नई दिल्ली. बॉलीवुड के शहंशाह के नाम से मशहूर सदी के महानायक बुधवार यानी कि 11 अक्टूबर को 75 साल के हो जाएंगे. 75 बसंत देख चुके अमिताभ बच्चन अभी भी तंदुरुस्त नजर आते हैं. उनके फिटनेस का ही नतीजा है कि वो अभी भी न सिर्फ फिल्में कर रहे हैं बल्कि शो भी कर रहे हैं. अमिताभ बच्चन का फिल्मी करियर इतना लंबा है कि अगर उसमें एक नजर डालने की कोशिश करेंगे तो ऐसी-ऐसी अनकही कहानियां सुनने को मिलेंगे, जिसकी कल्पना आप भी नहीं कर सकते हैं. अमिताभ बच्चन के 75वें बर्थडे पर हम उनके जीवन से जुड़ी 75 अनकही-अनसुनी कहानियों की सीरीज चला रहे हैं. इससे पहले कहानियों की चार किस्त प्रकाशित कर चुके हैं. अब पेश है इस सीरीज का पांचवां किस्त.
21. महमूद के भाई की ऐसे की बिग बी ने मदद
अमिताभ बच्चन शुरू से ही यारों के यार रहे हैं. महमूद के भाई अनवर अली के साथ सात हिंदुस्तानी में काम करने के दौरान हुई दोस्ती उन्होंने आखिर तक निभाई. जिसका फायदा मुंबई टू गोवा में अमिताभ को साइन करके महमूद ने भी लिया. लेकिन जब अनवर की महमूद से बिगड़ गई तो महमूद ने उसे घर से निकाल बाहर किया और उसकी कार भी छीन ली. इधर अनवर ने एक जापानी लड़की से शादी कर ली थी. वो जब जापान से परमानेंट तौर पर भारत आ रही थी तो अनवर ने उसे एक इम्पोर्टेड कार अपने साथ लाने को कहा, जिस पर चालीस हजार की कस्टम ड्यूटी लगनी थी. तब अनवर महमूद की शिकायत करने अपने बड़े भाई उस्मान के पास गए.
उस वक्त उस्मान के साथ उनका कोई दोस्त भी वहीं बैठा हुआ था. उसने कहा मदद तो मैं भी कर सकता हूं लेकिन मदद के लिए एक शर्त होगी. अनवर ने शर्त पूछी तो उसने कहा कि अमिताभ बच्चन से साइन करवाकर एक लेटर ला दो कि वो मेरी फिल्म में काम करेंगे. इसके बदले में अनवर को जितने पैसे की जरूरत होगी, वो देगा. मरता क्या ना करता, अनवर तैयार हो गया. वो अमिताभ बच्चन के पास पहुंचकर अपनी परेशानी बताई तो अमिताभ ने फौरन हां कर दी. इस तरह फिल्म खुद्दार के लिए तैयार हुए अमिताभ बच्चन, अपने मुसीबतों के समय के दोस्त अनवर अली की खातिर, उसको मुश्किलों से निकालने के लिए.
22. जब मुमताज ने दे दी बच्चन को मर्सिडीज
अमिताभ बच्चन जब फिल्मों में आए तो मुमताज उस वक्त की टॉप एक्ट्रेस थीं. अमिताभ को उनके साथ एक फिल्म करने को मिली ‘बंधे हाथ’. 1973 में रिलीज हुई इस फिल्म को उस वक्त यूं तो बड़ी कामयाबी नहीं मिली, लेकिन उस दौरान एक वाकया अमिताभ कभी नहीं भूलते. मुमताज शूटिंग के दौरान सेट पर मर्सिडीज लेकर आती थीं और अमिताभ के पास कोई छोटी कार थी.
एक दिन अमिताभ ने किसी को कहा कि एक दिन उनके पास भी मर्सिडीज होगी. मुमताज को भी कहीं से ये बात पता चल गई, लेकिन उन्होंने कुछ नहीं कहा. अगले दिन जब अमिताभ शूटिंग खत्म करके बाहर निकले तो देखा कि उनकी कार गायब है. स्टूडियो को लोगों ने बताया कि मुमताज उनकी कार ले गई हैं और अपनी मर्सिडीज उनके लिए छोड़ गई हैं. अमिताभ मुस्कराए बिना नहीं रह सके. मुमताज की ये मर्सिडीज अमिताभ के पास कई दिनों तक रही थी.
23. मुश्किल वक्त में काम आए मनोज कुमार
यूं तो मनोज कुमार ने भी कई सितारों की मदद की, लेकिन अमिताभ बच्चन की उन्होंने जो मदद की, वो भुलाने लायक नहीं. अमिताभ को 1969 में ख्वाजा अहमद अब्बास की फिल्म ‘सात हिंदुस्तानी’ से ब्रेक जरूर मिल गया था, लेकिन उसके बाद उन्हे कोई बड़ी फिल्म ऑफर नहीं हो रही थी. हालांकि छोटी छोटी कई फिल्मों में वो काम कर रहे थे, कई रिलीज भी हुईं लेकिन बॉक्स ऑफिस पर उतनी कामयाब नहीं हुईं. निर्माता-निर्देशकों के चक्कर लगाते लगाते वो काफी परेशान हो चले थे और मुंबई के खर्चे निकालना आसान नहीं था.
