मुबंई: एक प्रवासी मजदूर है, नाम है नजीब. नजीब को सऊदी अरब में चरवाहे के रूप में गुलामी के लिए मजबूर किया जाता है. वह दो वर्षों तक कठोर रेगिस्तानी परिस्थितियों को सहते हैं. तन पर पहनने को कपड़े नही हैं और उसी रेगिस्तान में 700 बकरियों की अकेले देखभाल करते हैं. इस समय नजीब […]
मुबंई: एक प्रवासी मजदूर है, नाम है नजीब. नजीब को सऊदी अरब में चरवाहे के रूप में गुलामी के लिए मजबूर किया जाता है. वह दो वर्षों तक कठोर रेगिस्तानी परिस्थितियों को सहते हैं. तन पर पहनने को कपड़े नही हैं और उसी रेगिस्तान में 700 बकरियों की अकेले देखभाल करते हैं. इस समय नजीब इतना मजबूर होते है कि उनका मानवता पर से यकीन उठने लगता है और वो खुद को उन बकरियों के समान समझने लगते हैं जिनकी वो देखभाल करते हैं. अब आप कहेगें ये कहानी क्यों सुनाई जा रही है. क्योंकि इसी सत्य घटना पर एक फिल्म बनी हैं. फिल्म का नाम है “आडुजीवितम”. इस फिल्म को बनने में 16 साल का समय लगा है और आज यानी 28 मार्च को इस फिल्म को रिलीज किया गया है. फिल्म को देखने और न देखने वाले लोग अलग-अलग ढंग से इसका रिव्यू कर रहे हैं. तो आइए आपको बताते हैं कि इस फिल्म को सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर क्या रिव्यू मिल रही.
इस फिल्म में नजीब का किरदार एक्टर पृथ्वीराज सुकुमारन निभा रहे हैं. फिल्म में पृथ्वीराज के साथ अमाला पॉल और के.आर गोकुल भी अहम किरदार निभाते नजर आए हैं. फिल्म “आडुजीवितम द गोट लाइफ” का डायरेक्शन “ब्लेसी” ने किया है. यह फिल्म एक सर्वाइवल ड्रामा है. जब से यह फिल्म रिलीज हुई है. इस फिल्म पर कई यूजर प्रतिक्रिया दे रहे हैं. जैसे एक यूजर ने लिखा “एक्टर को इस फिल्म के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार मिलना चाहिए.” एक यूजर ने लिखा की “आज वह दिन है जब मुझे पृथ्वीराज का प्रशंसक होने पर गर्व हो रहा हैं. उसने कहा मैं 30 मिनट पहले थिएटर से बाहर आया लेकिन अभी भी ठंड लग रही है.”
फिल्म की बात करें तो “आडुजीवितम द गोट लाइफ” को पांच भारतीय भाषाओं तमिल, तेलुगू, कन्नड़, मलयालम और हिंदी मेंहिंदी में रिलीज किया गया है. सच्ची घटना पर आधारित इस फिल्म का बजट 40 से 50 करोड़ का बताया जा रहा है. यह बेन्यामिन के 2008 के उपन्यास “आदुजीविथम” पर आधारित है. इस मलायालम उपन्यास को सबसे अधिक बिकने वाले उपन्यास का गौरव भी प्राप्त है