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Fanne Khan Movie Review: अब तो मोदी जी ही ला सकते हैं फन्ने खां के अच्छे दिन

Fanne Khan Movie Review: बॉलीवुड अभिनेता अनिल कपूर, ऐश्वर्या राय बच्चन और राजकुमार राव की फिल्म फन्ने खान रिलीज हो चुकी है. खबर है कि फन्ने खान बेल्जियम फिल्म ‘एवरीवडीज फेमस’ का ऑफीशियल रीमेक है. फन्ने खान के अच्छे दिन गाने को लेकर पहले ही लोग मोदी सरकार पर हमला कर चुके हैं, जिसके बाद मेकर्स को नया वर्जन रिलीज करना पड़ा था.

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Anil Kapoor, Aishwarya rai Bachchan, Rajkummar Rao-starrer
  • August 3, 2018 1:25 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

बॉलीवुड डेस्क, मुंबई. फन्ने खां टाइटिल ही ऐसा था कि लोगों की दिलचस्पी जग रही थी, लेकिन जब पता चला कि बेल्जियम फिल्म ‘एवरीवडीज फेमस’ का ऑफीशियल रीमेक है तो कहानी सारी मीडिया वेबसाइट्स ने पहले ही छाप दी. अब ऐसे में डायरेक्टर की अक्लमंदी इस बात में है कि कहानी रिवील होने के बावजूद वो कुछ ऐसा करे कि लोगों को मजा आए, लेकिन ऐसा होता नहीं लगा. बावजूद ऐश्वर्या राय के साथ राजकुमार राव की जोड़ी ने अनिल कपूर का साथ दिया, लेकिन मूवी देखकर लगता है कि फन्ने खां के अच्छे दिन पीएम मोदी ही ला सकते हैं. वो यूं कि ये बात विवाद बन गई है, कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने भी ट्वीट कर दिया है कि मेरे अच्छे दिन कब आएंगे वाला गाना बदलकर अच्छे दिन आ गए करवा दिया है मोदी सरकार ने.

फिल्म की कहानी सीक्रेट सुपरस्टार के ठीक उलट है, उसमें लडकी का पिता नहीं चाहता था कि बेटी म्यूजिक सीखे. यहां एक फैक्ट्री में काम करने वाला औप पार्टटाइम ऑरकेस्ट्रा सिंगर प्रशांत उर्फ फन्नेखां (अनिल कपूर) अपनी बेटी को लता मंगेशकर बनाना चाहता है, उसका नाम भी लता रख देता है. लता (पीहू) काफी मोटी है, जिसके चलते कॉलेज शोज में उसका काफी मजाक उड़ता है, और वो अपने पिता को भी ज्यादा भाव नहीं देती.

फन्ने खां का कलीग है राजकुमार राव, ऐश्वर्या राय एक पॉप सिंगर बेबी सिंह के रोल में हैं. जब फैक्ट्री का मालिक घपला करके भाग जाता है तो फन्ने खां टैक्सी चलाना शुरू कर देता है. इधर बेबी सिंह का मैनेजर उसे एक शो में प्लांड वार्डरोब मालफंक्शन का ऑफर देता है ताकि टीआरपी बढ़ जाए. गुस्से में बेबी टैक्सी लेती है फन्ने खां की और वो उसे किडनेप कर लेता है.

फन्ने खां उसके मैनेजर को ब्लेकमेल करके अपनी बेटी को सुपरस्टार बनाना चाहता है, राजकुमार राव भी इसमें उसकी मदद करता है. बाकी फिल्म में जो ड्रामा होता है, खासतौर पर क्लाइमेक्स, वो शायद कइयों को पचे नहीं या हो सकता है कूल मूवी देखने के शौकीनों को इमोशनल लगे. लेकिन सच ये है कि फिल्म को खाली इमोशंस के भंवर में ही फंसाकर आप दर्शक को दो ढाई घंटे कुर्सी पर नहीं बांध नहीं सकते.

अतुल मंजरेकर नए डायरेक्टर हैं, उन्हें बैनर अच्छा मिला, सितारे अच्छे मिले, लेकिन वो इस्तेमाल नहीं कर पाए. ऐश्वर्या राय और राजकुमार राव को तो उन्होंने एक्स्ट्रा कलाकार या गेस्ट रोल में इस्तेमाल किया है, जबकि उनके पास मौका था. फिल्म में जो थोड़ा बहुत एक्टिंग का स्कोप था वो केवल तीन लोगों के पास था अनिल कपूर, उनकी बेटी के रोल में पिहू और बेबी सिंह के मैनेजर के तौर पर करन छाबड़ा के पास और तीनों ने उसमें जान डाल दी.

लेकिन फिल्म दूसरे हाफ में इतनी इल्लॉजिकल मोड में चली जाती है, कि कई बार गले से नहीं उतरती. ऐसा लगता है बेबी सिंह तो मानो किडनेप होने के लिए ही बैठी थीं, उस फैक्ट्री से कई बार घूमने निकलती थीं, और फिर वापस आ जाती थीं. इतनी बड़ी पॉप स्टार को एक फैक्ट्री मजदूर से मोहब्बत भी हुई तो उसके पीछे कोई लॉजिक भी नहीं दिया गया, मोहब्बत है हो भी सकती है. जिसके लिए फन्ने खां ने उसे किडनेप किया, वो बेबी सिंह के लिए बाएं हाथ की चीज थी, लेकिन वो ऐसा कोई ऑफर नहीं देती, जबकि किडनेपर के इश्क में गिरफ्तार थी.

दोनों को वहां से भागकर कश्मीर जाने की इतनी जल्दी थी कि पूरा ड्रामा चल रहा होता है, उसे चलने देती है. ऐसे में दर्शक खुद को बेवकूफ समझने लगता है. एक बाप केवल एक बार अपनी बेटी को टीवी पर देखने के लिए भागने के बजाय किडनेपिंग के आरोप में खुद को सात साल के लिए जेल भेजने और बेटी का कैरियर और जिंदगी बर्बाद करने के लिए भी तैयार हो जाता है.

एंटरटेनमेंट चैनल ओबी लेकर न्यूज चैनल की तरह लाइव भी करने लगता है और लाइव होने के घंटों बाद भी केवल पुलिस पहुंचती है और कोई न्यूज चैनल नहीं. पुलिस भी वहां पहुंचकर लाइव प्रसारण करवाती है, और खत्म होने के बाद तालियां बजवाती है, कोई एक्शन नहीं लेती. सो दिमाग घर में रखकर जाएं.

अतुल मंजरेकर लकी हैं कि इस फिल्म के लिए उन्होंने राकेश ओमप्रकाश मेहरा, टी सीरीज और खुद अनिल कपूर जैसे 9 प्रोडयूसर्स जुगाड़ लिए, ऐश्वर्या राय, अनिल कपूर और राजकुमार राव जैसे सितारे भी. दो तीन गाने भी अच्छे बन पड़े हैं, खासतौर पर मेरे जैसा तू है… मोनाली ठाकुर की आवाज में जबरदस्त है.

अमित त्रिवेदी ने भी म्यूजिक पर काफी मेहनत की, वाबजूद उसके वो फिल्म को इमोशंस में ही बहाकर ले जाने के मूड में थे. जो शायद ही जनता पसंद करे. ऐसे में सहारा अब बस मोदीजी के अच्छे दिन से जुड़े नारे पर बने फिल्म के दो गानों से उठे विवाद का ही है. ऐश्वर्या राय को भी सोचना पडेगा कि उनको ढंग के रोल ऑफर नहीं हो रहे या फिर ये गेस्ट रोल था.

स्टार – 2

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