ऐसे में एक बार तो बच्चन ने बॉलीवुड से वापस लौटने का मन बना लिया था. जब ये बात मनोज कुमार को पता चली तो उन्होंने अमिताभ को समझाया और अपनी फिल्म ‘रोटी, कपड़ा और मकान’ में एक रोल दिया, जिसकी शूटिंग के चलते अमिताभ रुक गए. हालांकि ये फिल्म रिलीज काफी देर से हो पाई जबकि जंजीर रिलीज हो चुकी थी और जंजीर के जरिए अमिताभ स्टारडम की तरफ पहला बड़ा कदम उठा चुके थे. लेकिन मनोज कुमार ने बॉलीवुड के इस सुपरस्टार को उस वक्त निराशा के भंवर से निकालने का बड़ा काम किया था.
24. अमजद खान की बचाई जान
अमिताभ और अमजद खान के बीच रीयल लाइफ में ‘याराना’ जैसी ही दोस्ती थी. एक बार ‘द ग्रेट गैम्बलर’ की शूटिंग के लिए जब अमजद खान अपने परिवार को साथ लेकर खुद ही कार ड्राइव करते हुए मुंबई से गोवा जा रहे थे, तो गोवा के पास उनका भयंकर एक्सीडेंट हो गया. खबर मिलते ही हॉस्पिटल में अमिताभ बच्चन पहुंचे. अमजद की हालत क्रिटिकल थी. मेजर सर्जरी की जरूरत थी लेकिन परिवार का कोई सदस्य डॉक्यूमेंट साइन करने को वहां नहीं था और यूनिट के लोग राजी नहीं थे.
तब बच्चन ने सर्जरी के लिए वो डॉक्यूमेंट साइन किए. उसके बाद अमजद को खून की जरूरत पड़ी तो बच्चन ने उन्हें खून भी दिया. इतना ही नहीं, ऑपरेशन दस से बारह घंटे चला, तब तक अमिताभ वहीं हॉस्पिटल की बेंच पर बैठे रहे और अमजद खान के लिए दुआएं करते रहे. दुआएं रंग लाईं, ऑपरेशन कामयाब रहा और अमजद खान को नई जिंदगी मिली. ठीक होते ही उनको मुंबई के नानावटी हॉस्पिटल में शिफ्ट कर दिया गया. उसके बाद अमिताभ और अमजद खान का वो याराना और भी गहरा गया.
25. कैमरामैन के लिए की डॉन
अमिताभ बच्चन की डॉन का शाहरुख ना केवल रीमेक बल्कि उसकी सीक्वल तक बना चुके हैं. दोनों ने ही अच्छा पैसा भी बनाया. इसी तरह अमिताभ की डॉन भी सुपरहिट हुई थी लेकिन एक वक्त था जब इस फिल्म ने रिलीज के पहले हफ्ते में कोई खास बिजनेस नहीं किया था. तब परेशान डायरेक्टर चंद्रा बारोट अपने दोस्त मनोज कुमार के पास गए. दरअसल, इस फिल्म के पीछे एक और कहानी थी. फिल्म छैला बाबू, रोटी कपड़ा और मकान और सरस्वती चंद्रा जैसी फिल्मों के मशहूर सिनेमेटोग्राफर नरीमन ईरानी उन दिनों फाइनेंशियल क्राइसिस से गुजर रहे थे. उनकी मदद के लिए अमिताभ, प्राण और जीनत अमान ने उनकी फिल्म डॉन में केवल टोकन एमाउंट पर काम करने की हां कर दी.
इसी दौरान मनोज कुमार की फिल्म ‘क्रांति’ की शूटिंग के दौरान अचानक एक दीवार गिरने से नरीमन ईरानी की मौत हो गई, ऐसे में परिवार की मदद के लिए सभी ने बिना पैसे के उस फिल्म में काम किया. फिल्म को पूरा करने में भले ही तीन चार साल लगे, लेकिन मनोज कुमार फिल्म डायरेक्टर चंद्रा बारोट की मदद से उस फिल्म को किसी भी तरह पूरा करने की जुगत में लगे रहे. अमिताभ और जीनत ने भी जरूरत के मुताबिक अपने डेट्स इस फिल्म के लिए दीं, कई बार रीशूट किया. बाद में ये उनकी जिंदगी की सबसे यादगार फिल्मों में शामिल हो गई.
ऐसे में जब डॉन के डायरेक्टर पहले हफ्ते में कम कलेक्शन की खबरों के साथ मनोज कुमार के पास पहुंचे तो मनोज ने फिल्म देखी और कहा फिल्म तो अच्छी है लेकिन ड्राई है, इसमें एक गाना और डालो. तब चंद्रा कल्याणजी आनंदजी के पास गए और एक तैयार गाना देने को कहा. कल्याणजी आनंद जी ने कहा एक गाना है तो, उसे हमने देव आनंद की फिल्म बनारसी बाबू के लिए तैयार किया था, लेकिन देव साहब ने उसे रिजेक्ट कर दिया था. लेकिन चंद्रा बारोट ने उस गाने को अमिताभ-जीनत पर फिल्मा लिया गया, और वो था खाइके पान बनारस वाला. फिर तो फिल्म ऐसी चली…ऐसी चली कि शाहरुख को भी इस गाने का रीमेक बनाना पड़ गया.
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