मुंबई: कुल बारह साल की थीं सायरा बानो उन दिनों, लंदन में पढ़ रही थीं. उनकी मम्मी नसीमा खुद भी बॉलीवुड की हीरोइन थीं. सायरा ने एक दिन दिलीपकुमार की ‘आन’ फिल्म देखीं और उन्हें दिलीप साहब से प्यार हो गया. जब सायरा पैदा हुईं थीं तब दिलीप साहब 22 साल के नौजवान थे, दोनों के बीच में काफी उम्र गैप था.
जिसके चलते शुरूआती दिनों में दिलीप कुमार उनके साथ फिल्में करने से भी हिचकिचाते थे, तब क्या पता था कि एक दिन वो खुद सायरा की मोहब्बत के आगे घुटने टेक देंगे और एक दिन वो भी आएगा कि वो ट्विटर जैसे सार्वजनिक प्लेटफॉर्म पर 94 साल की उम्र में सायरा के लिए ‘माई क्वीन’ जैसे शब्द लिखेंगे.
दोनों की लव स्टोरी आन फिल्म से शुरू हुई, सायरा को एकतरफा इश्क हो चुका था.
सायरा स्क्रीन इमेज की तरह ही काफी चुलबुली थीं, हीरोइन की बेटी थीं, घर में फिल्मी माहौल था और हर इच्छा पूरी होती थी. जब 1960 में मुगल ए आजम का प्रीमियर मुंबई के मराठा मंदिर टॉकीज में हुआ तो उनकी मां जिद के चलते उनको भी दिलीप कुमार की एक झलक दिखाने ले गईं, लेकिन अफसोस दिलीप कुमार नहीं आए. तब तक सायरा 16 की हो चलीं थी और फिल्मी दुनियां में कैरियर ही उनकी मंजिल थी.
पहली फिल्म मिली शम्मी कपूर के साथ ‘जंगली’. पहली फिल्म से ही सायरा लोगों के दिलों में बस गईं और स्टार बन गईं, फिर तो एक के बाद एक उनको बड़े स्टार के साथ फिल्में मिलने लगीं. लेकिन पहली फिल्म से पहले ही एक दिन एक फंक्शन में उनको दिलीप कुमार साहब से रूबरू होने का मौका मिला,दिलीप कुमार ने उनको नोटिस किया और स्माइल किया.
सायरा ने एक इंटरव्यू में कहा था, ‘उस वक्त उनको नोटिस करने से मेरा कॉन्फिडेंस बढ़ गया कि मैं उन्हें इस लायक तो लगी कि उन्होंने एक स्माइल दी’. सायरा की मां ने भी इस मोहब्बत में रोल प्ले किया, दिलीप कुमार को भी उनकी एकतरफा मोहब्बत की खबर लग चुकी थी लेकिन दोनों तरफ के बीच 22 साल का जो गैप था उसके चलते लगातार दिलीप कुमार उनके साथ फिल्में भी नकारते रहे.
वैसे भी कामिनी कौशल के बाद मधुबाला से भी दिलीप कुमार के रिश्ते ज्यादा नहीं चल पाए थे और दिलीप अपने से कम उम्र की लड़की से रिश्ते बनाकर जगहंसाई के मूड में नहीं थे. लेकिन सायरा ने पीछा नहीं छोड़ा. एक दिन दिलीप साहब को सायरा की बर्थडे पार्टी में बुलाया गया.
दिलीप कुमार ने बायोग्राफी में वो पूरा वाकया बयान किया है कि कैसे वो पार्टी में उनके बंगले पर पहुंचे और कैसे सायरा ने उनके हाथ मिलाते वक्त आंखों में आंखें डालकर देखा और कैसे उस दिन दिलीप कुमार को सायरा एक कम उम्र लड़की के बजाय एक पूरी औरत की तरह लगीं. उस दिन दिलीप कुमार साहब ने मन ही मन में मान लिया था कि इसके साथ जीवन बिताया जा सकता है.
फिर एक दिन दिलीप साहब ने खुद प्रपोज किया, जिसके बारे में उन्हें पता था कि प्रपोजल अस्वीकार होना नहीं है. 11 अक्टूबर 1966 को दोनों की शादी हुई. तब सायरा 22 की थीं और दिलीप 44 के थे यानी कि ठीक दोगुने. लेकिन फिर ऐसी बनी कि कब दोनों एक साथ रहते हुए पचास साल पार कर गए पता ही नहीं चला.
लेकिन इस लव स्टोरी में भी कई पेज आए. दिलीप कुमार का सपना देखने के बावजूद सायरा बानो जुबली कुमार राजेन्द्र कुमार से मोहब्बत करने लगीं थीं, वो शादीशुदा थे और नसीम बानो को पसंद भी नहीं थे. नसीम फिर से सायरा को दिलीप से मिलवाने की कोशिशों में जुट गईं. हालांकि जब दोनों ने शादी की तो बहुत से लोगों ने उस वक्त कहा था कि ये जोड़ी ज्यादा चल नहीं पाएगी.
और 1979 में ऐसा हुआ भी, दिलीप कुमार की नजदीकियां एक पाकिस्तानी लेडी आस्मा से बढ़ने लगीं और सायरो को छोड़ दिलीप ने उससे निकाह भी कर लिया. लेकिन तीन साल में दिलीप साहब की समझ आ गया कि जो बिना शर्त और बेपनाह प्यार उनको सायरा से मिला है, वो कोई भी नहीं दे सकता और सायरा को वो फिर से जिंदगी में ले आए और आज सायरा की दुआएं ही हैं जो कई बार मौत के मुंह में जाते जाते दिलीप साहब वापस लौट आते हैं.