September 8, 2024
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Animal Review: रणबीर कपूर ने लीक से हटकर और थका देने वाली फिल्म में दमदार अभिनय किया है

  • WRITTEN BY: Shiwani Mishra
  • LAST UPDATED : December 1, 2023, 9:57 pm IST

नई दिल्लीः रणबीर कपूर की फिल्म एनिमल(Animal Review) में हर चीज जैसे हिंसा, प्रेम, जुनून का भरपूर मिश्रण है। इसे संदीप रेड्डी वंगा द्वारा लिखित, निर्देशित और संपादित किया गया है। बेहद हिंसा से भरी यह फिल्म, पिता-पुत्र एक्शन ड्रामा शायद ही आपको पलक झपकने का मौका दे।

बेटे-बाप की कहानी

बता देंं कि बचपन से अपने पिता के अपने कामों में हमेशा व्यस्त रहने के कारण कुंठा ग्रसित होते रहने वाले बालक रणविजय के भीतर भरे गुबार की ये कहानी है। कहानी शुरूआत होती है साल 2056 में, जब एक बुजुर्ग और बड़े कारोबार का मालिक अपने दोस्तों को राजकुमारी से छेड़छाड़ करने वाले बंदर की कहानी सुना रहा है। बच्चा बड़ा होता है तो अपनी बड़ी बहन को अपने पिता से बात करने की लगातार कोशिश करते देखता है। इसकी वजह यह है की कॉलेज में कुछ लोगों ने उसकी रैगिंग की है। वो अपनी बड़ी बहन की तरफदारी में गुंडों को सबक सिखाता है तो पिता अपने बेटे को क्रिमिनल की उपाधि देता है और उसे बोर्डिंग स्कूल भेज देता है। कुछ समय बाद जब उस बच्चे की नौवीं क्लास की दोस्त की मंगनी हो रही है। वह उससे सवाल करता है।

दूसरी तरफ पिता अपने बेटे को घरनिकाला देता है। वहीं लड़की अपने भाई के साथ उसके घर आती है और दोनों अमेरिका चले जाते हैं। फिर उसका बेटा वापस तब लौटता है जब पिता के ऊपर हमला होता है। तब उसका बेटा ऐलान करता है कि जिस किसी ने भी मेरे पापा बलबीर सिंह पर गोली चलाई है, उसका गला मैं अपने हाथ से काटूंगा। लेकिन कहानी में असली मोड़ तब आता है जब ये दुश्मनी खानदानी निकलती है।

अपनी फिल्म संजू को भी छोड़ दिया पीछे

बता दें कि फिल्म में रणबीर कपूर पूरी तरह संजय दत्त की तरह लग रहे हैं। फिल्म में रणविजय अपने परिवार की सुरक्षा के लिए हथियार उठाता है। उसका पिता कहता भी है कि अगर मैं हाथ उठा लूं तो तुम जेल में होगे। पिता पुत्र के बीच की इस खटास का पूरी कहानी पर असर रहता है और वापस अमेरिका जाने की तैयारी कर चुका बेटा जब अपने पापा से ये कहता है कि हम दोनों वही दिन दोहराते हैं जब माइकल जैक्सन का शो छोड़कर बेटे ने पापा का उनके जन्मदिन पर इंतजार किया था।

इस फिल्म में रणबीर कपूर(Animal Review) ने एक किशोरवय रणविजय से लेकर एक क्रूर, वहशी और खूंखार विजय तक का किरदार बहुत ही शानदार तरीके से निभाया है। रणबीर कपूर का अभिनय फिल्म के हर दृश्य में लाजवाब है। इस फिल्म के जरिये रणबीर कपूर ने हर उस दिल को छुआ है, जिसने वाकई कभी सच्ची मोहब्बत की है।

संदीप रेड्डी वंगा का निर्देशन

गौरतलब है कि बतौर निर्देशक संदीप रेड्डी वंगा की ये तीसरी और हिंदी में बस दूसरी फिल्म है। सिर्फ तीन फिल्मों से अपना एक अलग किस्म का सिनेमा रच देने वाले संदीप को इस फिल्म में हिंसा के अतिरेक के चलते आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ेगा। लेकिन, यहां ये ध्यान रखने वाली बात है कि ये फिल्म सिर्फ वयस्कों के लिए बनी है। बता दें कि कहानी बीच में एक बार तृप्ति डिमरी के निभाए किरदार जोया के आने पर हिचकोले खाती है लेकिन जोया की असलियत का खुलासा होते ही फिल्म फिर से पटरी पर आ जाती है। कहानी और निर्देशन के अलावा संदीप ने फिल्म की एडिटिंग की भी जिम्मेदारी संभाली है।

