मुंबई. ना ही अशोक कुमार और ना ही दिलीप कुमार, दोनों का ही ना तो फिल्मी दुनियां से ही कोई नाता था, और ना ही दोनों की हीरो बनने की ख्वाहिश थी। लेकिन एक हीरोइन दोनों की जिंदगी में क्या आई, उनकी किस्मत के दरवाजे खुल गए। मामूली से लोग आज बॉलीवुड के सुपरस्टार्स में गिने जाते हैं। अशोक कुमार फिल्मी दुनियां का हिस्सा तो बनना चाहते थे लेकिन हीरो बनना नहीं, यहां तक कि परदे पर आने के बारे में उन्होंने सोचा भी नहीं था, या कहिए हिम्मत नहीं थी, लेकिन एक अफेयर ने उनकी किस्मत का दरवाजा खोल दिया। उस दौर की एक बड़ी हीरोइन का एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर।
कुमुद लाल कुंजीलाल गांगुली था अशोक कुमार का असली नाम। भागलपुर में पैदा हुए इस युवा को ना गुमान था और ना ही ख्वाहिश कि बड़े परदे का नायक बनना है, रुख किया भी तो कोलकाता का, वकालत की पढ़ाई करने के लिए। उनके भाइयों अनूप कुमार और किशोर कुमार से तो आज की तारीख में हर कोई वाकिफ है, लेकिन बहन का नाम किसी ने नहीं सुना होगा, उनका नाम था सती देवी। सती देवी की शादी हुई एक ऐसे शख्स से जो फिल्मी दुनियां में काम करता था, नाम था शशाधर मुखर्जी। उस दौर में जब हिमांशु राय ने देविका रानी के साथ मिलकर बॉम्बे टॉकीज शुरु किया तो शशाधर उनसे जुड़ गए। बाद में उनके बेटे बॉलीवुड के बडे हीरो बने जॉय मुखर्जी, देव मुखर्जी और काजोल के पापा शोमू मुखर्जी।
जब कुमुद लाल ने शशाधर से कहा कि वो फिल्मों में काम करना चाहते हैं तो उन्होंने उसे मुम्बई बुला लिया। कुमुद लाल हीरो बनने के ख्वाहिशमंद नहीं थे, परदे की भी ख्वाहिश नहीं थी, उनका तो मन था टेक्नीशियन बनने का। हिमांशु राय से शशाधर मुखर्जी ने कहा तो कुमद लाल को बॉम्बे टॉकीज में जॉब भी मिल गई, लैब असिस्टेंट की जॉब। कुमुद लाल काफी खुश थे कि वो फिल्मी दुनियां का हिस्सा बन चुके थे।
जिस बॉम्बे टॉकीज में वो काम कर रहे थे, उसके मालिक थे मशहूर फिल्मकार हिमांशु रॉय और एक्ट्रेस देविका रानी। देविका शुरू से ही बोल्ड थीं, बॉलीवुड का पहला किस सीन उन्होंने अपने पति हिमांशु राय के साथ ‘कर्मा’ फिल्म में किया था, जो पूरे चार मिनट का था। ऐसे में उनकी तरफ कोई भी सहज आकर्षित हो जाता था, लेकिन उनकी अगली फिल्म में उन्हें एक ऐसा हीरो मिला, जिसके मोह पाश में वो खुद ही बंध गईं, जबकि वो शादीशुदा थीं। इस हीरो का नाम था नजमुल हसन। इतना स्मार्ट था ये बंदा कि हिमांशु ने देखते ही उसे अपनी फिल्म ‘जवानी की हवा’ का हीरो बना दिया और हीरोइन थीं देविका रानी। पहली फिल्म से ही लंदन रिटर्न देविका हसन के नजदीक आ गईं।
