नई दिल्ली: नागिन फिल्म की धुन 1954 में देने के बाद कल्याणजी बॉलीवुड के म्यूजियंस के बीच चर्चा का विषय बन गए थे, हेमंत कुमार के लिए Clavioline नाम के इलेक्ट्रोनिक की बोर्ड के जरिए कल्याणजी ने इस धुन को तैयार किया था, जबकि उनके साथा हारमोनिय पर थे हेमंत के असिस्टेंट रविशंकर. फिर तो बिना बीन के बनी ये बीन की धुन मानो कालजयी हो गई.
इतने सालों बाद आज भी नाग-नागिन से जुड़े गानों में इसी धुन को इस्तेमाल किया जाता है. ये गाना था मन डोले मेरा तन डोले…..लेकिन पांच साल बाद जब कल्याणजी को बतौर संगीतकार पहली फिल्म मिली तो उन्हें अपना पहला गाना पास करवाने के लिए भिखारियों की मदद लेनी पड़ गई.
उनकी पहली फिल्म का नाम था सम्राट चंद्रगुप्त. इस फिल्म की लीड़ स्टार कास्ट थी भारत भूषण और निरूपा रॉय. निरूपा हेलेना के रोल में थीं और भारत भूषण चंद्रगुप्त के रोल में. गाने के बोल थे- चाहे पास हो या दूर हो…. ये गाना कल्याणजी की पहली फिल्म का पहला गाना था.
सो उन्होंने काफी मेहनत के बाद इसको कम्पोज करके प्रोडयूसर सुभाष देसाई को सुनाया. उन्हें लगा था सुभाष देसाई गाना सुनकर उछल पडेंगे. लेकिन उनका रिएक्शन देखकर म्यूजिक डायरेक्टर बनने का भूत उतर गया. उनका पहला रिएक्शन था, यार इसमें वो वाली बात नहीं है. कल्याणजी ने इस गाने में काफी मेहनत की थी. वो इसी को ओके करवाना चाहते थे.
जब देसाई कई बार गुजारिश किए जाने पर भी नहीं माने तो उन्हें सूझा एक आइडिया, वो सुभाष देसाई की कोठी के बाहर पहुंचे और पास के मंदिर में कुछ भिखारियों को ढूंडा. उन्हें पैसे दिए जब भी देसाई बाहर आएं ये वाला गाना सुनाओ और वो भिखारी ऐसा ही करने लगे. रोज कल्याणजी आकर उन्हें पैसे दे जाते.
जब कई बार ऐसा हुआ तो देसाई बड़े हैरान हुए कि इन भिखारियों को कल्याणजी का गाना कैसे पता. उन्होंने कल्याणजी को बोला, यार तुम्हारा गाना तो काफी पॉपुलर हो गया है, अब तो भिखारी भी गाने लगे हैं, यार अब तो इसे लेना ही पड़ेगा. इस तरह से ट्रिक काम कर गई. इस गाने के लता मंगेशकर ने गाया था. तभी तो उन्होंने लताजी के लिए पूरे 297 गाने अपनी कैरियर में रिकॉर्ड किए थे.