कल्याणी को आरोही बचा नही पाती है विराज छुपकर कल्याणी पर हमला कर देता है जिसके बाद आरोही घर में तारा बनकर विराज पर गोली चला देती है लेकिन विराज बच जाता है आरोही जो तारा बनकर घर में रह रही है कहती है कि वो अब खून खराबा नही चाहती है.
नई दिल्ली : जेल में कल्याणी ने आरोही की काफी मदद की थी जिसे आरोही नही भुलती है और वो कल्याणी मौसी को बचाने के लिये अपनी जान से भी खेल जाती है. केसरी बनकर वो कल्याणी को बचाने के लिये मौसी का फोन लेकर मंदिर में दीप को बुलाती है लेकिन जैसे ही कल्याणी आरोही के पास आती है सबूल लेते ही कल्याणी पर हमला हो जाता है और कल्याणी की मौत हो जाती है. आरोही देखती है कि विराज ने छुपकर कल्याणी पर हमला किया था. दीप विराज को लेकर वहां से चला जाता है घर में दीप विराज और रोमा कल्याणी की मौत का जश्न मनाते हैं लेकिन आरोही तारा बनकर घर में पहुंच जाती है वो रोमा के पति से कहती है की वो कल्याणी को नही बचा पाई लेकिन अब वो घर के किसी को नही छोड़ेगी. तारा बनी आरोही बंदूक लेकर घरवालों के सामने जाती है और कहती है कि कल्याणी को मारने के जुर्म में वो विराज को जान से मार डालेगी. घर वाले अचंभे में पड़ जाते हैं जहां कल्याणी को अपने पिता का गुनहगार मानने वाली तारा आज उसकी मौत का बदला अपने सगे भाई से लेने आई है.
तारा कहती है कि वो बदल गई है और अब वो कोई खून खराबा करने के मूड में नही है और नही चाहती है कि घर वाले भी अब किसी को मारे क्योंकि एक यही तरिका है जिससे आरोही अपने अपनों की लगातार हो रही मौत को रोक सकती है. पहले भाई फिर भाभी और निक्कू के बाद अब कल्याणी की मौत से आरोही काफी दुखी है.
चिल्लर पार्टी के चंगुल से तारा भाग निकलती है और वो आरोही के सामने आकर खड़ी हो जाती है. दोनो में नोकझोक होती है लेकिन अचानक वहां दीप आ जाता है. पर क्या दीप के आने से पहले एक बार फिर आरोही सबकुछ संभाल लेती है या फिर तारा ने आरोही का काम तमाम कर दिया.