Girish Karnad Death: रंगमंच के पितामह कहे जाने वाले गिरीश कर्नाड का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया है. गिरीश काफी दिनों से बीमार चल रहे थें. कई बार उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था. लेकिन लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया.
बॉलीवुड डेस्क, मुंबई. रंगमंच के पितामह कहे जाने वाले विख्यात गिरीश कर्नाड का लंबी बीमारी के बाद आज यानी 10 जून को बेंगलुरु स्थित आवास में उनका निधन हो गया है. गिरीश काफी दिनों से बीमार चल रहे थें. कई बार उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था,लेकिन लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हो गया. गिरीश कर्नाड की उम्र 81 वर्ष थी. गिरीश कनार्ड ने बॉलीवुड के कई फिल्मों में काम किया हैं. आपको बता दें फिल्म टाइगर जिंदा है में सलमान खान को अलग-अलग मिशन पर भेजने वाले और कोई नहीं गिरिश कर्नाड ही थें.
गिरीश कर्नाड के निधन पर प्रधानमंत्री ने नरेंद्र मोदी, पूर्व विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने शोक जाहिर किया है. साथ ही ज्ञानपीठ विजेता महान अभिनेता नाटककार गिरीश कर्नाड के निधन पर कर्नाटक सरकार ने तीन दिन के लिए राजकीय शोक और एक दिन के लिए पब्लिक हॉलीडे की घोषणा की है.
Three-day state mourning declared in Karnataka by CM HD Kumaraswamy after death of veteran actor and playwright Girish Karnad. One-day public holiday also declared https://t.co/qeBkRty0WW
— ANI (@ANI) June 10, 2019
गिरिश कर्नाड ने फिल्म टाइगर जिंदा है में रॉव के चीफ की भूमिका निभाई थी. इस फिल्म में उन्होंने बीमार थे, लेकिन वास्तव में वह काफी बीमार चल रहे थे. पिछले काफी सालों से वह बीमार चल रहे थें, लेकिन उनकी बीमारी का अभी तक कोई स्पष्टीकरण नहीं आया है. इसके बाद अपने बैंगलुरू में स्थित आवास में उनका उन्होंने आज अपनी आखिरी सांस ली. गिरीश कर्नाड को भारतीय रंगमंच का पितामह कहा जाता है. वह 10 बार राष्ट्रीय पुरस्कार जीत चुके हैं. गिरीश कर्नाड भारत में 8 जननपीठ सम्मान पाने वाले लोगों में से एक थे.
गिरीश कर्नाड ने साउथ से लेकर बॉलीवुड तक कई फिल्मों में किया है. उन्हें भारत के जाने-माने समकालीन लेखक, अभिनेता, फिल्म निर्देशक और नाटककार के तौर पर भी जाना जाता था. उनके निधन से बॉलीवुड से लेकर साउथ सिनेमा में शौक की लहर है, सोशल मीडिया पर भी कई फिल्मी सितारों ने शोक जाहिर किया है. यही नहीं राजनीति से संबंधित लोगों ने भी शोक ट्वीट कर शोक जाहिर किया है.गिरीश कर्नाड हिन्दी के साथ-साथ कई भाषा में काफी अच्छी पकड़ थी.