नई दिल्लीः एनिमल फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन कर रही हो, लेकिन इसे लेकर नकारात्मक प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। पहले सोशल मीडिया पर लोग बेबाकी से इस फिल्म में दिखाई गई हिंसा की आलोचना कर रहे थे, अब इस फिल्म का विरोध संसद में भी शुरू हो गया है। गुरुवार को […]
नई दिल्लीः एनिमल फिल्म भले ही बॉक्स ऑफिस पर अच्छा प्रदर्शन कर रही हो, लेकिन इसे लेकर नकारात्मक प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। पहले सोशल मीडिया पर लोग बेबाकी से इस फिल्म में दिखाई गई हिंसा की आलोचना कर रहे थे, अब इस फिल्म का विरोध संसद में भी शुरू हो गया है।
गुरुवार को कांग्रेस की राज्यसभा सदस्य रंजीत रंजन ने ‘सिनेमा का युवाओं पर पड़ता नकारात्मक प्रभाव’ विषय पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा, सिनेमा समाज का आईना होता है। हम लोग सिनेमा देखकर बड़े हुए हैं और सिनेमा हम सभी को प्रभावित करता है, खासकर युवाओं की जिंदगी को वह प्रभावित करता है। आजकल की फिल्मों में महिलाओं के प्रति असम्मान को फिल्मों के जरिए सही ठहराया जा रहा है’। रंजीत रंजन ने तीन मुद्दे उठाए।
रंजीत रंजन ने कहा, आजकल कुछ अलग तरह की फिल्में चल रहीं हैं। कबीर सिंह हो या पुष्पा हो आजकल एक एनिमल पिक्चर आई है। मैं आपको बता नहीं सकती मेरी बेटी के साथ बहुत सारी बच्चियां थीं, जो कॉलेज में पढ़ती हैं।आधी पिक्चर में उठकर रोते हुए चली गईं। इतनी हिंसा उसमें है। महिलाओं के प्रति असम्मान को फिल्मों के जरिए सही ठहराया जा रहा है। 11वीं और 12वीं के बच्चे इन्हें अपना आदर्श मानने लगे हैं। इस कारण से ही इस तरह की हिंसा हमेशा समाज में देखने को मिल रही है’।
रंजीत रंजन ने आगे कहा, ‘उच्च कोटि का इतिहास रहा है पंजाब का, हरि सिंह नलवा का। इस फिल्म में एक गाना है- अर्जुन वेल्ली ने जोर के गंडासी मारी। फिल्म में हीरो दो परिवारों के बीच नफरत की लड़ाई में बड़े-बड़े हथियार लेकर सरेआम हिंसा करता दिखाई देता है और कोई कानून उसे रोकता या सजा देता नजर नहीं आता।
सांसद ने कहा, ‘सेंसर बोर्ड ऐसी फिल्मों को कैसे बढ़ावा देने का कार्य कर सकता है? किस तरह से ऐसी फिल्में पास होकर आ रही हैं, जो हमारे समाज की बीमारी हैं। ऐसी फिल्मों का स्थान हमारे समाज में नहीं होना चाहिए।