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डायना पेंटी को ‘लखनऊ सेंट्रल’ में NGO वर्कर का झोला उठाने की ट्रेनिंग सुपर्णा ने दी

मुंबई. लखनऊ जेल की एक सच्ची कहानी को केंद्र में रखकर बनाई गई फिल्म लखनऊ सेंट्रल 15 सितंबर को रिलीज हो रही है. फिल्म में एनजीओ वर्कर का रोल निभा रहीं एक्ट्रेस डायना पेंटी ने सोशल एक्टिविस्ट के रोल में खुद को कायदे से उतारने के लिए सॉलिड ट्रेनिंग ली.
ये ट्रेनिंग डायना पेंटी को फिल्म के प्रोड्यूसर निखिल आडवाणी की पत्नी सुपर्णा ने दी जो खुद एक एनजीओ से जुड़ी हैं. फिल्म में डायना पेंटी जिस सोशल वर्कर गायत्री कश्यप की भूमिका निभा रही हैं वो लखनऊ जेल के कैदियों को सजा के बाद मुख्यधारा में लाने का काम करती है.
सुपर्णा ने एनजीओ के काम करने के तौर-तरीके और उनके कार्यकर्ताओं की जीवनशैली की डायना पेंटी को झलक दिखाई और ये समझाया कि कैसे एक एनजीओ आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाने का काम करता है.
डायना पेंटी कहती हैं, “सुपर्णा एक एनजीओ की प्रमुख हैं जो कानून हाथ में ले चुके अंडरट्रायल और नाबालिग बच्चों के बीच काम करती है. जब निखिल ने मुझे ये बताया तो मैं सुपर्णा के काम को समझने के लिए उनसे मिलने को बेताब हो गई. मुझे पता था कि इससे मुझे गायत्री कश्यप का रोल करने में काफी मदद मिलेगी जो जेल में बंद क्रिमिनल्स के सुधार में लगी है.”
डायना कहती हैं, “सुपर्णा से मेरी मुलाकात बिल्कुल आंखें खोल देने वाली साबित हुई. बहुत सारी जानकारी मिली. मुझे पहली बार ऐसी चीजें पता चलीं जिससे लगा कि हालात कितने खराब हैं. क्या आपको पता है कि भारत में हर 8 मिनट पर एक बच्चा गायब हो जाता है.”
डायना ने बताया, “सुपर्णा जो करती हैं और जो मेरा रोल है उसमें अंतर यही है कि सुपर्णा अंडरट्रायल और नाबालिग बच्चों के बीच काम करती हैं जबकि गायत्री कश्यप जेल में सजायाफ्ता कैदियों के बीच काम करती है. दोनों के लिए अपने उन लोगों का जीवन सुधारना कॉमन चीज है.”
डायना पेंटी ने माना कि सुपर्णा या उनके जैसे लोग जो काम करते हैं उसमें जितना लगन और समर्पण चाहिए, मैंने अपने रोल में उसको डालने की कोशिश की है ताकि मेरा रोल असली लगे और लोगों को लगे कि ये तो सचमुच सोशल वर्कर जैसी है.
फरहान अख्तर, डायना पेंटी और गिप्पी ग्रेवाल जैसे कलाकारों से सजी फिल्म लखनऊ सेंट्रल शुक्रवार को रिलीज हो रही है. फिल्म की कहानी लखनऊ जेल में घटी एक सच्ची घटना पर आधारित है. फिल्म में एक ऐसे शख्स की कहानी है जो म्यूजिशियन बनना चाहता है और जेल में रहते हुए ही अपना बैंड बना लेता है. डायरेक्शन रंजीत तिवारी का है.
साल 2007 में इसी तरह की एक घटना लखनऊ सेंट्रल जेल में हुई थी जिस पर फिल्म बनाई गई है. फिल्म की कहानी जितनी दिलचस्प है, उतनी ही दिलचस्प है उसकी मेकिंग.
फिल्म की मेकिंग के दौरान मुंबई फिल्म सिटी में इतना बड़ा सेट लगाया गया जितना आज तक किसी भी फिल्म के लिए नहीं लगाया गया था. फिल्म को यूपी का ऑरिजिनल टच देने के लिए फरहान अख्तर ने खूब मेहनत की है.
अभिनेता रोनित रॉय फिल्म में जेलर की भूमिका में हैं जो कैदियों को अपना बैंड बनाने के लिए ना सिर्फ प्रेरित करते हैं बल्कि उनकी मदद भी करते हैं. फिल्म में फरहान अख्तर के अलावा दीपक डोबरियाल, राजेश शर्मा, इनामुल हक, जैसे सितारे हैं.
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