केबीसी के सैट पर एक बार जय यानी अमिताभ बच्चन ने वीरू यानी धर्मेन्द्र को बुलाया. जब जय के सामने वीरू हॉट सीट पर बैठे तो सवाल पूछने की जिम्मेदारी वीरू ने ले ली, और पहला ही सवाल था,“वो कौन सा डायरेक्टर था जिससे हम दोनों ही कांपते थे..?’’ थोड़ी हिचकिचाहट के बाद अमिताभ बच्चन भी दे ही देते हैं सही जवाब. जवाब था हृषिकेश मुखर्जी. नई पीढ़ी में से बहुतों ने उनका नाम नहीं सुना होगा, लेकिन अमिताभ बच्चन ने एक इंटरव्यू में माना था कि वो उनके गॉडफादर जैसे थे. अपने कैरियर के शुरूआत में अमिताभ और जया दोनों को जितनी मदद हृषिकेश मुखर्जी से मिली, शायद और किसी से नहीं. लेकिन धर्मेन्द्र की आवाज भी अगर किसी एक डायरेक्टर के सामने नहीं निकलती थी, वो थे हृषि दा.
जब अमिताभ और ध्रर्मेन्द्र दोनों उनकी बातें केबीसी के सैट पर कर रहे थे, तो उनकी बातों में ह्रषिकेश मुखर्जी के लिए खौफ कम, इज्जत ज्यादा झलक रही थी. लेकिन ये तय है कि ह्रषिकेश मुखर्जी सैट पर काफी सख्त रहते थे. उनकी सख्ती के आगे ना धर्मेन्द्र की चलती थी और ना अमिताभ बच्चन की. हृषि दा की फिल्म ‘चुपके चुपके’ में अमिताभ के साथ धर्मेन्द्र भी थे. देखा जाए तो धर्मेन्द्र ही लीड रोल में थे. फिल्म के क्लाइमेक्स सीन की शूटिंग थी, और उसके लिए सैट पर जब असरानी सूट पहनकर पहुंचे और धर्मेन्द्र ड्राइवर की ड्रेस में तो दोनों को ही नहीं पता था कि उन्हें क्या करना है और ना ये पता था कि सीन क्या है. धर्मेन्द्र ने असरानी से पूछा, ये सब क्या चल रहा है? तुझे सूट कैसे मिला और मुझे ड्राइवर की ड्रेस? ये ह्रषिकेश मुखर्जी सूट तो अपने बाप को भी नहीं देगा, फिर कहां से आया तेरे पास?
दरअसल ह्रषि दा अपने सीन को पहले से किसी को बताते नहीं थे, पहले जब असरानी ने उनसे और राही मासूम रजा से सीन के बारे में पूछा तो किसी ने कोई जवाब नहीं दिया, और मिडिल क्लास बेस्ड फिल्में बनाने वाले ह्रषि दा की फिल्मों में सूट देखकर सबका चौंकना लाजिमी था. ह्रषि दा इसके लिए तैयार थे. जब धर्मेन्द्र ने कहा—मुखर्जी सूट तो अपने बाप को भी नहीं देगा तो दूर से उन्होंने धर्मेन्द्र की बात तो शायद नहीं सुनी लेकिन समझ गए कि वो धर्मेन्द्र क्यों परेशान है.
असरानी ने इस पूरे वाकए को बाद में एक इंटरव्यू में बताया था, असरानी के मुताबिक—ह्रषि दा ने दूर से ही चिल्लाकर बोला- ‘’ए धरम.. तुम असरानी से क्या पूछ रहे हो? सीन के बारे में ना? मैं बताता हूं. अगर तुम्हारे अंदर स्टोरी का कोई सेंस होता तो तुम हीरो बनते क्या”. धर्मेन्द्र के मुंह से आवाज भी नहीं निकली, मानो सांप सूंघ गया, वो तो ये सोचकर हैरान थे कि क्या ह्रषि दा ने वाकई में उनकी बाप वाली बात भी सुन ली क्या?
दिलचस्प बात तो ये हुई कि उसके बाद सैट पर अमिताभ बच्चन भी आए और वो भी असरानी को सूट में देखकर चौंक गए. उनका भी असरानी से वही सवाल था, आते ही उसके सूट और सीन के बारे में पूछा तो ह्रषिकेश मुखर्जी ने फौरन धर्मेन्द्र से कहा, धरम उसे बताओ जो मैंने तुम्हें बोला कि अगर तुम लोगों में स्टोरी का सेंस होता तो हीरो नहीं बनते. चलो गेट टू वर्क. दोनों की बोलती हो गई बंद. और ह्रषि दा की ये सख्ती ही तो थी जो सालों बाद भी दोनों जय वीरू मिले तो भूल नहीं पाए.
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