मुंबई. निखिल आडवाणी की ‘लखनऊ सेंट्रल’ शुक्रवार को रिलीज हो रही है जिसमें फरहान अख्तर एक ऐसे कैदी का रोल कर रहे हैं जो साथी कैदियों के सात मिलकर जेल के अंदर ही एक बैंड बना लेता है. कहानी सच्ची है पर फिल्म बनी है तो कुछ फिल्मपना आ ही गया होगा.
खैर मुद्दे की बात ये है कि प्रोड्यूसर निखिल आडवाणी ने इस फिल्म को बनाने के लिए मुंबई के गोरेगांव फिल्म सिटी में ही लखनऊ का लंबा-चौड़ा और बड़ा सा जेल खड़ा कर दिया. आडवाणी चाहते थे कि फिल्म में कहीं से भी ऐसा ना लगे कि फिल्म का जेल किसी भी सूरत में असली जेल से कमजोर या अलग है.
आडवाणी ने जेल का सेट बनाने में कुछ पुराने कैदियों की भी मदद ली जो तरीके से बता सकें कि जेल सचमुच में अंदर कैसा होता है. आडवाणी ने आर्ट डायरेक्टर अमित रे को साइन किया जिन्होंने सुब्रत चक्रवर्ती के साथ मिलकर मुंबई में ही लखनऊ का जेल बना दिया. अमित ने संजय लीला भंसाली की बहुचर्चित आगामी फिल्म ‘पद्मावती’ का भी सेट डिजाइन किया है.
जब अमित रे को साइन किया तो वो उनका अंदाजा नहीं था कि उनको लखनऊ जेल जैसा बड़ा सेट खड़ा करना है लेकिन फिर उन्होंने इसे चुनौती के तौर पर लिया. ड्राइंग बोर्ड पर बैठने से पहले अमित ने सुब्रत के साथ मिलकर काफी रिसर्च की जिसमें देश-विदेश की कई जेलों को देखना भी शामिल था.
फिल्म सिटी में करीब 2 एकड़ जमीन पर ‘लखनऊ सेंट्रल’ का जेल सेट खड़ा करने में करीब 3 महीने का समय लगा. रे चाहते थे कि जेल ऐसा बने जैसा कभी बॉलीवुड की किसी फिल्म में नहीं बनाया गया हो. मतलब, असली सा. वो खुश हैं कि सेट देखने वालों ने यही कहा कि ये तो सचमुच का जेल बन गया.
‘लखनऊ सेंट्रल’ को लेकर लोगों में उत्सुकता है कि कैसे एक कैदी जेल के अंदर बैंड बनाता है और जेल की दीवारें लांघकर अपनी प्रतिभा दुनिया को दिखाता है.
फिल्म में फरहान अख्तर और डायना पेंटी लीड रोल में हैं जिनके साथ गिप्पी ग्रेवाल, दीपक डोबरियाल, रॉनित रॉय, रवि किशन, इनामुल हक और राजेश शर्मा भी नजर आएंगे.
अभिनेता रोनित रॉय फिल्म में जेलर की भूमिका में हैं जो कैदियों को अपना बैंड बनाने के लिए ना सिर्फ प्रेरित करते हैं बल्कि उनकी मदद भी करते हैं.