ओशो के नाम से फेमस आचार्य रजनीश को गुजरे हुए 28 साल हो गए हैं. 19 जनवरी 1990 को 58 साल की उम्र में उनका निधन हो गया था. लाखो -करोड़ो अनुयायी में से एक बॉलीवुड के सेक्सी संन्यासी माने जाने वाले विनोद खन्ना भी उन्हीं में से एक थे. बॉलीवुड में कई सुपरहिट फिल्में देने के बाद विनोद खन्ना आचार्य रजनीश से जुड़े थे. ओशो के आश्रम में लगभग 5 साल रहने के कारण विनोद अपने परिवार से दूर जा चुके थे जिसका नतीजा उनकी पत्नी ने उन्हें तलाक देने का फैसला कर लिया. सलमान खान की दंबग में पांडे जी के किरदार से लेकर शाहरूख खाने के साथ दिलवाले में नजर आ चुके विनोद खन्ना की अचानक तबियत बिगड़ने और उनके निधन की खबरों से बॉलीवुड जगत ने 90 के दशक वाला हैडंसम एक्टर को हमेशा के लिए खो दिया.
मुंबई. बॉलीवुड के सेक्सी संन्यासी ओशो के नाम से फेमस आचार्य रजनीश को गुजरे हुए पूरे 28 साल हो गए है. 58 साल के आचार्य रजनीश का निधन 19 जनवरी 1990 हो गया था. ओशो के लाखों-करोड़ों अनुयायी थे उनमें से एक बॉलीवुड के सदाबहार एक्टर विनोद
खन्ना भी थे. बॉलीवुड में कई सुपरहिट फिल्में करने के बाद विनोद खन्ना आचार्य रजनीश से जुड़े थे. वो उनसे इस तरह प्रभावित थे कि उन्होंने ओशो के आश्रम में लगभग 5 साल तक रहे थे. इन 5 सालों में विनोद खन्ना ने वहां अपनी छवि से अलग एक साधारण से माली बन कर काम किया. कहा ये भी जाता है कि विनोद खन्ना वहां के बाथरूम -टॉयलेट भी साफ किया करते थे.
31 दिसंबर 1975 को पुणे के आश्रम में ओशो से जुड़ने के बाद विनोद खन्ना की जिंदगी में बड़ा बदलाव आया. फिल्मों से रिटायरमेंट लेने की घोषणा पर किसी का यकीन करना मुश्किल था लेकिन प्रोडूयर्स को साइनिंग अमाउंट वापस करने के बाद विनोद खन्ना ने संन्यासी बनने का बड़ा फैसला किया. उस समय लोग उन्हें सेक्सी संन्यासी पुकारते थे. इन 5 सालों में ओशो से जुड़ने की वजह से विनोद खन्ना अपने परिवार से दूर हो चुके थे. परिवार से दूर होने के बाद 1987 में फिल्म ‘इंसाफ’ से विनोद खन्ना फिर से बड़े पर्दे पर लौटे. 1990 में उन्होनें कविता से दूसरी शादी की. उनका बेटा साक्षी भी अब फिल्मों में आने की तैयारी कर रहे हैं.
90 के दशक में विनोद खन्ना मुकद्दर का सिकंदर, जुर्म, इंसानियत का देवता, खून का कर्ज जैसी फिल्मों में काम किया. सलमान खान फिल्म दंबग सीरिज में भी विनोद खन्ना एक बार फिर अपनी जबरदस्त एक्टिंग से वापसी की. 2015 में रोहित शेट्टी की फिल्म दिलवाले में उन्होनें अपने जीवन का आखिरी अभिनय किया. फिल्मों के साथ साथ विनोद खन्ना राजनिती में भी एक्टिव थे. 1997 में बीजेपी के सदस्य बनने के बाद वो नेता भी बन गए थे. जुलाई 2002 में अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें संस्कृति और पर्यटन मंत्री बनाया. 2003 में वाजपेयी ने उन्हें विदेश राज्य मंत्री का अहम जिम्मा सौंपा. इस पद पर रहते हुए खन्ना ने फिल्म इंडस्ट्री के जरिए भारत-पाक के बीच दूरियां कम करने की कोशिश की थी.
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https://www.youtube.com/watch?v=98AKKz4dGz0
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