नई दिल्ली: एक दौर था जब लताजी के बिना किसी भी म्यूजिक डायरेक्टर का गुजारा नहीं था, और कोयल जैसी मीठे सुरों की इस मलिका का मूड भी खराब होता था तो वो रूठ जाती थीं, फिर उनको मनाने में लोगों को सालों लग जाते थे. ऐसे कई वाकए हैं, जब लता मंगेशकर अपने साथियों से किसी ना किसी वजह से नाराज हो गईं. एक बार तो उनकी मोहम्मद रफी से ऐसी बिगड़ी कि तीन साल दोनों ने साथ गाना नहीं गाया.
हालांकि बाद में दोनों ने ये तल्खियां खत्म कीं और आखिर तक साथ गाते रहे थे. 1980 में अपनी मौत से ठीक पांच दिन पहले मोहम्मद रफी ने लता मंगेशकर के साथ फिल्म आस पास के लिए अपना जो आखिरी गाना रिकॉर्ड किया था, उसके बोल थे- शहर में चर्चा है, दुनियां कहती है. लता और रफी की जोड़ी ना जाने कितने सुपरहिट गीतों की आवाज बनी. लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया था, जब दोनों ने एक साथ गाना बंद कर दिया, पूरे तीन साल तक दोनों एक स्टूडियो में नजर नहीं आए. लताजी महेन्द्र कपूर के साथ तो रफी सुमन कल्याणपुरी के साथ सुर मिलाते रहे.
दरअसल हुआ यूं कि एक बार लताजी ने मांग उठाई कि जब फिल्म सुपरहिट हो जाती है, तो फिल्मों के अलावा भी कई तरह से म्यूजिशियंस गानों से पैसा कमाते हैं, ऐसे में रॉयलिटी में गायकों का हिस्सा भी बनता है. उनको लगता था कि मोहम्मद रफी भी उनकी बात का सपोर्ट करेंगे ही. बस यहीं बात बिगड़ गई क्योंकि रफी ने कह दिया कि जब गायक फिल्मों के फ्लॉप होने पर घाटा शेयर नहीं करते तो सुपरहिट होने पर ज्यादा पैसे कैसे मांग लें, एक बार गाने की फीस लेने के बाद दोबारा मांगना मुझे ठीक नहीं लगता. दोनों के रिश्तों में दरार आ गई जो तस्वीर तेरी दिल में… गाने की रिकॉर्डिंग के दौरान एक स्टांजा पर मतभेद के चलते गहरा गई.
इसके बाद दोनों ने साथ में गाना बंद कर दिया. हालांकि लोगों ने तब लताजी को सपोर्ट किया था, क्योंकि लताजी ने बाकी गायकों के मन की बात कह दी थी. वैसे भी लता या रफी को तो उन दिनों सबसे ज्यादा पैसा मिलता था, मुश्किल तो बाकी गायकों की थी. लोगों ने ये भी कहा चूंकि रफी साउथ में हिंदी फिल्मों के डिस्ट्रीब्यूशन के बिजनेस से भी जुड़ गए थे, सो उनको पैसों की परेशानी नहीं थी और वो रिश्ते प्रोडयूर्स से खराब नहीं करना चाहते. हालांकि कई लोग रफी के फैसले का भी बचाव करते हैं, उनका कहना था रफी नेकदिल आदमी थे, वो बस अपने गाने की फीस वसूलकर बाकी नफा नुकसान के मामले में दखल देना नहीं चाहते थे.
उनका ये भी कहना थी कि जब फिल्में पिटती हैं, तब तो हम प्रोडयूसर को पैसा वापस नहीं करते, तो हिट होने पर अलग से पैसा क्यों मांगें. इधर दोनों के बीच फिर एक विवाद आया जब रफी ने गिनीज बुक को लैटर लिखकर सबसे ज्यादा गाने के लता के रिकॉर्ड पर सवाल उठाए. उन्होंने दावा कि लता से ज्यादा गाने तो मैंने गाए हैं. गिनीज ने बाद में ये रिकॉर्ड कैटगरी ही डिलीट कर दी. दोनों के विवाद से म्यूजिशियन भले ही परेशान रहे लेकिन सुमन कल्याणपुर, महेन्द्र कपूर, आशा भोंसले जैसे कई गायकों को फायदा भी मिला, उनको कई गाने मिले.
हालांकि संगीतकार जयकिशन ने दोनों को समझाया और दोनों साथ काम करने को राजी हो गए. कहानी में मोड़ पचास साल बाद तब आया जब लताजी ने एक इंटरव्यू में कहा कि रफी ने लिखित में भी खेद जताया था, तब वो साथ काम करने को राजी हुई थीं. इससे रफी के बेटे शाहिद रफी भड़क गए और एक 2012 में एक फ्रेस कॉन्फ्रेंस बुला डाली और उन्होंने लता मंगेशकर को खुला चैलेंज कर दिया और कहा कि — मेरे फादर ने अगर कोई ऐसा लैटर लिखा है तो लताजी मुझे दिखाएं, उनसे मैं माफी मांग लूंगा.
लेकिन लता ने विवाद भड़कता देखकर शांत रहना ही बेहतर समझा. वैसे भी रफी से उनके रिश्ते पहले ही सुधर चुके थे, इसलिए वो रफी की गैरमौजूदगी में उनके बच्चों के साथ विवाद नहीं करना चाहती थीं. ऐसे बात आई गई हो गई. वैसे भी रफी की मौत के बाद लताजी ने रफी के बारे में कभी भी बुरा नहीं बोला था, उनका एक इंटरव्यू तो यूट्यूब पर भी उपलब्ध है, जिसमें वो कह रही हैं, “वो भगवान का आदमी था, उसकी आवाज खुदा की आवाज थी”.