नई दिल्ली। बॉलीवुड के मशहूर सिंगर भूपिंदर सिंह (6 फरवरी 1940 – 18 जुलाई 2022) हमारे बीच नहीं रहे। सोमवार शाम को हृदयगति रुक जाने से उनका निधन हो गया। पिछलें 10 दिन से वह अस्पताल में भर्ती थे। गायक भूपिंदर सिंह को ‘करोगे याद तो हर बात याद आएगी’ और ‘कभी किसी को मुकम्मल […]
नई दिल्ली। बॉलीवुड के मशहूर सिंगर भूपिंदर सिंह (6 फरवरी 1940 – 18 जुलाई 2022) हमारे बीच नहीं रहे। सोमवार शाम को हृदयगति रुक जाने से उनका निधन हो गया। पिछलें 10 दिन से वह अस्पताल में भर्ती थे। गायक भूपिंदर सिंह को ‘करोगे याद तो हर बात याद आएगी’ और ‘कभी किसी को मुकम्मल जहां नहीं मिलता…’ जैसे बेहतरीन गानों ने एक खास मुकाम दिलवाया।
बता दें कि पंजाब के अमृतसर में 6 फरवरी, 1940 को गायक भूपिंदर का जन्म हुआ था। उनके पिता प्रोफेसर नत्था सिंह खुद एक अच्छे संगीतकार थे। उन्हें ‘दिल ढूंढता है फिर वही फुरसत के रात दिन’गाने से शोहरत मिली थी। भूपिंदर सिंह का मोहम्मद रफी, तलत महमूद और मन्ना डे के साथ में गाया गीत ‘होके मजबूर मुझे, उसने बुलाया होगा’ काफी लोकप्रिय हुआ था। उनके लोकप्रिय गीतों में दुनिया छूटे यार ना छूटे, दिल ढूंढ़ता है, थोड़ी सी जमीन थोड़ा आसमान, नाम गुम जाएगा जैसे कई गाने शामिल हैं।
गौरतलब है कि उन्होंने अपनी पत्नी मिताली सिंह के साथ दो दीवाने शहर में, एक अकेला इस शहर में, कभी किसी को मुकम्मल जहां जैसे कई हिट गाने भी गाए थे। दिवंगत भूपिंदर सिंह को सत्ते पे सत्ता, दूरियां, आहिस्ता-आहिस्ता, हकीकत और कई अन्य फिल्मों के यादगार गानों के लिए खूब याद किया जायगा है।
वहीं, दिग्गज लेखक और फिल्मकार गुलजार भूपिंदर की आवाज के मुरीद रहे हैं। उनके बारे में गुलजार ने एक बार कहा था कि भूपिंदर की आवाज किसी पहाड़ी से टकराने वाली बारिश की बूंदों की तरह है। उनकी आवाज सीधे आत्मा तक पहुंचती है।
भूपिंदर सिंह ने 1980 के दशक में बांग्लादेश की गायिका मिताली मुखर्जी के साथ शादी की थी। एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने मिताली को गाते हुए सुना था। जिसके बाद दोनों की मुलाकात हुई और बाद में वो प्यार में बदल गई। दोनों ने एक साथ सैकड़ों लाइव शो किए। उनका एक बेटा निहाल भी सिंगर है।
दरअसल, अपने पिता की सख्त मिजाजी के कारण शुरुआती दौर में भूपिंदर को संगीत से नफरत हो गई थी। लेकिन उनकी आवाज का जादू ज्यादा देर तक बंधक न रह पाया और उनके सुरीले सफर का सिलसिला तेजी से शुरू हो गया। उनकी गजलें सबसे पहले आकाशवाणी में चलीं, इसके बाद दिल्ली दूरदर्शन में उनको मौका मिला। भूपिंदर सिंह को 1968 में संगीतकार मदन मोहन ने ऑल इंडिया रेडियो पर उनका कार्यक्रम सुनकर उन्हें मुंबई बुला लिया था।