मुंबई: एक महान फनकार जिसने भावनाओं को शब्दों में पिरोया और प्यार-मोहब्बत से लबरेज गानों से दिलों को छू लिया है, और आज उस शख्सियत की जयंती है. दरअसल ‘तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे’ गीत को आवाज देने वाले मोहम्मद रफी की आज जयंती है, जिन्हें हम कभी नहीं भुला सकते है. बता दें […]
मुंबई: एक महान फनकार जिसने भावनाओं को शब्दों में पिरोया और प्यार-मोहब्बत से लबरेज गानों से दिलों को छू लिया है, और आज उस शख्सियत की जयंती है. दरअसल ‘तुम मुझे यूं भुला ना पाओगे’ गीत को आवाज देने वाले मोहम्मद रफी की आज जयंती है, जिन्हें हम कभी नहीं भुला सकते है. बता दें कि रूहानी आवाज से नवाजे गए रफी साहब भले ही इस दुनिया से जा चुके हैं, लेकिन उनके सदाबहार गानों ने उन्हें फैंस के दिलों में हमेशा के लिए अमर कर दिया है, और ‘क्या हुआ तेरा वादा’ से लेकर ‘आज मौसम बड़ा बेईमान है’ तक के ये सभी गाने आज भी बहुत लोकप्रिय हैं.
गायक मोहम्मद रफी ने पहली दफा 13 साल की उम्र में स्टेज परफॉर्मेंस दी, और ये अवसर उन्हें महान केएल सहगल के एक संगीत कार्यक्रम में मिला था, और 1948 में रफी ने राजेंद्र कृष्ण के द्वारा लिखित ‘सुन सुनो ऐ दुनिया वालों बापूजी की अमर कहानी’ गाना गाया, और इस गाने के हिट होने के बाद उन्हें तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के घर में गाने के लिए आमंत्रित किया था. हालांकि मोहम्मद रफी ने बॉलीवुड की बहुत से फिल्मों में शानदार गाने गाए है, जिन्हें हिंदी संगीत के इतिहास में गिना जाता है, और उन्होंने हिंदी गानों के अलावा भी कई क्षेत्रीय और विदेशी भाषा में भी गाने गाए है.
बता दें कि पहली शादी से मोहम्मद रफी का एक बेटा सईद हुआ था, और दूसरी शादी से उनके तीन बेटे खालिद, हामिद, शाहिद और तीन बेटियां परवीन अहमद, नसरीन अहमद, यास्मीन अहमद थी. दरअसल रफी साहब के तीनों बेटों सईद, खालिद और हामिद की मौत हो चुकी है, और एस.डी बर्मन, शंकर-जयकिशन, लक्ष्मीकांत प्यारेलाल, ओपी नैय्यर और कल्याणजी आनंदजी समेत अपने दौर के लगभग सभी लोकप्रिय संगीतकारों के साथ गाना गा चुके मोहम्मद रफी ने 31 जुलाई 1980 को दुनिया को अलविदा कह दिया था. बता दें कि मोहम्मद रफी साहब के अंतिम संस्कार में 10 हजार से अधिक लोग शामिल हुए थे.
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