मुंबई: ‘किताबें झाँकती हैं बंद आलमारी के शीशों से, बड़ी हसरत से तकती हैं महीनों अब मुलाकातें नहीं होती…’ कमल के जादूगर गुलजार साहब की कविताएं आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है. कल्पनाओं और शब्दों की जादूगरी से सभी का दिल छू लेने वाले गुलजार का आज जन्मदिन है.
गुलजार साहब का जन्म 18 अगस्त, 1934 को झेलम जिले के दीना गांव में हुआ था. हिंदुस्तान के बंटवारे के बाद यह हिस्सा पाकिस्तान में चला गया है. कम उम्र में ही गुलजार अपने माता-पिता को छोड़कर मुंबई चले आए थे. उस दौर में मुंबई में उन्हें रोजी रोटी के लिए काफी मेहनत करनी पड़ी.
जिसके लिए उन्होंने मुंबई के एक गैरेज में मेकेनिक का काम किया. उन्हें बचपन से ही लिखने का शौक था लेकिन उनके पिता उन्हें लिखने के लिए हमेशा मना किया करते थे. गुलजार साहब ने अपने स्ट्रगल के दिनों में बिमल रॉय के साथ असिस्टेंट का काम किया.
इसके बाद एस.डी. बर्मन की ‘बंदिनी’ से गुलजार साहब ने बतौर गीतकार शुरुआत की. गुलजार का पहला गाना था ‘मोरा गोरा अंग…’ बतौर डायरेक्टर गुलजार की पहली फिल्म 1971 में आई ‘मेरे अपने’ थी. इस फिल्म में उन्हें काफी अच्छी सफलता मिली.
गुलजार हमेशा से ही सफेद कपड़े पहना करते हैं, गुलजार के पर्सनल लाइफ की बात करें तो उनका पूरा नाम संपूर्ण सिंह कालरा था. गुलजार ने 1970 में उस दौर की मशहूर अभिनेत्री राखी से शादी की थी. कहा जाता है कि गुलजार ने शादी से पहले ही यह शर्त रख दी थी कि वो शादी के बाद फिल्मों में काम नहीं करेंगी.
राखी भी गुलजार की बातों को मान गईं थीं और उनसे शादी कर ली थी. राखी को लगता था कि शादी के कुछ साल बाद गुलजार फिल्मों के लिए उन्हें इजाजत दे देंगे, लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं हुआ. इस बीच राखी और गुलजार के बीच कुछ ऐसी घटना जिसके बाद से राखी गुलजार से हमेशा के लिए दूर हो गईं.
इतना ही नहीं उन्होंने गुलजार के विरुद्ध जाकर फिल्मों में भी काम किया और यश चोपड़ा की फिल्म कभी-कभी में काम किया. भले ही राखी और गुलजार आज भी अलग रहते हैं, लेकिन आज भी राखी हमेशा गुलजार की तारीफ करती हुई ही नजर आती हैं.