होता या और कोई बड़ा स्टार होता तो ये फिल्म फिरंगी सुपरहिट होती. लेकिन एक्सपेंरीमेंटल और कपिल शर्मा के फैंस को ये फिल्म जरूर देखनी चाहिए. ये अलग बात है कि पडोसन के सुनील दत्त की तरह जरूरत से ज्यादा इन्नोसेंट बनने के चक्कर में कई बार कपिल बड़े परदे के स्टार की जगह नहीं ले पाए हैं. फिर भी मजबूत सपोर्टिंग कास्ट और म्यूजिक के चलते फिल्म पर मेहनत दिखती है.
फिरंगी फिल्म की कहानी आपको लगान की तरह लगेगी, शुरूआत अमिताभ बच्चन की आवाज से होती है तो ये और लगान जैसी लगती है. दोनों ही फिल्मों में अमिताभ बच्चन सूत्रधार थे. हालांकि सैटअप गैटअप कुछ कुछ वैसा ही था, बस फिरंगी 1921 की कहानी है यानी असहयोग आंदोलन के वक्त की. लगान की तरह ही एक राजा है, लेकिन ये लम्पट राजा है, जो ज्यादा बीवियां रखने की इजाजत मिलने पर लोगों पर टैक्स बढ़ाने की अंग्रेजों की मांग मान लेता है. फिल्म का दूसरा अहम किरदार है उस राज्य का ब्रिटिश एंजेंट डेनियल जो राजा की ऑक्सफोर्ड में पढ़ रही बेटी श्यामली (मोनिका गिल) से शादी करना चाहता है, एक गांव को हटाकर राजा के साथ पार्टनरशिप में एक फैक्ट्री खोलना चाहता है. कपिल शर्मा एक बेरोजगार मंगत के रोल में है, जो पुलिस में भर्ती होना चाहता है. फनी पार्ट ये है कि मंगत को उलटा पैदा होने की वजह से लोगों की कमर में लात मारकर कमरद्रर्द सही करने की देवीय कृपा हासिल है.
उसी कमाल के चलते वो डेनियल के कमर की नस ठीक करता है और डेनियर उसे अपने यहां अर्दली की नौकरी पर रख लेता है. बगल के एक गांव की लड़की सर्गी (इशिता( से मंगत को प्यार हो जाता है, लेकिन उसके दादा लालाजी (अंजन श्रीवास्तव) गांधीवादी हैं, उनको एक अंग्रेज के नौकर का शादी का प्रस्ताव अपनी नातिन के लिए पसंद नहीं आता. जब राजा और डेनियल की फैक्ट्री के लिए सर्गी के गांव को हटाने की बात मंगत को पता चलती है तो वो उन्हें खुश करने के लिए डेनियल से बात करता, राजा डेनियल के साथ मिलकर साजिश करता है, मंगत के जरिए गांव वालों को बुलवाकर शराब में बेहोशी की दवा मिलाकर जमीन के कागजातों पर उनके अंगूठे लगवा लेता है. अब गांव वालों के निशाने पर आया मंगत यानी कपिल शर्मा कैसे गांव वालों को मुसीबत से निकालकर अपनी मोहब्बत वापस पाकर राजा और ब्रिटिश एंजेंट दोनों से लड़ता है ये फिल्म में दिखाया गया है. क्लाइमेक्स काफी ड्रामेटिक है.
एक बात तो तय है कि फिल्म की सपोर्टिंग कास्ट काफी ठीक थी, अंजन श्रीवास्तव, राजेश शर्मा, जमील खान, कुमुद मिश्रा और इनामुल हक ही नहीं डेनियल के रोल में एडवर्ड सोनेब्लिक की एक्टिंग भी दमदार थी. फर्स्ट हाफ में फिल्म स्टेबलिश होने में थोडा वक्त लेती है और उसको कम किया जा सकता था, लेकिन उसके बाद आप फिल्म को बीच मे छोड़कर नहीं उठ सकते थे, मान सकते हैं कि कपिल के साथ डायरेक्टर राजीव ढींगरा ने भी कम मेहनत नहीं की. हालांकि लगान की छाप आपको बीच बीच में फिल्म पर दिखती है, लगान की एलिजाबेद की तरह की राजा की बेटी के रोल में मोनिका गिल भी हीरो की मदद करती है, हालांकि वो इंडियन कम ब्रिटिश ज्यादा लगती है. फिल्म को लेंथ के अलावा कमजोर करता लगता है तो वो है कपिल शर्मा का कई सीनों में बेचारे जैसा किरदार. जबकि वो वहां फनी और विटी हो सकते थे, अपने शो वाले कपिल शर्मा की तरह. कुछ सींस में दिखे भी हैं, ऐसे में वो बेचारे कपिल और विटी कपिल के बीच सैंडविच बन गए हैं, गंगाधर कब शक्तिमान बन जाता है पता नहीं चल पाता, लेकिन लोगों को कन्फ्यूज जरूर करता है.
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