मुंबई: इस फिल्म का नाम होना चाहिए था रिंग एक खोज, पूरी फिल्म में शाहरुख और अनुष्का एक रिंग खोजते रहते हैं, एक देश से दूसरे देश. दरअसल इम्तियाज अली की फिल्में ‘मेट’ से आगे ही नहीं निकल पाई हैं. हेरी मेट सेजल के 90 से 96 फीसदी फ्रेम्स में शाहरुख और अनुष्का ही दिखें हैं.
इसलिए ये बड़ा रिस्क था कि ना स्टोरी में कोई बड़ा पेच हो, ना कोई बड़ा सस्पेंस हो, ना कोई विलेन और फिल्म का म्यूजिक ही शानदार, ऐसे में रोमांस के सहारे ऑडियंस को बांधे रखना काफी मुश्किल भरा काम था, इसलिए इम्तियाज ने रोमांस में सैक्स का तड़का भी डाला, लेकिन लगता नहीं कि हैरी और सेजल लोगों की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे.
फिल्म की कहानी दो लाइन की है, यूरोप टुअर पर गुजराती लडकी सेजल (अनुष्का) के एंगेजमेंट रिंग गिर जाती है, तो मंगेतर के गुस्सा होने पर वो रिंग ढूंढने निकलती है टूअर गाइड हैरी (शाहरुख) के साथ बुडापेस्ट से प्राग, प्राग से एम्सटर्डम, यूरोप के कई शहरों में और फिर पनप जाता है प्यार. तीसरे किरदार की जरूरत ही नहीं, मंगेतर भी दस सेंकड के लिए लाइव चैट पर दिखता है बस. शाहरुख का एक दोस्त भी दिखा तो फिल्म में जबरन जोड़ा गया लगा.
अगर आपने इम्तियाज अली की पहली दो फिल्में देखी होंगी तो उनकी कहानी भी याद होगी, ‘सोचा ना था’ में में अभय देयोल का अफेयर था, लेकिन वो आयशा के प्यार में पड़ जाते हैं, ‘आहिश्ता आहिश्ता’ में सोहा किसी और से प्यार करने के लिए घर से भागती हैं, लेकिन बाद में अभय देयोल से इश्क हो जाता है. जब वी मेट, तमाशा और कॉकेटल, उनकी जितनी फिल्में देखिए, वो यही कहना चाहते हैं कि इश्क, प्यार में खूब गलतियां करिए, एंगेजमेंट तोड़िए…दिल भी, सोलमेट मिलने तक. हैरी मेट सेजल में भी यही था.
ये फिल्म दरअसल शाहरूख और अनुष्का के जबरा फैंस के लिए ही है, या उनके लिए जिन्हें लगता है कि सोलमेट अभी नहीं मिला है. हां कोई शाहरुख की स्मार्टनेस या एज पर सवाल नहीं उठा सकता, वो पहले फ्रेम से ही गले में ढीली टाई, कोट को शर्ट के साथ कोहनी तक चढ़ाकर गोगल्स के साथ नए लुक में हैंडसम दिखे हैं.
अनुष्का पूरी फिल्म में गुजराती लहजे में दिखी हैं और काफी अच्छे से उन्होंने एक गुजराती लड़की के रूप में खुद को कैरी किया है, दोनों की जमे हैं. लेकिन स्क्रिप्ट में कुछ और.. कुछ और की उम्मीद लगाए बैठे लोग फिल्म से निराश होते हैं. दरअसल लव आज कल और जब वी मेट की तरह इसके सारे गाने लोगों की जुबान पर चढ़े भी नहीं, शायद राधा को छोड़कर.
हालांकि फिल्म में जो दोनों की कैमिस्ट्री है, जो सींस है, जो लोकेशंस हैं, उनको आप कमतर नहीं आंक सकते हैं, फिर भी शाहरुख से कुछ बडे की उम्मीद होती है, जो पूरी होती नहीं दिखती. हालांकि जितना अनुष्का इस फिल्म में बिंदास दिखी हैं, शाहरुख भी पुरानी शराब की तरह रोमांटिक सींस में ज्यादा बेहतर दिखे हैं.
ऐसे में शाहरुख अनुष्का के लिए फिल्म देखने जा रहे लोगों और रोमांस में सराबोर युवाओं को शायद फिल्म पसंद आए, लेकिन एंटरटेनमेंट के लिए जा रहे लोग इसे ना भी देखें तो चलेगा. हालांकि रोमांस में डूबे लोग भी फुरसत में सोच सकते हैं कि जो लड़की एंगेजमेंट रिंग को पूरे यूरोप में ढूढने निकल सकती है, उसका रोमांस फिर दस दिनों में क्यों फुर्र हो जाता है.