Guru Dutt 94th Birth Anniversary: भारतीय सिनेमा के जिंदादिल सुपरस्टार गुरुदत्त जिन्हें जिंदगी से प्यार न था

Guru Dutt 94th Birth Anniversary: गुरुदत्त न जाने कितने साल उस शोहरत में गुजार चुके थे कि 9 जुलाई 1925 को दुनिया में आए गुरुदत्त 10 अक्टूबर 1964 में अचानक दुनिया को अलविदा कह गए. 2 बार पहले भी सुसाइड की कोशिश कर चुके थे. लेकिन ''क्यों'' वो आज तक भी राज है.

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Guru Dutt 94th Birth Anniversary: भारतीय सिनेमा के जिंदादिल सुपरस्टार गुरुदत्त जिन्हें जिंदगी से प्यार न था

Aanchal Pandey

  • July 8, 2019 10:56 pm Asia/KolkataIST, Updated 5 years ago

बॉलीवुड डेस्क, मुंबई. आज सिनेमा डिजिटल है, फिल्मों में टेक्नॉलोजी की चकाचौंध है लेकिन एक समय था, जब ”पिक्चर” बनाई जाती थीं. यही वो समय था जब भारतीय सिनेमा उभरने की कोशिशों में लगा हुआ था. इसी दौर में गुरुदत्त का नाम भी उन क्रांतिकारियों में शामिल हो गया जो ”फिल्म” और समाज के बीच दूरियां खत्म करना चाहते थे. आखिर वो कामयाब हुए और लोगों की जुबान पर गुरुदत्त का नाम अब शहर की हर गली में लिया जाने लगा. 50 और 60 के दशक में आई प्यासा, कागज का फूल और चौधवीं का चांद जैसी कई फिल्मों ने गुरुदत्त को शोहरत के सबसे ऊंचे आसमान पर ला दिया. 39 साल के गुरुदत्त न जाने कितने साल उस शोहरत में गुजार चुके थे कि अचानक सब खत्म हो गया. 9 जुलाई 1925 को दुनिया में आए गुरुदत्त 10 अक्टूबर 1964 में दुनिया को अलविदा कह गए. इससे पहले भी 2 बार सुसाइड की कोशिश कर चुके थे. क्यों वो आज तक भी राज है, हां वैसे उनके जानकार कहते हैं कामयाबी के शिखर पर पहुंचकर नशे की लत में गिरफ्तार हो चुके थे जो शायद मौत की वजह भी बनी हो.

गुरुदत्त को वहीदा रहमान ने कहा था ”कुछ लोग कभी संतुष्ट नहीं रह सकते”

”चौहदवीं का चांद हो या आफताब हो” गाना तो फिल्म का है लेकिन लगता है कि जैसे गुरुदत्त असलियत में वहीदा जी से दिल की बात कह रहे हों. एक जमाना था, जब वहीदा रहमान और गुरुदत्त एक- दूसरे को वक्त देने लगे थे. हालांकि, उस समय गुरुदत्त शादीशुदा थे लेकिन न जाने क्यों दिल की सुनते जा रहे थे. समय समुद्र की लहरों की तरह धीरे-धीरे रेत की ओर बढ़ रहा था कि अचानक वहीदा रहमान ने गुरुदत्त से दूरी बनानी शुरू कर दी. चाहती तो गुरुदत्त से शादी कर लेतीं लेकिन उन्होंने गुरु को पत्नी गीता के लिए छोड़ दिया. वहीदा रहमान ने गुरुदत्त को छोड़ा और एक साल बाद ही वे दुनिया छोड़ गए.

गुरुदत्त की अचानक मौत पर कहा ये भी जा रहा था कि वे अपनी फिल्म कागज के फूल की असफलता झेल नहीं पाए. लेकिन उनकी मौत के बाद एक इंटरव्यू में वहीदा रहमान ने इस बात को सिरे से नकार दिया. वहीदा रहमान ने गुरुदत्त की मौत का कारण उनकी आत्महंता प्रवृति को दिया. वहीदा रहमान ने कहा ”गुरु दत्त को कोई नहीं बचा सकता था, उन्हें खुदा ने सबकुछ बख्शा लेकिन संतुष्टि नहीं दी, कुछ लोग कभी संतुष्ट नहीं रह सकते, जो चीज जिंदगी उन्हें नहीं दे पाती तो उसकी तलाश मौत से होती है, उनमें बचने की कोई चाह नहीं थी. मैंने भी उन्हें समझाया था कि जिंदगी में सबकुछ नहीं मिल सकता और मौत हर सवाल का जवाब नहीं.

एक तरफ ”चौहदवीं का चांद” की सफलता पार्टी, दूसरी तरफ ठीक से खड़े भी नहीं हो पा रहे थे गुरुदत्त

आखिर सालों की गुरुदत्त की मेहनत रंग लाई थी और चौहदवीं के चांद को लोगों ने काफी पसंद किया था. हर जगह गुरुदत्त की चर्चा की जा रही थी, लोग उनसे मिलना चाहते थे. इस दौरान उनके साथ काम कर चुके एक करीबी बताते हैं कि कलकत्ता में फिल्म रिलीज के दौरान एक सिनेमाघर में कार्यक्रम रखा गया था जहां गुरुदत्त को भी पहुंचना था. दूसरी तरफ, न जाने किस चिंता में गुरुदत्त कितनी ही नींद की गोलियां खा चुके थे. हालत ऐसी भी नहीं कि सही से चल फिर सके.

गुरुदत्त की बेहद खराब नशे की हालत को देखते हुए भी फिल्म की टीम ने उन्हें साथ ले जाने का फैसला किया. स्टेज पर उनके साथ जॉनी वाकर, अभिनेता रहमान, शकील बदायूंनी साहब समेत कई लोग पहुंच गए. लोगों को फिल्म से जुड़ी तमाम कहानियां सुनाई गईं लेकिन भीड़ तो सुपरस्टार को सुनना चाह रही थीं. कुछ ही देर में भीड़ ने ‘वी वांट गुरुदत्त, वी वांट गुरुदत्त’ बोलना शुरू कर दिया. किसी तरह गुरुदत्त ने माइक पकड़ा और फैन्स को अभिवादन किया. लेकिन उनकी हालत इतनी खराब थी कि सिनेमाघर में मौजूद लोग उन्हें हैरानी भरी नजरों से देखने में मशगूल थे.

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