अजय देवगन की साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म नाम सिनेमाघरों में रिलीज की गई है। फिल्म की शुरुआत होती है एक गैंगवॉर से, जहां शेखर यानी अजय देवगन घायल हो जाते हैं और उनकी याद्दाश्त चली जाती है। इसके बाद वह मनाली में नई जिंदगी शुरू करते हैं। ओवर ऑल अगर आप अपना टाइम पास करना चाहते है तो इस फिल्म को देख सकते है.
नई दिल्ली: 2008 में बनकर तैयार हुई अजय देवगन की साइकोलॉजिकल थ्रिलर फिल्म अब 16 साल बाद सिनेमाघरों में रिलीज की गई है। फिल्म को अनीस बज्मी ने डायरेक्ट किया है, लेकिन इसके रिलीज के दौरान न तो अजय देवगन ने और न ही डायरेक्टर ने इसे प्रमोट किया गया। वहीं अब 2024 में रिलीज़ हुई फिल्म जनता का दिल जीत पाएगी नहीं आइए जानते है.
फिल्म की शुरुआत होती है एक गैंगवॉर से, जहां शेखर यानी अजय देवगन घायल हो जाते हैं और उनकी याद्दाश्त चली जाती है। इसके बाद वह मनाली में नई जिंदगी शुरू करते हैं। यहां शेखर डॉक्टर पूजा यानी भूमिका चावला से शादी कर एक बेटी के पिता बन जाते हैं। हालांकि उनका पुराना अतीत फिर सामने आता है और वह अपनी पहचान के रहस्य को सुलझाने मुंबई लौटते हैं। हालांकि, फिल्म की कहानी में न सस्पेंस है और न ही लॉजिक। किरदारों के बीच के संबंध और घटनाएं इतनी तेज़ी से घटती हैं कि दर्शकों को समझने का मौका तक नहीं मिलता।
अनीस बज्मी जो कॉमेडी और मसाला फिल्मों के लिए जाने जाते हैं, उन्होंने इस फिल्म के साथ दर्शकों को निराश किया। फिल्म का निर्देशन और स्क्रिप्ट 2000 के दशक की पुरानी फिल्मों जैसी लगती है। अजय देवगन ने अपने किरदार में ठीक ठाक काम किया है। वहीं भूमिका चावला ने भी अपनी भूमिका बखूबी निभाने की कोशिश की है. इसके अलावा समीरा रेड्डी का किरदार काफी ग्लैमरस नज़र और फिल्म वो अजय देवगन की मदद करती नजर आई.
फिल्म में कुछ खास नहीं है जो लोगों को सिनेमाघरों में आने में मजबूर कर पाए। वहीं अजय देवगन और राजपाल यादव के फैंस इस फिल्म को एक बार देख सकते है. बॉक्स ऑफिस पर इसका नाम ऐसा लगता है शायद फिल्म सिंघम अगेन और भूल भुलैया 3 की बीच कही खो जाएगा। ओवर ऑल अगर आप अपना टाइम पास करना चाहते है तो इस फिल्म को देख सकते है.
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