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जिस टीचर से शत्रुघ्न ने बदला लेना चाहा, उसी को करियर बनाने के लिए कहा- Thank You

मुंबई: शत्रुघ्न सिन्हा ने जितनी खुद अपनी जिंदगी में तरक्की की, उनसे कहीं कम उनके कुछ टीचर्स ने भी नहीं की. उनके कई टीचर्स ने अपनी जिंदगी में वो मुकाम पाया जिसके लिए लोग हसरत करते हैं और शत्रु का अपने टीचर्स से काफी खट्टा मीठा सा रिश्ता रहता था क्योंकि कॉलेज तो वो अकसर बंक करते थे, ज्यादातर वक्त सिनेमा हॉल्स में पाए जाते थे.
ऐसे में कई टीचर्स उन्हें कतई पसंद नहीं करते थे, खासतौर पर उनके प्रिंसिपल साहब. लेकिन कई टीचर्स से उनके बड़े ही सहज रिश्ते थे, ऐसे ही एक टीचर से शत्रु ने मूवी देखने के लिए पांच रुपए तक देने को मना लिया था, और बाद में ये टीचर देश की सबसे खतरनाक गुप्तचर संस्था रॉ के चीफ बने.
शत्रुघ्न सिन्हा के इस टीचर का नाम था सीडी सहाय़. ये 2003 से लेकर 2005 के बीच रॉ के चीफ रहे. सहाय साहब पहले रॉ चीफ थे, जो इजरायल से इंटेलीजेंस ट्रेनिंग लेकर आए थे. जिस वक्त वो शत्रु की क्लास में पढ़ा रहे थे, आईपीएस नहीं हुए थे. फिर कर्नाटक कैडर से आईपीएस बने, 1970 से ही वो रॉ में चले गए.
शत्रु जब कॉलेज में पढ़ रहे थे तो कोई भी मूवी नहीं छोड़ते थे, इससे उनके प्रिंसिपल अक्सर उन पर फाइन कर देते थे, एक बार शत्रु ने अपने प्रिंसिपल से कह ही डाला, ‘’हमारी फाइन से साइंस कॉलेज की तिजोरी भर गई है’’. लेकिन कुछ टीचर्स से वो सहज भी थे, सीडी सहाय उनमें से एक थे.
शत्रु ने अपनी बायोग्राफी में इस बात का जिक्र किया है कि कैसे उन्होंने सहाय साहब को मूवी के लिए पांच रुपए देने के लिए मना लिया था. शत्रु का ब्यूरोक्रेट्स और पुलिस वालों से काफी दोस्ताना रहता था, इसलिए उनका कोई परिचित आईएएस या आईपीएस कहीं जाता था, तो वो जानकारी रखते थे, या उसके टच मे रहते थे. उनके एक और टीचर थे टीपी सिन्हा, वो भी बाद में आईपीएस हो गए थे. वो शत्रु के बड़े भाई राम के दोस्त थे.
राम के कहने पर वो शत्रु को फिजिक्स का फ्री ट्यूशन दे दिया करते थे. यहां तक एक्जाम से पहले उन्होंने शत्रु को दस मॉडल क्वश्चंस भी तैयार करने को कहा, लेकिन शत्रु ने उस दस क्वशचंस की लिस्ट को देखा तक नहीं और एक्जाम में जब शत्रु ने देखा कि दस में से छह क्वश्चन वही हैं तो माथा धुन लिया. बाद मे यही टीपी सिन्हा बिहार के तो डीजीपी बने ही, झारखंड के भी पहले डीजीपी वही बने.
शत्रु ने अपने स्कूल के दो प्रिंसिपल की भी चर्चा अपनी बायोग्राफी में की है एक उनके नाम राशि थे शत्रुघ्न प्रसाद सिंह और दूसरे पारस नाथ सिन्हा. शत्रु की बदतमीजी के चलते उनमें से एक ने शत्रु को मुट्ठी बंद करवाकर उस मुट्ठी पर डस्टर से बुरी तरह मारा था. उसके वाबजूद शत्रु पढ़ाई के मामले में नहीं सुधरे और फायनल ईयर के बोर्ड एक्जाम में मैथ का पेपर देना ही भूल गए. उनकी एक साल खराब हुई, पिताजी नाराज हुए सो अलग.
