Amitabh Bachchan 76th birthday: अमिताभ बच्चन का 11 अक्टूबर को अपना 76 वां जन्मदिन सेलीब्रेट कर रहे है. ऐसे में सोशल मीडिया पर उनके फैंस उनको जनन्मदिन की शुभकामना दें है. अमिताभ बच्चन के फैंस के लिए 11 अक्टूबर का दिन बेहद खास होता है. अमिताभ बच्चन के फैंस के लिए 11 अक्टूबर को किसी त्योहार की तरह मनाते है. चलिए जानते अमिताभ बच्चन जी जन्मदिन पर उनके पिता द्वारा लिखी हुई कहानी
बॉलीवुड डेस्क, मुंबई. Happy Birthday Amitabh Bachchan: जब हरिवंश राय बच्चन दिल्ली से रिटायर हो गए, तो बेटे अमिताभ के आग्रह पर वो मुंबई चले आए. अमिताभ के मकान मालिक ने भी दो कमरे ऊपर बनवा लिए, इधर अजिताभ भी मुंबई मे सैटल होने की सोच रहे थे नौकरी छोड़कर अपना बिजनेस करने के लिए. तो पूरे परिवार को एक साथ रहने का सालों बाद मौका मिल रहा था. 1972 अप्रैल में छत नए बने कमरों में तेजी बच्चन और मई में अजिताभ बच्चन भी शिफ्ट हो गए. ऐसे में 11 अक्टूबर 1972 को अमिताभ बच्चन का जन्मदिन आया, उस मौके पर हरिवंश राय बच्चन ने बेटे के लिए एक दिलचस्प कविता लिखकर तोहफे में दी, जिसमें पहली बार अमिताभ को लुगाई यानी पत्नी लाने के लिए आशीर्वाद दिया गया था.
उस कविता को पढ़िए—
प्रिय अमित, हुए तुम तीस
हमारा प्यार,
बधाई तुमको
देने आई आशीष
राधिका बनी
कन्हाई तुमको
वरमाला पिन्हाए शीघ्र
तुम्हारी कीर्ति-
लुगाई तुमको।
साफ था अब रिटायरमेंट के बाद तेजी और हरिवंश राय बच्चन अपने बच्चों की शादी करने की अभिलाषा रखते थे और उससे भी ज्यादा शायद उनके बच्चों के साथ खेलने, गोद में खिलाने की. ऐसे में अमिताभ बड़े थे, सो कविता के जरिए उनको अपनी ये अभिलाषा पापा बच्चन ने व्यक्त की थी. ये दिखने में आम कविता लग रही है, लेकिन थी नहीं, इस कविता में सबसे खास बात थी तीन पदों की मात्राओं को गिन लिया जाए तो संख्या होती है तीस, यानी अमिताभ की उस वक्त उम्र, तीस साल के हो गए थे अमिताभ.
दूसरे इसी कविता में बच्चन ने अपने उपहार के बारे में भी लिखा, वो थी राधिका बनी कन्हाई की मूर्ति. जिसमें राधा ने कृष्ण का रूप धारण किया हुआ है. अमिताभ भी शायद अपने कवि पिता के इस उपहार और कविता के पीछे छिपी भावनाओं को समझ गए थे, तभी तो उसी साल उनकी जिंदगी में आई जया बच्चन धीरे धीरे उनके लिए अहम होती चलीं गईं. ये भी काफी दिलचस्प है कि राधा की कन्हाई किरदार की तस्वीर तो पापा ने अमिताभ को दे दी, लेकिन ये नहीं पता था कि जो लडकी अमिताभ की जिंदगी में आएगी, उसमें भी वही बात होगी. हरिवंश राय बच्चन ने जया के बारे में अपनी आत्मकथा में लिखा है कि उनके चेहरे पर नारी सुलभ लाज तो थी ही नहीं, केवल शादी के दिन ही दिखी. दरअसल वो कई महीनों से रोज सा उनके घर आ रही थीं, सो लाज वगैरह गायब सी हो गई थी तब तक.
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