हाल के दिनों में सिनेमाघरों में पुरानी फिल्मों को री-रिलीज़ करने का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। वहीं क्या आपने सोचा है फिल्म के रि-रिलीज़ के बाद कमाई किसके हिस्से में जाती है?
नई दिल्ली: हाल के दिनों में सिनेमाघरों में पुरानी फिल्मों को री-रिलीज़ करने का ट्रेंड तेजी से बढ़ रहा है। वीर जारा, तुम्बाड़, हम आपके हैं कौन, शोले रॉकस्टार जैसे कई फिल्में दोबारा रिलीज़ होने पर बड़े पर्दे पर अच्छी कमाई कर रही है. मल्टीप्लेक्स चेन आईनॉक्स और आईमैक्स की रिपोर्ट के अनुसार, मौजूदा समय में दर्शकों की संख्या में गिरावट देखी जा रही है। ऐसे में पुरानी फिल्मों के कम टिकट दाम के कारण लोग इन्हें देखने आते हैं, जिससे सिनेमाघरों की कमाई हो जाती है. वहीं क्या आपने सोचा है फिल्म के रि-रिलीज़ के बाद कमाई किसके हिस्से में जाती है?
कई बार फिल्में अपने समय पर उतनी सफल नहीं हो पातीं, लेकिन समय के साथ गानों या किसी सीन के वायरल होने से दर्शकों में उनकी लोकप्रियता बढ़ जाती है। ऐसे में निर्माता सोचते हैं कि फिल्म को फिर से रिलीज कर उसकी कमाई बढ़ाई जा सके। इसके अलावा फिल्मों को खास अवसरों जैसे किसी अभिनेता या निर्देशक की जयंती, फिल्म की सालगिर या त्योहारों पर भी रिलीज किया जाता है।
पुरानी फिल्मों को नई तकनीकों जैसे 3D, IMAX और Dolby Atmos के साथ पेश करने का भी ट्रेंड काफी बढ़ा है। इससे दर्शकों को बेहतर अनुभव मिलता है और फिल्म को मुनाफा होता है.
री-रिलीज फिल्मों से होने वाली कमाई का बड़ा हिस्सा निर्माता और डिस्टबूटर को जाता है। निर्माता फिल्म का निर्माण करता है, जबकि डिस्टबूटर इसे सिनेमाघरों तक पहुंचाते हैं। इनके बीच कमाई का बंटवारा सहमति के आधार पर होता है, जो आमतौर पर 50-50 या 60-40 के अनुपात में तय होता है। इसके साथ ही सिनेमा हॉल के मालिकों को भी टिकट बिक्री का एक हिस्सा मिलता है। इसके अलावा मर्चेंडाइज, साउंडट्रैक और डिजिटल अधिकारों से हुई कमाई का लाभ भी निर्माता और डिस्टबूटर के बीच बांटा जाता है।
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