नई दिल्ली : ग्रेट पंजाबी सिंगर गुरदास मान इस सीजन की अपनी बहुप्रतीक्षित एल्बम ‘मितर पियारे नूं’ के साथ एक बार फिर सामने हैं, यह एल्बम मानसाहब के दिल के बहुत करीब है क्योंकि यह उनकी मातृभूमि पंजाब के बारे में है. एल्बम का टाइटल ट्रैक ‘मितर पियारे नूं’. दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस के दौरान इसे रिली किया गया, स्वयं गुरदास मान और एल्बम की टीम ने इसे रिलीज किया है.
सागा म्यूजिक द्वारा रिलीज किए गये इस टाइटल ट्रैक में पंजाब को दर्शाया गया है. इस गीत की शूटिंग पंजाब में पटियाला, जालंधर, अमृतसर एवं अन्य ऐसी ही कुछ जगहों पर की गयी है. मीडिया से बात करते हुए गुरदास मान ने कहा, ‘मैं आज जो कुछ भी हूं वो अपनी मातृभूमि पंजाब और इसके प्यारे-प्यारे लोगों की वजह से हूं. मुझे दुनिया भर के पंजाबियों से बेइंतहां प्यार और सम्मान मिला है और एक कलाकार होने के नाते यह मेरा दायित्व है कि मैं अपनी धरती पंजाब को अपनी हैसियत के हिसाब से कुछ लौटाऊं.’
समय उसे कहता है लगता है तू अभी से अपनी कहानी जानता है. बच्चा भगत कहता है, क्योंकि मैं कहानी अपने आप लिख रहा हूं. इस पर समय कहता है लेकिन तू अपने बाद की कहानी नहीं जानता. बच्चा बेचैन हो जाता है. समय कहता है मैं तुझे आगे की कहानी दिखाता हूं लेकिन वादा कर कि बाद में अपनी कहानी नहीं बदलेगा. समय उसे आज के पंजाब में ले आता है जहां फसलें उपजाने के लिए कीटनाशक डाले जा रहे हैं जो लोगों के शरीर में जा रहे हैं. पशुओं को इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं. जवान लड़के नशे में बेहोश हैं. यंगस्टर्स कंज्यूमरिज़्म में खोए हैं.
इस गाने में ये सब बहुत ही मार्मिक और सही सवाल थे जिन्हें उठाया गुरदास मान ने जो आर्थिक उदारीकरण के पहले से अपने पंजाबी गीतों और फिल्मों से लोक-विरसे को जिंदा रखे हुए थे. आज जब उनकी पीढ़ी के आर्टिस्ट outdated हो चुके हैं या नए समय में इतने घुल गए हैं कि पहचान में नहीं आते, गुरदास ही हैं जिन्होंने खुद को नहीं बदला. या कहें तो अपनी artistic values को नहीं छोड़ा. वे भावुक आर्टिस्ट हैं. भावुकता में वे अपनी बातें करते हैं. नए ज़माने के मूल्यों के हिसाब से हर जगह वे पोलिटिकली करेक्ट नहीं हैं लेकिन मोटे तौर पर उनके जो भी संदेश होते हैं वो आज भी समाज को ज्यादा मानवीय बनाने के ही होते हैं. इसी कड़ी में उनका नया गाना आया है जो अभी ट्रेंड कर रहा है. बोल हैं – ‘मितर पियारे नूं’.
ये दरअसल एक बहुत ही खूबसूरत शबद है जो दसम ग्रंथ साहिब में है. इसे गुरू गोबिंद सिंह ने चमकौर की लड़ाई में अपने बेटों के कुर्बान हो जाने के बाद ठंडी रात में गाया था. इसमें वो परमात्मा को संबोधित कर रहे थे. गुरदास मान का रेफरेंस यहां peace का है. हम देखते हैं कि कैसे इंसान ने धर्म और पूर्वाग्रह में अंधा होकर दूसरे इंसानों का ख़ून बहाया है. निर्दोष हंसते खेलते लोगों को जिंदा जला दिया. बच्चों, मांओं की चीख़ों का उस पर कोई असर नहीं हुआ.
इससे पहले फरवरी में गुरदास मान जी का ‘पंजाब’ शीर्षक वाला गाना आया था जिसमें दिखता है कि एक छोटा सा बच्चा हाथ में रस्सी और स्टूल लिए खेतों के बीच से जा रहा है. फिर वो एक पेड़ के पास रुकता है और स्टूल पर खड़ा होकर फांसी का फंदा बनाने लगता है. ऊपर समय बैठा है. समय पूछता है तो बच्चा कहता है वकील वकालत की प्रैक्टिस करता है, पहलवान अखाड़े में. मेरा ध्येय यूं ही कुर्बान होना तो मैं इसी की तैयारी अभी से कर रहा हूं. यही मेरी वकालत है, यही मेरा अखाड़ा. वो बच्चा भगत सिंह है. बाद में जाकर जो देश को आज़ादी दिलाने के लिए फांसी चढ़ता है.
इसका तरीका ये है कि “क्या किया जा रहा है?”. ये देखने का बहुत सही तरीका होता है. इस गाने में कोई विलेन नहीं है. ये इंसानी कौन के रूप में हमारा आत्म-विश्लेषण है. आर्ट इसी तरह सर्वश्रेष्ठ होता है. ‘मितर पियारे नूं’ एक सूफी धरातल पर खड़ा है. जहां से आप जिसमें भी आस्था रखते हैं उसके लिए ये गा सकते हैं. अगर कोई निर्गुण निराकार है तो उसके लिए भी. इसके अलावा इस गाने का मैसेज विश्व शांति का है. अपने philosophical space में जाकर ये कहता है कि हम लोग rest in peace क्यों कहते हैं, हम जीते-जी शांति के साथ क्यों नहीं रह सकते. पंजाबी बोल वाले ‘मितर पियारे नूं’ का मतलब “तुम्हारे बिना ओढ़ने की आलीशान कंबलें हमारे लिए रोग बराबर हैं”