मुंबई: युवा दिलों पर राज करने वाले हनी सिंह एक वक़्त के लिए अचानक लाइमलाइट से गायब हो गए, करियर के अच्छे दौर में ऐसी गुमशुदगी किसी को समझ नहीं आई, लेकिन कहा जाता है कि जिस पर गुज़रती है…. वही समझता है. इस मुश्किल दौर से लौटने के बाद, हनी सिंह ने इसके बारे […]
मुंबई: युवा दिलों पर राज करने वाले हनी सिंह एक वक़्त के लिए अचानक लाइमलाइट से गायब हो गए, करियर के अच्छे दौर में ऐसी गुमशुदगी किसी को समझ नहीं आई, लेकिन कहा जाता है कि जिस पर गुज़रती है…. वही समझता है. इस मुश्किल दौर से लौटने के बाद, हनी सिंह ने इसके बारे में खुलकर बात की, जिसमें बताया गया कि कैसे उनकी मानसिक स्थिति खराब हो गई थी। वह गहरे डिप्रेशन में थे और उनके मन में आत्मघाती विचार आ रहे थे। मेडिकल साइंस में इस तरह की मानसिक स्थिति को बाइपोलर डिसऑर्डर कहा जाता है। आखिर क्या है ये बीमारी, आइए जानें…
आपको बता दें, बाइपोलर डिसऑर्डर एक तरह की मानसिक स्थिति है, जिसमें मन कई हफ्तों, महीनों या सालों तक लगातार बहुत उदास या उत्तेजित रहता है। इस बीच मन में ऐसे विचार आते हैं कि ये आत्मघाती हो सकते हैं या किसी दूसरे व्यक्ति को नुकसान पहुंचा सकते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार खासकर 14 से 19 साल की उम्र के बीच इस बीमारी के होने की संभावना अधिक होती है, हालांकि इस उम्र से पहले और बाद में भी लोग इस विकार के शिकार हो सकते हैं। 40 साल की उम्र के बाद इस बीमारी के होने की संभावना न के बराबर होती है। ख़ासियत यह है कि इस बीमारी से पुरुष और महिला दोनों समान रूप से प्रभावित होते हैं। डॉक्टरों का मानना है कि शरीर में डोपामाइन हार्मोन के असंतुलन के कारण इस बीमारी की संभावना अधिक होती है।
आपको बता दें, बाइपोलर डिसऑर्डर की दो अवस्थाएं होती हैं, आम तौर पर इसमें डिप्रेशन, उदासी, किसी भी काम में मन न लगना, काम करने की क्षमता में कमी, बुरे विचार, घर से बाहर न निकलने की इच्छा, कमरे में बंद हो जाना जैसे लक्षण शामिल है। लेकिन जब ये ठीक नहीं होते हैं और बीमारी एक खतरनाक रूप धारण कर लेती है और घातक हो जाती है। पीड़िता के कानों में तेज आवाजें सुनाई देती हैं, वह बहुत डर जाता है। वह सो नहीं सकता है और वह भूखा-प्यासा रहने लगता है। मानसिक स्थिति ऐसी हो जाती है कि आप किसी भी समय आत्महत्या भी कर सकते हैं। बाइपोलर डिसऑर्डर एक गंभीर समस्या बनता जा रहा है, खास बात यह है कि ज्यादातर लोग इसे सही समय पर पहचान नहीं पाते हैं, स्थिति बिगड़ने पर डॉक्टर के पास जाते हैं। इसी तरह हर साल भारत में करीबन 1 करोड़ बाइपोलर डिसऑर्डर के मामले सामने आते हैं।
पीड़ित के लक्षणों से ही इसकी पहचान हो जाती। साथ ही डॉक्टर मरीज़ के कुछ टेस्ट भी करा सकता है. ताकि यह स्पष्ट हो सके कि पीड़ित की मानसिक स्थिति क्या है। डॉक्टर आपसे आपके परिवार की स्थिति, आपके सोचने के तरीके, आपके दिमाग में आने वाले विचार, नशे की आदत, या आपके द्वारा पहले से ली जा रही दवाओं के बारे में पूछ सकता है।
गंभीर बाइपोलर डिसऑर्डर में मरीज़ व्यक्ति होश भी खो सकता है। हनी सिंह खुद भी रॉ स्टार फिल्म के सेट पर बेहोश हुए थे, एक इंटरव्यू में हनी सिंह ने कहा था कि उन्हें लगा कि उनके दिमाग में कुछ गड़बड़ है, लेकिन वह बाइपोलर डिसऑर्डर की शिकार हैं, इसका पता 2014 में चला। गया। पांच साल के इलाज के बाद अब हनी सिंह वापस आ चुके हैं।