नई दिल्ली, The Kashmir Files रिलीज़ को अभी कुछ ही दिन हुए हैं कि कश्मीर फाइल्स ने दर्शकों और समीक्षकों समेत देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तक की सराहना ले ली है. फिल्म कई विवादों से होकर गुज़र रही है. अब राजनीती ने कश्मीरी पंडितों पर बनी इस फिल्म के मुद्दे में दस्तक दे दी है.
विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द कश्मीर फाइल्स में कश्मीरी पंडितों के साथ हुआ अत्याचार और राजनीती का गंभीर मुद्दा दिखाया गया है. फिल्म कई मायनों में मसाला इंडस्ट्री के कई स्टैंडर्ड को तोड़ती नज़र आ रही है. जहां फिल्म में चर्चा किसी अभिनेता या अभिनेत्री की नहीं हो रही बल्कि उसके डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री की हो रही है. ऐसे गंभीर और बेबाकी से असलियत को दिखने के लिए कई आलोचक भी अब उनकी तारीफ करते नहीं थक रहे हैं जहां उनकी फिल्म ने महज़ तीन दिन में ही 50 करोड़ का आकड़ा बॉक्स ऑफिस पर पार कर लिया है.
फिल्म के रिलीज़ होने के तीसरे दिन पहली बार प्रेस वार्ता की गयी. अमूमन ऐसी प्रेस वार्ता मुंबई में की जाती है साथ ही किसी भी फिल्म की रिलीज़ के पहले करवाई जाती है, लेकिन फिल्म विवेक अग्निहोत्री की कॉन्फ्रेंस दिल्ली में रिलीज़ के 3 दिन बाद करवाई गयी. इस वार्ता द्वारा फिल्म के डायरेक्टर फिल्म को लाने का मकसद, इसमें आने वाली चुनौतियां और किन-किन बारीकियों पर ध्यान दिया गया. साथ ही फैक्ट और रियलिटी को लेकर ये फिल्म कितनी सटीक है.
इस प्रेस वार्ता में विवेक ने बताया कि कैसे उन्होंने इस फिल्म को बनाने के लिए 5000 घंटों की रिसर्च लगी. साथ ही फिल्म के लिए उन्होंने 15 हज़ार पन्नों के डाक्यूमेंट्स भी इकठ्ठा किये गए. पूरे कॉन्फ्रेंस में उन्होंने अपनी पत्नी और अपना संघर्ष बताया. उन्होंने बताया की कैसे उनकी पत्नी पत्नी पल्लवी जोशी ने असल कश्मीरी पंडितों और पीड़ितों से मिलने के लिए दुनिया के कई देशों से लेकर भारत के कई शहरों के चक्कर लगाए और 700 से ज़्यादा लोगों के इंटरव्यू रिकॉर्ड किये. इस दौरान उन्होंने 20 मिनट का वीडियो भी दिखाया जिसमें कश्मीरी पंडितों का असल इंटरव्यू दिखाया गया था. इसे 4 सालों का समय भी लगा.
इस प्रेस कॉन्फ्रेंस में विवेक अग्निहोत्री और उनकी पत्नी पल्लवी जोशी अपना संघर्ष और कश्मीरी पंडितों के साथ हुए अन्याय को बताते हुए कई बार अपने आसूं पोछते हुए नज़र आए. विवेक बताते हैं कि कश्मीरी पंडितों का एक दर्द तो ये है ही की उन्हें उनके घर से निकाल फेंका गया लेकिन उस समय पॉलिटिकल जवाबी में लोगों तक किसी भी बात की सही सही जानकारी तक नहीं पंहुचाई गयी इस बात का सबसे ज़्यादा दुख है. उनका कहना था कि सरकारों ने इस त्रासदी को छिपाने की खूब कोशिश की.