September 20, 2024
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Mahima Chaudhry Birthday: महिमा चौधरी नहीं है असली नाम, पहली फिल्म से किया कमाल

  • WRITTEN BY: Ayushi Dhyani
  • LAST UPDATED : September 13, 2022, 3:40 pm IST

मुंबई: महिमा चौधरी का जन्म 13 सितंबर 1973 को दार्जिलिंग पश्चिम बंगाल में हुआ है। महिमा चौधरी का असली नाम ऋतु चौधरी है लेकिन वो खुद पर्दे पर महिमा चौधरी कहलाना पसंद करती हैं। महिमा चौधरी ने अपनी हाई-स्कूल तक की पढ़ाई डाउन हिल स्कूल से पूरी की। उसके बाद उन्होंने आगे की पढ़ाई लोरेटो कॉलेज से ख़त्म की। साल 1990 में उन्होंने पढ़ाई छोड़कर मॉडलिंग की दुनिया में अपना करियर आजमाया। उन्होंने अपने मॉडलिंग करियर के दौरान कई विज्ञापनों में भी काम किया था।

महिमा को मिला था बेस्ट फीमेल डेब्यू अवार्ड

साल 1997 में आई परदेस में सुपरस्टार शाहरुख खान, महिमा चौधरी और अपूर्वा अग्निहोत्री लीड रोल में नजर आए थे। इस फिल्म ने महिमा चौधरी की किस्मत रातों- रात चमका दी थी। खूबसूरत महिमा चौधरी ने साल 1990 में मिस इंडिया का ब्यूटी पैजेंट जीता था, इसके अलावा वे मॉडलिंग भी करती थी, लेकिन पॉपुलैरिटी उन्हें फिल्म परदेस से मिली। इस फिल्म में महिमा ने मासूम और अपनी जड़ों से जुड़ी रहने वाली लड़की गंगा का किरदार निभाया था। फिल्म में उनके काम को इतना पसंद किया गया कि उन्हें परदेस के लिए फिल्मफेयर का बेस्ट फीमेल डेब्यू अवॉर्ड मिला।

इमरजेंसी में आएंगी नजर

कंगना रनौत की फिल्म ‘इमरजेंसी’ के रिलीज के दिन जैसे-जैसे करीब आ रहे हैं, फिल्म के एक-एक करके सारे किरदार सामने आ रहे हैं। हाल ही में फिल्म से महिमा चौधरी का लुक भी सामने आ गया है। फिल्म में अभिनेत्री मशहूर लेखिका पुपुल जयकर की भूमिका निभा रही हैं। इमरजेंसी से महिमा का जो लुक सामने आया है वो हूबहू पुपुल जयकर से मिल रहा है। कैंसर जैसी बीमारी से रिकवरी के बाद इस फिल्म से महिमा पहली बार पर्दे पर वापसी करेंगी।

जो लोग पुपुल जयकर के बारे में नहीं जानते हैं उन्हें बता दें वो इंदिरा गांधी के काफी करीब मानी जाती थीं। उन्होंने अपनी किताब ‘इंदिरा: ऐन एंटिमेट बायोग्राफी’ में देश की पहली महिला प्रधानमंत्री को लेकर काफी खुलासे किए थे। ये पुपुल ही थीं जिन्होंने कहा था कि इंदिरा गांधी अपने पिता जवाहरलाल नेहरू से अच्छी प्रधानमंत्री थीं। इसके साथ ही उन्होंने अपनी किताब में लिखा है कि, ‘इंदिरा गांधी को आशंका थी कि कहीं मोरारजी सरकार उन्हें गिरफ्तार न करवा दें और यहीं 1975 में इमरजेंसी लगाने का प्रमुख कारण बना।’

 

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