नई दिल्ली: हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध गीतकार और स्क्रीन राइटर जावेद अख्तर, अपने बेबाक अंदाज़ के लिए जाने जाते हैं। जावेद अख्तर ने ‘शोले’ और ‘दीवार’ जैसी फिल्मों में कई यादगार गाने लिखे हैं। वहीं हाल ही में उन्होंने अपने नास्तिक विचारधारा के पीछे की वजह पर खुलकर बात की। जावेद अख्तर ने एक इवेंट […]
नई दिल्ली: हिंदी सिनेमा के प्रसिद्ध गीतकार और स्क्रीन राइटर जावेद अख्तर, अपने बेबाक अंदाज़ के लिए जाने जाते हैं। जावेद अख्तर ने ‘शोले’ और ‘दीवार’ जैसी फिल्मों में कई यादगार गाने लिखे हैं। वहीं हाल ही में उन्होंने अपने नास्तिक विचारधारा के पीछे की वजह पर खुलकर बात की। जावेद अख्तर ने एक इवेंट के दौरान अपने विचार साझा करते हुए बताया कि वे धार्मिक विचारधारा से कैसे अलग हुए।
जब उनसे पूछा गया कि वे धार्मिक क्यों नहीं हैं और वह कैसे धर्म से दूर है, तो उन्होंने जवाब दिया कि यह उनकी तर्कशील और वैज्ञानिक सोच का परिणाम है। जावेद अख्तर ने कहा, “हमारे पास तर्क उर्फ़ लॉजिक हैं, लेकिन बचपन में हमें धार्मिकता की तरफ मोड़ने की कोशिश की जाती है। जब हम बच्चे होते हैं, तो हमारे पास कोई दूसरा रास्ता नहीं होता था, जिससे हमारे दिमाग का एक हिस्सा प्रभावित हो जाता है।”
जावेद अख्तर ने कहा कि जो लोग समाज द्वारा स्थापित नियमों से हटकर स्कॉटिफिक अप्रोच अपनाते हैं, उन्हें सजा दी जाती है। उन्होंने इसे ‘स्प्लिट पर्सनैलिटी’ का नाम देते हुए कहा कि 20वीं और 21वीं सदी के लोग दोहरी मानसिकता के शिकार हैं। इस विषय पर उन्होंने चांद का उदाहरण दिया, “हमारे देश में ISRO जैसे संगठन चांद पर रॉकेट भेजते हैं, लेकिन हम फिर भी चांद को धार्मिक दृष्टि से देखते हैं। जब रॉकेट सफलतापूर्वक पहुंचता है, तो हम मंदिर जाकर पूजा करते हैं। यह लोगों की दोहरी मानसिकता है।”
जावेद अख्तर ने आगे कहा कि सभी धर्म अंधकार युग से जुड़े हुए हैं और उनकी जड़ें उसी युग में धंसी हुई हैं। उन्होंने बताया कि मानव इतिहास में पहली बार ऐसा हो रहा है कि वैज्ञानिक का ज्ञान और धार्मिक सोच एक-दूसरे से मेल नहीं खा रहे हैं। उन्होंने कहा, “लोगों की गर्भनाल अभी भी अंधकार युग से जुड़ी हुई है, जिसे काटने की जरूरत है।” जावेद अख्तर इस जवाब से यह तो साफ है कि वे धर्म पर आधारित अंधविश्वासों और पुरानी सोच के खिलाफ हैं.
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