फिल्म में दिया है सामाजिक संदेश

वहीं फिल्म में हिंसा के बीच भी कुछ सामाजिक संदेश हैं। पति-पत्नी के रिश्तों की नाजुक डोर पर भी ये फिल्म संतुलन साधते चलती है तो साथ ही ये भी बताती है हिस्सा मांगने को लेकर होने वाली महाभारत का अंत सुखद नहीं होता। धर्म की आड़ लेकर एक से अधिक बीवियां रखने वालों पर भी इसमें एक तंज है और पैसा पाते ही इंसान का रिश्ते भूल जाना। गांव में पीछे छूट गए कुटुंबजनों का ध्यान न रखना भी फिल्म का एक इशारा है और इशारा ये भी है कि कैसे शहर के लोग अस्तीन के सांप बनकर खुद को दूध पिलाने वाले को ही डसने हैं। तब बस वही मदद करते हैं , जिनसे रिश्ता खून का होता है।

रश्मिका ने दिखाए तेवर

फिल्म की मुख्य अभिनेत्री रश्मिका मंदाना अपने घर वालों से बगावत कर एक सनकी टाइप से लड़के से शादी करने चली आई युवती से लेकर दो बच्चों की मां तक के किरदार में रश्मिका ने वाकई बहुत प्रभावी अभिनय किया है। रश्मिका का किरदार दक्षिण भारतीय ही रखा गया है लिहाजा उनके हिंदी बोलते बोलते अंग्रेजी में चले जाने की सहजता उनके किरदार को और मजबूत ही करती है।

करवा चौथ के दिन अपने पति का इंतजार कर रही पत्नी के सामने जब पति ये बात स्वीकार करता है कि उसके दैहिक संबंध किसी और महिला से बन चुके हैं तो उसके बाद का जो दृश्य है, उसमें रश्मिका ने अपनी बेहतरीन अभिनय प्रतिभा का प्रदर्शन किया है। पति जब कोमा से लौटकर अपने घर वापस आता है और घर में काम कर रही सहायिका के सामने ही पत्नी संग अंतरंग होने की कोशिश करता है और रश्मिका इस सीन में अपने वस्त्र उतारकर रणबीर के पास आती हैं तो उस दृश्य को रचने और उसे निभाने के लिए जितनी तारीफ फिल्म के निर्देशक की होनी चाहिए, उतनी ही तारीफ रश्मिका की भी होनी चाहिए।

सहायक कलाकारों की टोली

फिल्म में शक्ति कपूर का बने रहना ही दृश्य की मजबूती बन जाता है। उनके इशारे कहानी का तड़का है। सुरेश ओबेरॉय और प्रेम चोपड़ा ने भी अपने अपने किरदार मजबूती से निभाए हैं। उपेंद्र लिमये की फिल्म में एक खास भूमिका है और उनके मराठी संवाद व मराठी लहजा फिल्म को मजबूती देते हैं। रणविजय की मां बनीं चारू शंकर,आबिद हक के किरदार में सौरभ सचदेवा , बलबीर के दामाद बने सिद्धार्थ कार्णिक और रणविजय की बहनों के किरदार में सलोनी बत्रा और अंशुल चौहान ने भी गौर करने लायक अभिनय किया है। लेकिन, फिल्म में अदाकारी का असल खेल खेला है बॉबी देओल ने। उनका किरदार फिल्म खत्म होने के बस थोड़ी ही देर पहले आता है और पूरी कहानी को एक अलग एंगेल पर ले जाता है

बेहतरीन सिनेमैटोग्राफी

इस फिल्म में अमित रॉय ने निर्देशक संदीप रेड्डी वंगा की आंखें बनकर काम किया है। यह फिल्म तकनीकी रूप से नए दौर के भारतीय सिनेमा की श्रेष्ठतम फिल्मों में गिनी जाएगी। बता दें कि फिल्म ‘एनिमल’ श्वेत-श्याम दृश्य से शुरू होकर श्वेत श्याम दृश्य पर ही खत्म होती है, लेकिन इसके बीच के तीन घंटे से अधिक समय के हर दृश्य में अमित रॉय ने वे सारे रंग भर दिए हैं जो संदीप ने अपनी कल्पना में सोचे होंगे।

फिल्म के दो गाने ‘अर्जन वैल्ली’ और ‘पापा मेरी जां’ पहले ही हिट हो चुके हैं और आगे भी ये बजते ही रहेंगे। बता दें कि फिल्म का बैकग्राउंड म्यूजिक, गायक राज शेखर के बोल पर ‘पापा मेरी जां’ रचने वाले हर्षवर्धन रामेश्वर ने तैयार किया है। फिल्म का क्लाइमेक्स मत मिस कीजिएगा क्योंकि यहां फिल्म की सीक्वल ‘एनिमल पार्क’ देखने का न्यौता भी है।

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