उन दिनों हीरो को तनख्वाह मिलती थी, देविका ने नजमुल को हिमांशु रॉय से कहकर दूसरी फिल्म भी दिलवा दी, वो भी अपने ही साथ, टाइटल था- जीवन नैय्या। इसी के साथ हिमांशु रॉय की जीवन नैय्या डगमगाने लगी। एक दिन देविका और नजमुल अचानक से दोनों गायब हो गए, बाद मे कोलकाता के ग्रांड होटल में मिले। मशहूर लेखक सआदत हसन मंटो ने अपनी एक किताब गंजे फरिश्ते में इस घटना का जिक्र इस तरह किया है, ‘’एस मुखर्जी जुबलीमेकर फिल्मसाज (अशोक कुमार के बहनोई) उन दिनों बम्बई टॉकीज में मिस्टर सावक वाचा साउंड इंजीनियर के असिस्टेंट थे। सिर्फ बंगाली होने की वजह से उन्हें हिमांशु राय से हमदर्दी थी। वह चाहते थे किसी ना किसी तरह से देविका रानी वापस आ जाए। चुनांचे उन्होंने अपने आका हिमांशु राय से मशविरा किए बगैर अपने तौर पर कोशिश की और अपनी मखसूस हिकमत-ए-अमली से देविका रानी को आमादा कर लिया कि वह कलकत्ते में अपने आशिक नज्मुल हसन की आगोश छोड़कर वापस बम्बई टॉकीज की आगोश में वापस चली आए। जिसमें उसके जौहर के पनपने की ज्यादा गुंजाइश थी”।
अब तो हिमांशु राय का गुस्सा उफान पर था, वीबी को तो उन्होंने बाद में माफ कर दिया, लेकिन नजमुल हसन को ना केवल फिल्म से निकाल दिया, बल्कि बाकी किसी स्टूडियो में भी उसे काम नहीं मिलने दिया। कुछ सीन ‘जीवन नैय्या’ के शूट हो चुके थे, वो री-शूट होने थे, उससे पहले हीरो ढूंढना था। कोई कहता है शशाधर मुखर्जी ने नाम बढ़ाया, कोई कहता है बीवी को सबक सिखाने के लिए हिमांशु राय ने लैब असिस्टेंट कुमुद गांगुली को बुलाकर हीरो बना दिया। धोखा खाने के बाद अब वो एवरेज लुकिंग हीरो चाहते थे। हिमांशु ने उनका नाम भी बदल दिया, पहले देव कुमार ..फिर अशोक कुमार कर दिया। उस वक्त बॉलीवुड में नाम बदलने का काफी चलन था। अशोक कुमार ने रैडिफ ड़ॉट कॉम को दिए एक इंटरव्यूज में कहा—“ मुझे उन दोनों पति पत्नी ने ग्रूम किया, मुझे इंगलिश फिल्में देखने के लिए कहते थे, मेरे लिए उनकी टिकटें अरेंज करते थे। उन्हीं फिल्मों को देख देख कर मैंने एक्टिंग करना सीखा”-
एवरेज दिखने और एवरेज से भी कम एक्टिंग की समझ वाले अशोक कुमार की तो निकल पड़ी, काम करने के दौरान ही उनको देविका के साथ नई फिल्म ‘अछूत कन्या’ भी मिल गई, जो उस वक्त सुपरहिट साबित हुई और अशोक कुमार की गाड़ी बॉलीवुड की गलियों में सरपट दौड़ पड़ी । वैसे दिलीप कुमार को फिल्मों में लाने का श्रेय भी देविका रानी को ही है। हिमांशु रॉय की मौत के बाद जब देविका रानी बॉम्बे टॉकीज छोड़कर विदेश चली गईं तो बॉम्बे टॉकीज शशाधर मुखर्जी ने ले लिया और फिर अशोक कुमार के साथ फिल्मिस्तान स्टूडियो भी शुरू कर दिया।
आमतौर पर लोगों को लगता है कि बड़े लिंग वाले पुरुष ज्यादा आकर्षक और सेक्स…
दिल्ली चुनाव में अपना खोया जनाधार वापस पाने के लिए कांग्रेस भी एड़ी-चोटी का ज़ोर…
एक ओर विपक्ष का कहना है कि महाकुंभ में मुस्लिम दुकानदारों को जगह मिलनी चाहिए,…
Indian Cricket Team: ऐसा माना जा रहा है कि इंग्लैंड सीरीज के लिए भारतीय स्क्वॉड…
Adam Gilchrist: भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी तकरीबन 10 साल बाद हारी है.…
द्र सरकार देश की बड़ी सरकारी तेल कंपनियों को बड़ा तोहफा दे सकती है। सरकार…