दसवीं की क्लास में तो शत्रु ने दूसरा फॉर्मूला अपनाया, मैथ के पेपर के सारे आंसर अपने दोस्त प्रवीन सिन्हा की कॉपी में से कॉपी मार दिए. खुशी के मारे शत्रु ने अपने घर पर दावा कर दिया कि उनके सौ में से सौ नहीं तो नब्बे जरूर आएंगे, लेकिन जब रिजल्ट आया तो उनके बस दस नंबर थे.
शत्रु के पिता उन्हें अपनी तरह डॉक्टर बनाना चाहते थे, गुस्से में उन्हें अपने भाई और सीतामढ़ी में डीएसपी जगदीश्वरी प्रसाद सिन्हा के पास भेज दिया. सीतामढ़ी के कॉलेज में उनका एडमीशन हुआ जहां शत्रु अपने पैन को पैंट की पॉकेट में इस तरह रखकर ले जाने लगे कि टीचर्स को लगता था कि ये लड़का चाकू लेकर आता है, कुछ लड़कियों को भी परेशानी हुई उनके एटीट्यूड से तो वहां से भी विदाई हो गई.
शत्रुघ्न सिन्हा को पटना साइंस कॉलेज में एडमीशन दिला दिया गया, यहां भी उनके साथ वही दिक्कतें रहीं. अब वो स्टाइल में सिगरेट भी पीने लगे थे, ये शौक उन्हें किसी फिल्म में राजकपूर को 555 ब्रांड की सिगरेट पीते देखकर लगा था. उस कॉलेज के प्रिंसिपल शत्रु के कतई पसंद नहीं करते थे, नाम था एनएस नागेन्द्र नाथ और एक दिन आया जब शत्रु को उस कॉलेज से भी 1963 में ड्रॉप आउट होना पड़ा. बाद में उन्होंने एफटीआईआई में एडमीशन लिया, फिल्मों में ट्राई किया और फिर सुपरस्टार बन गए.
ठीक बारह साल बाद उन्हें उसी पटना साइंस कॉलेज के डायमंड जुबली फंक्शन में चीफ गैस्ट बनाकर बुलाया गया. तब तक लोगों की जुबान पर उनके एक एक डायलॉग रटे पड़े थे. अपने ही कॉलेज में, जिसमें उन्हें कोई पसंद नहीं करता था, आज हजारों लड़के लडकियां उनकी एक झलक को दीवाने थे. पटना एएसपी अमरिंदर की डयूटी थी शत्रु को एस्कॉर्ट करने की. लेकिन स्टूडेंट्स का सैलाब अमरिंदर को उड़ा ले गया, भीड़ उनको जाने कहां खींच ले गई. बाद में वही अमरिंदर सीबीआई के डायरेक्टर बने.
फिर शत्रुघ्न सिन्हा ने अपनी स्पीच शुरु की तो कहा— “जब मैं इस कॉलेज से निकला था तो सोचा था कि जब कभी मैं बड़ा आदमी बनूंगा तो एक आदमी से जरूर बदला लूंगा और पब्लिकली लूंगा वो हैं प्रिंसिपल नगेन्द्रनाथ जी”, शत्रु के इतना कहते ही पूरी सभा में सन्नाटा छा गया एकदम पिनड्रॉप साइलेंस.
शत्रु ने आगे कहा—“लेकिन आज मैं आप सबको बता देना चाहता हूं कि अगर मुझे जब भी नगेन्द्र नाथ जी से मिलने का मौका मिला तो मैं उनके पैरों में गिर पडूंगा, उनसे माफी मांग लूंगा. उनसे कहूंगा कि अगर आप मुझे स्ट्रिक्ट एक्शन के लिए वार्न ना करते तो मैं कभी भी एफटीआईआई नहीं जाता और एफटीआईआई नहीं जाता तो कभी भी स्टार नहीं बनता.
सर ये आप थे जिसने पहचाना कि ये कॉलेज मेरे लिए नहीं है. मेरी जगह तो कहीं और है.“ नगेन्द्र नाथ जी उस कार्यक्रम में आए नहीं थे, और ना ही इन बारह सालों में शत्रु उनसे कभी मिले थे. लेकिन शत्रु की बातें उन तक पहुंची जरूर होगी और खुश भी हुए होंगे.
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