मुंबई: 2007 में रिलीज हुई आमिर खान की पहली डायरेक्टोरियल फिल्म तारे ज़मीन पर ने सिनेमा जगत में ऐसी छाप छोड़ी, जो आज 17 साल बाद भी सभी को याद है. फिल्म की न सिर्फ एक इमोशनल कहानी है, बल्कि शिक्षा प्रणाली और बच्चों की मानसिक समस्याओं को समझने का एक अहम जरिया भी बनी। आमिर खान और दर्शील सफारी की शानदार अदाकारी से सजी इस फिल्म ने हर उम्र के दर्शकों के दिलों को छू लिया। आइए जानते हैं इस फिल्म से जुड़ी कुछ खास बातें।
आमिर खान ने तारे ज़मीन पर के जरिए निर्देशन की दुनिया में कदम रखा था। उनकी सोच और बारीकी से किया गया निर्देशन एक डिस्लेक्सिक बच्चे की कठिनाइयों को पर्दे पर वास्तविक रूप में लाने में सफल रहा। यह फिल्म आमिर खान के विजन को बखूबी से दर्शाती है.
फिल्म की कहानी एक डिस्लेक्सिक बच्चे इशान अवस्थी (दर्शील सफारी) के इर्द-गिर्द घूमती है, जो पढ़ाई में कमजोर है, लेकिन अपनी कल्पनाओं की दुनिया में माहिर है। फिल्म शिक्षा प्रणाली की खामियों को उजागर करते हुए यह सिखाती है कि हर बच्चे को उसकी क्षमताओं और रुचियों के हिसाब से आगे बढ़ने का मौका देना चाहिए।
फिल्म के गाने, खास तौर पर “मां”, दर्शकों के दिलों में आज भी अपनी जगह बनाए हुए हैं। शंकर एहसान लॉय का म्यूजिक और प्रसून जोशी के लिरिक्स ने फिल्म के इमोशनल सीन्स में जान दाल दी। इसके अलावा “बम बम बोले” जैसा गाना आज भी बच्चों को खूब पसंद आता है.
दर्शील सफारी ने इशान के किरदार में जान डाल दी। वहीं, आमिर खान ने राम शंकर निकुंभ के रूप में अपनी अदाकारी से यह दिखाया कि एक सच्चे शिक्षक का उद्देश्य बच्चों की क्षमता को पहचानना होता है। यहीं कारण है कि तारे ज़मीन पर 17 साल बाद भी हर किसी के दिल में खास जगह बनाए हुए है।
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