नई दिल्ली. अभिनेता देव आनंद ने कई फिल्मी सितारों का कैरियर ऊंचाई पर पहुंचा दिया. देव आनंद की मदद को जीनत अमान, शत्रुघ्न सिन्हा, नंदा और आरडी वर्मन जैसे कई मशहूर सितारे हर मंच पर मानते आए हैं, लेकिन कुछ सितारे ऐसे भी थे जिनकी मदद देव आनंद ने डायरेक्ट नहीं की, लेकिन उनकी छोड़ी हुई फिल्मों की वजह से वो सुपर स्टार जरूर बन गए. ये दो सुपर स्टार हैं शम्मी कपूर और अमिताभ बच्चन.
अमिताभ बच्चन के कैरियर में जिस फिल्म ने सबसे अहम भूमिका अदा की, वो थी जंजीर. इस फिल्म नें अमिताभ को बॉलीवुड का एंग्री यंग मैन बना दिया. ये फिल्म अमिताभ की जिंदगी का सबसे बड़ी टर्निंग प्वॉइंट थी. दरअसल, प्रकाश मेहरा सबसे पहले इस फिल्म का आइडिया लेकर देव साहब के ही पास गए थे. उन्हें ये स्क्रिप्ट काफी पसंद भी आई थी. उन्होंने बाकी कलाकारों के बारे में पूछा और ये भी पूछा कि गाने किस-किस सिचुएशन में फिल्माए जाएंगे और रोमांटिक गाने कितने हैं, क्या वो कम्पोज हो चुके हैं या अभी होने हैं. प्रकाश मेहरा का जवाब सुनकर वो वाकई में हैरान रह गए.
प्रकाश मेहरा ने बताया कि इस फिल्म में ना तो कोई रोमांटिक गाना है और ना ही हीरो के हिस्से में कोई नाच गाना तो उन्हें बहुत ही अजीब लगा. दरअसल देव आनंद की इमेज एक रोमांटिक हीरो की थी, बिना रोमांटिक गानों के वो उस दौर में अपनी फिल्म की कल्पना भी नहीं कर सकते थे और अपने फिल्मों में देव आनंद का इतना ज्यादा दखल होता था कि लोग उन्हें उनकी फिल्मों का घोस्ट डायरेक्टर ही मानते थे.
चूंकि फिल्म की कहानी उन्हें पसंद आई थी, इसलिए उन्होंने प्रकाश मेहरा से कहा भी कि यार एक रोमांटिक गाना तो डाल दो. लेकिन मेहरा राजी नहीं हुए तो देव साहब को लगा कि इससे उनकी रोमांटिक हीरो की इमेज खराब होगी. उन्होंने फिल्म करने से मना कर दिया. हालांकि, मेहरा साहब उसके बाद राजकुमार के पास भी गए. राजकुमार ने ये कहकर मना कर दिया कि स्टोरी तो पसंद आई लेकिन आपकी शक्ल नहीं. ऐसे में फिल्म चली गई अमिताभ बच्चन के खाते में और फिर जंजीर ने जो इतिहास रचा वो शायद देश के बच्चे बच्चे को पता है.
बिलकुल इसी तरह का वाकया हुआ शम्मी कपूर के साथ. शम्मी कपूर के कैरियर ने उड़ान ना भरी होती अगर उन्हें फिल्म ‘तुम सा नहीं देखा’ ना मिली होती. उन्हें वो फिल्म भी ना मिलती अगर देव आनंद ने उस फिल्म के लिए ऐन वक्त पर मना नहीं किया होता. फिल्मिस्तान स्टूडियो की इस फिल्म के लिए हीरोइन अमीता यानी कमर सुल्ताना का नाम पहले से तय था. दरअसल वो फिल्मिस्तान स्टूडियो के मालिक की शार्गिद थी. उसकी शुरूआती कुछ फिल्में पिटने के बाद उन्होंने अमीता को देव आनंद के साथ साइन किया था. ताकि उसका कैरियर चल जाए. लेकिन देव साहब एक भी सुपरहिट ना देने वाली लड़की के साथ फिल्म करने को तैयार ना हुए और मना कर दिया.
आमिर खान के अंकल नासिर हुसैन अपनी पहली फिल्म डायरेक्टर कर रहे थे. नासिर इससे पहले देव आनंद के लिए मुनीमजी और पेइंग गेस्ट जैसी फिल्में लिख चुके थे और तुम सा नहीं देखा भी उन्होंने देव साहब के लिए ही लिखी थीं. देव साहब के मना करने पर उन्होंने स्टूडियो ओनर को कहा भी कि हीरोइन बदल लो, लेकिन वो किसी कीमत पर राजी नहीं था. फिर देव आनंद को पूछा गया लेकिन फिर भी जब देव साहब तैयार नहीं हुए तो उन्होंने प्रोडयूसर शशधर मुखर्जी के कहने पर शम्मी कपूर को साइन कर लिया, जिनकी हालत उन दिनों अमीता जैसी ही थी, यानी 18 फिल्में करने के बाद भी खाते में एक भी सुपरहिट नहीं.
शम्मी कपूर को भी उस फिल्म के बारे मे पता था और वो पूरी कोशिश कर रहे थे. शम्मी के नाम पर पहले तो नासिर हुसैन राजी नहीं थे, आखिर बतौर डायरेक्टर उनकी पहली फिल्म थी. लेकिन शम्मी को इस फिल्म की इतनी ज्यादा जरूरत थी कि वो उन्हें डिनर पर ले गए और सारे रंजोगम दूर कर लिए.
ये वो फिल्म थी जिससे उस शम्मी कपूर का उदय हुआ, जिसे आप याहू हीरो के तौर पर जानते हैं. यानी मस्ती में बालों को लहराकर, दिल खोलकर डांस करने वाला शम्मी कपूर. हालांकि, फिल्म के सुपरहिट होते ही सारा क्रेडिट शम्मी और नासिर के हिस्से में चला गया. हीरोइन अमिता फिर भी नहीं चली. वैसे इस फिल्म ने शम्मी के कैरियर में ठीक वही रोल प्ले किया, जो अमिताभ के कैरियर में जंजीर ने किया था और दोनों ही फिल्में देव आनंद को ध्यान मे रखकर लिखी गई थीं. एक फिल्म से शम्मी याहू हीरो बन गए और दूसरी से अमिताभ बच्चन एंग्री यंग मैन.
नोट- 26 सितंबर को देव आनंद का जन्मदिन होता है.